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MP Seat Scan Nepanagar: नेपानगर में कांग्रेस-बीजेपी के बीच होती है टक्कर, इस बार जयस संगठन बिगाड़ सकता है समीकरण

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 5, 2023, 10:50 PM IST

Updated : Nov 15, 2023, 10:37 AM IST

चुनावी साल में ईटीवी भारत आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे बुरहानपुर जिले की नेपानगर विधानसभा सीट के बारे में. इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी में टक्कर होती है. इस बार के चुनाव में जयस पार्टी ने भी अपना उम्मीदवार उतारने की घोषणा के साथ पार्टियों की चिंता बढ़ा दी है. देखना होगा इस चुनाव में जयस कितना बिगाड़ती है खेल..

MP Seat Scan Nepanagar
एमपी सीट स्कैन नेपानगर

बुरहानपुर। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है. दावेदार अपना काम कर रहे हैं, लेकिन इन पर भाजपा और कांग्रेस दोनों की ही नजरें अब तक इनायत नहीं हुई है. अभी भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में प्रत्याशियों के नाम पर मंथन ही चल रहा है. बीच में जयस आदिवासी युवा शक्ति संगठन ने नीदें उड़ा दी है. इस बार जयस ने भी अपना प्रत्याशी विधानसभा चुनाव में उतारने की घोषणा कर दी है. इस कारण नेपानगर विधासभा के चुनावी समीकरण बदल गए हैं. अब तक ये आदिवासी भाजपा और कांग्रेस को मतदान करते थे, लेकिन अब संगठन खुद मैदान में उतर जाने के कारण भाजपा, कांग्रेस सहित निर्दलीय उम्मीदवारों के मत कटेंगे. इससे जीत-हार के समीकरण बदलने की संभावना जताई जा रही है.

नेपानगर में दो महिलाओं में मुकाबला: बुरहानपुर की नेपानगर सीट से 6 प्रत्याशी मैदान में हैं. भाजपा ने मंजू राजेंद्र दादू को प्रत्याशी बनाया है. वहीं कांग्रेस ने गेंदू बाई के नाम पर मोहर लगाई है.

MP Seat Scan Nepanagar
नेपानगर सीट के मतदाता

सियासी समीकरण: नेपानगर विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में सुमित्रा कास्डेकर विधायक हैं. सुमित्रा 2018 में कांग्रेस से चुनाव लड़ी थीं. सुमित्रा ने भाजपा की मंजू दादू को हराया था. इसके बाद सुमित्रा कांग्रेस छोडकर भाजपा में शामिल हो गईं. साल 2020 के उपचुनाव में फिर जीत दर्ज की. इसमें बीजेपी की सुमित्रा ने कांग्रेस के रामकिशन पटेल से 26 हजार 340 मत ज्यादा हासिल किए थे, लेकिन भाजपा का एक खेमा सुमित्रा के विरोध में भी है. पूर्व विधायक व वर्तमान मंडी बोर्ड उपाध्यक्ष मंजू दादू के समर्थक भी मंजू को टिकट दिए जाने की मांग कर रहे हैं. भाजपा से सुमित्रा कास्डेकर, पूर्व विधायक मंजू दादू, रतिलाल चिल्लात्रे, गनसिंह पटेल प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं.

MP Seat Scan Nepanagar
नेपानगर सीट का रिपोर्ट कार्ड

नेपानगर में जिसका विधायक, प्रदेश में उसकी सरकार: नेपानगर विधानसभा से एक परंपरा जुड़ी है. नेपानगर में जिस पार्टी का विधायक जीतता है. उसी पार्टी का मुख्यमंत्री बनता है. पिछले कई सालों से ये सिलसिला चलता आ रहा है. इसलिए नेपानगर विधानसभा पर पूरे प्रदेश की नजर रहती है. सभी पार्टियों के नेता नेपानगर सीट जीताने के लिए पूरा दम लगा देते हैं.

MP Seat Scan Nepanagar
नेपानगर सीट का रिपोर्ट कार्ड

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

नेपानगर में कमजोरी हुई कांग्रेस: वहीं अगर कांग्रेस की बात करें तो पिछले कुछ सालों में नेपानगर विधानसभा में कांग्रेस कमजोर हुई है. पिछली बार कांग्रेस की सीट आई थी, लेकिन बीच में सुमित्रा कास्डेकर ने पार्टी बदल दी. इससे कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. अबकी बार नेपानगर से रामकिशन पटेल, गेंदूबाई चौहान, कांति कास्डे कांग्रेस से दावेदारी कर रहे हैं.

