बुरहानपुर। नेपानगर का रेलवे स्टेशन एक अनोखा स्टेशन बन गया है, क्योंकि यहां स्टेशन तो है लेकिन ट्रेनों का स्टॉपेज नहीं है. क्योंकि यहां एक भी ट्रेन नहीं रुकती हैं. लॉकडाउन के दौरान रेलवे को आए घाटे के कारण रेलवे ने इस रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों का स्टॉपेज बंद कर दिया है. यहां वर्तमान में एक भी ट्रेनें आने-जाने के लिए नहीं हैं. एक तरफ रेलवे घाटा बताकर ट्रेनों का स्टॉपेज तो बंद कर रही है. लेकिन वहीं दूसरी ओर रेलवे स्टेशन पर करोड़ों रूपए खर्च कर टीन शेड का निर्माण करवा रही है. रेलवे ने नेपानगर से अच्छा राजस्व नहीं मिलने की वजह से ट्रेनों का स्टॉपेज बंद किया है.
नेपानगर में एशिया का नंबर वन कागज का कारखाना है, जिसके रिनोवेशन का काम चल रहा है, इसमें बाहरीय क्षेत्र की कंपनी कार्यरत है. कंपनी के अधिकारी और कर्मचारियों का आने जाना दिन रात लगा हुआ है, ऐसे में ट्रेनों के बंद हो जाने से आवगमन में खासी परेशानी हो रही है.
पहले ही नेपानगर रोजगार का कोई उचित साधन नहीं है, यहां के लोग काम करने के लिए खंडवा, बुरहानपुर, भुसावल, जलगांव जैसे शहरों में जाकर काम कर रहे हैं, ऐसे में ट्रेनें बंद होने से खासी परेशानी हो रही है. कम वेतन में काम करने वाले मजदूर वर्ग के लोगों को फुटपाथ पर रहकर गुजर बसर करना पड़ा रहा है.
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बता दें कि नेपानगर में पहले 11 ट्रेनों का स्टॉपेज था, जिससे रोजाना करीब 2 हजार से अधिक लोग आना-जाना करते थे, लेकिन इनके बंद होने से लोगों को परेशानी हो रही है. बंद हो रही ट्रेनों को फिर से शुरू करवाने के लिए नेपानगर के सभी जनप्रतिनिधियों ने सर्वदलीय मंच के माध्यम से रेलवे संघर्ष समिति के जरिए हस्ताक्षर अभियान चलाया, इसमें करीब पांच हजार लोगों ने हस्ताक्षर किए. रेलवे संघर्ष समिति के लोगों ने रेलवे विभाग को चेतावनी दी है कि 30 दिसम्बर तक ट्रेनों का यथावत संचालन नहीं किया गया,तो वे सभी मिलकर "रेल रोको और चक्का जाम" अभियान करेंगे. इसके बावजूद भी सताधारी दल के राजनेताओं के कानों में जु तक नहीं रेंग रही है.