बुरहानपुर। जिले के एक निजी कॉलेज में उर्दू-फारसी विभाग ने राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद नई दिल्ली के तत्वाधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी, उर्दू शेर-ओ-अदक की तरक्की में गैर मुस्लिम आशिकाने उर्दू का हिस्सा विषय पर संगोष्ठी आयोजित की. जिसमें 8 राज्यों से 35 शोधकर्ता शामिल हुए.
संगोष्ठी में युवाओं ने कहा कि उर्दू किसी धर्म विशेष की नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान की जुबान है, कुछ लोगों को इस बात का भ्रम है कि ये धर्म विशेष की भाषा है, ऐसे लोगों को हकीकत से रूबरू कराने के लिए ही आज ऐसे आयोजनों की जरूरत है. उल्लेखनीय है कि उर्दू के समर्थन में गैर मुस्लिमों का योगदान विषय को लेकर आयोजित इस कार्यशाला में देश के 8 राज्यों के करीब 35 शायर विद्वान शामिल हुए, जिन्होंने अपने विचार रखे.
शायरों का कहना है कि बीते 400 सालों का इतिहास गवाह है कि उर्दू भाषा के समर्थन में गैर मुस्लिम शायरों, साहित्यकारों का योगदान मुस्लिम साहित्यकारों से कम नहीं रहा, मुगल काल में उर्दू की पहली गजल भी एक हिंदू शायर ने लिखी थी.