बुरहानपुर। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे दिलचस्प होता जा रहा है. चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ खुलकर बयानबाजी कर रहे हैं. नेपानगर सीट की बात करें तो यहां पिछले माह बिलर सिंह जमरा ने पुलिस विभाग से एसआई पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस पार्टी से टिकट की मांग की थी लेकिन कांग्रेस ने गेंदूबाई चौहान को उम्मीदवार बना दिया. इसके बाद बिलर सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया. इधर भाजपा से टिकट नहीं मिलने से नाराज आदिवासी नेता रतिलाल चिल्लात्रे ने बगावती तेवर अपनाकर निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ रहे हैं.
मैदान में हैं चार प्रत्याशी: इस बार नेपानगर विधानसभा सीट पर दो नहीं बल्कि चार लोगों के बीच मुकाबला है. भाजपा ने मध्यप्रदेश मंडी बोर्ड उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक मंजू दादू को प्रत्याशी घोषित किया है. कांग्रेस ने गेंदूबाई चौहान को प्रत्याशी घोषित किया है तो वहीं भाजपा से टिकट नहीं मिलने से नाराज आदिवासी नेता रतिलाल चिल्लात्रे ने बगावती तेवर अपनाकर निर्दलीय रूप से चुनाव लड़ रहे हैं तो इधर बिलर सिंह जमरा भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं.
निर्दलीय बिगाड़ेंगे समीकरण: दोनों निर्दलीय प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में उतरने से भाजपा-कांग्रेस में हड़कंप मचा है, कयास लगाए जा रहे हैं कि निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा-कांग्रेस का चुनावी समीकरण बिगाड़ेंगे. निर्दलीय प्रत्याशी बिलर सिंह जमरा ने कहा कि नेपानगर क्षेत्र के आदिवासी समाज की सेवा करने के उद्देश्य से नौकरी छोड़ राजनीति में आए हैं. इस दौरान उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा की नेपानगर सीट आदिवासी प्रत्याशी के लिए आरक्षित है. इस बार कांग्रेस ने गेंदूबाई चौहान को प्रत्याशी घोषित किया है जबकि गेंदूबाई चौहान ने एक गैर आदिवासी पुरुष से शादी की है. उन्होंने गेंदूबाई चौहान के शैक्षणिक योग्यता पर भी सवाल उठाए हैं
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भाजपा प्रत्याशी को लिया आड़े हाथ: निर्दलीय प्रत्याशी बिलर सिंह ने भाजपा प्रत्याशी मंजू दादू को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मंजू ने आदिवासियों के लिए कोई काम नहीं किया.एक प्यून तक आदिवासी नहीं रख पाए. उनके कार्यकाल में गैर आदिवासियों को साथ रखा गया जबकि वे चाहतीं तो आदिवासी वर्ग को जायज सुविधा उपलब्ध करा सकती थीं लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
जनसंपर्क अभियान तेज: नेपानगर विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी बिलर सिंह जमरा ने अपने पक्ष में वोट जुटाने के लिए जनता से आशीर्वाद मांगा है. उन्होंने आदिवासियों के साथ हो रहे अत्याचार और शोषण को रोकने के लिए निर्दलीय चुनाव लड़कर क्षेत्र की जनता की सेवा का संकल्प लिया है. जाहिर है दोनों निर्दलीय प्रत्याशी भाजपा और कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन चुके हैं.