MP Seat Scan Nepanagar
नेपानगर सीट का जातीय समीकरण

नेपानगर विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे: नेपानगर में बेरोजगारी सबसे प्रमुख मुद्दा है. यहां नेपा कागज कारखाना में संविदा आधार पर भर्ती होती है. क्षेत्र में लघु उद्योग नहीं है. जिसके चलते रोजगार की तलाश में युवा बाहर जा रहे हैं. वहीं पूरे क्षेत्र में जंगलों की अंधाधुंध अवैध कटाई होती है. सरकार इसे रोकने में नाकाम है. आए दिन जंगलों की कटाई को लेकर स्थानीय आदिवासियों में दहशत का माहौल बना हुआ है. वहीं कोविड-19 के बाद ट्रेनों का स्टॉपेज यहां कम हुआ है.

बुरहानपुर। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है. दावेदार अपना काम कर रहे हैं, लेकिन इन पर भाजपा और कांग्रेस दोनों की ही नजरें अब तक इनायत नहीं हुई है. अभी भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों में प्रत्याशियों के नाम पर मंथन ही चल रहा है. बीच में जयस आदिवासी युवा शक्ति संगठन ने नीदें उड़ा दी है. इस बार जयस ने भी अपना प्रत्याशी विधानसभा चुनाव में उतारने की घोषणा कर दी है. इस कारण नेपानगर विधासभा के चुनावी समीकरण बदल गए हैं. अब तक ये आदिवासी भाजपा और कांग्रेस को मतदान करते थे, लेकिन अब संगठन खुद मैदान में उतर जाने के कारण भाजपा, कांग्रेस सहित निर्दलीय उम्मीदवारों के मत कटेंगे. इससे जीत-हार के समीकरण बदलने की संभावना जताई जा रही है.

नेपानगर में दो महिलाओं में मुकाबला: बुरहानपुर की नेपानगर सीट से 6 प्रत्याशी मैदान में हैं. भाजपा ने मंजू राजेंद्र दादू को प्रत्याशी बनाया है. वहीं कांग्रेस ने गेंदू बाई के नाम पर मोहर लगाई है.

MP Seat Scan Nepanagar
नेपानगर सीट के मतदाता

सियासी समीकरण: नेपानगर विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में सुमित्रा कास्डेकर विधायक हैं. सुमित्रा 2018 में कांग्रेस से चुनाव लड़ी थीं. सुमित्रा ने भाजपा की मंजू दादू को हराया था. इसके बाद सुमित्रा कांग्रेस छोडकर भाजपा में शामिल हो गईं. साल 2020 के उपचुनाव में फिर जीत दर्ज की. इसमें बीजेपी की सुमित्रा ने कांग्रेस के रामकिशन पटेल से 26 हजार 340 मत ज्यादा हासिल किए थे, लेकिन भाजपा का एक खेमा सुमित्रा के विरोध में भी है. पूर्व विधायक व वर्तमान मंडी बोर्ड उपाध्यक्ष मंजू दादू के समर्थक भी मंजू को टिकट दिए जाने की मांग कर रहे हैं. भाजपा से सुमित्रा कास्डेकर, पूर्व विधायक मंजू दादू, रतिलाल चिल्लात्रे, गनसिंह पटेल प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं.

MP Seat Scan Nepanagar
नेपानगर सीट का रिपोर्ट कार्ड

नेपानगर में जिसका विधायक, प्रदेश में उसकी सरकार: नेपानगर विधानसभा से एक परंपरा जुड़ी है. नेपानगर में जिस पार्टी का विधायक जीतता है. उसी पार्टी का मुख्यमंत्री बनता है. पिछले कई सालों से ये सिलसिला चलता आ रहा है. इसलिए नेपानगर विधानसभा पर पूरे प्रदेश की नजर रहती है. सभी पार्टियों के नेता नेपानगर सीट जीताने के लिए पूरा दम लगा देते हैं.

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नेपानगर सीट का रिपोर्ट कार्ड

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

नेपानगर में कमजोरी हुई कांग्रेस: वहीं अगर कांग्रेस की बात करें तो पिछले कुछ सालों में नेपानगर विधानसभा में कांग्रेस कमजोर हुई है. पिछली बार कांग्रेस की सीट आई थी, लेकिन बीच में सुमित्रा कास्डेकर ने पार्टी बदल दी. इससे कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. अबकी बार नेपानगर से रामकिशन पटेल, गेंदूबाई चौहान, कांति कास्डे कांग्रेस से दावेदारी कर रहे हैं.

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नेपानगर सीट का जातीय समीकरण

नेपानगर विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे: नेपानगर में बेरोजगारी सबसे प्रमुख मुद्दा है. यहां नेपा कागज कारखाना में संविदा आधार पर भर्ती होती है. क्षेत्र में लघु उद्योग नहीं है. जिसके चलते रोजगार की तलाश में युवा बाहर जा रहे हैं. वहीं पूरे क्षेत्र में जंगलों की अंधाधुंध अवैध कटाई होती है. सरकार इसे रोकने में नाकाम है. आए दिन जंगलों की कटाई को लेकर स्थानीय आदिवासियों में दहशत का माहौल बना हुआ है. वहीं कोविड-19 के बाद ट्रेनों का स्टॉपेज यहां कम हुआ है.

Last Updated : Nov 15, 2023, 10:37 AM IST
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