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बुरहानपुर से होकर गुजरे थे राम रघुराई, राम झरोखा मंदिर के अलावा मिलते हैं कई प्रमाण - ram Jharoka Temple

दीपावली के अवसर पर ईटीवी भारत मध्यप्रदेश लेकर आया है एक खास पेशकश 'राजाराम', जिसमें मिलेंगी भगवान राम के वनगमन से लेकर दीपोत्सव तक की ऐसी अनसुनी कहानियां जो मध्यप्रदेश से जुड़ी हैं. राम अपने वनवास के दौरान जहां भी गए, उनमें बुरहानपुर भी शामिल है, यहां राम की वनवास यात्रा के कई प्रमाण हैं.

बुरहानपुर से होकर गुजरे थे रघुराई
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Published : Oct 23, 2019, 12:08 AM IST

Updated : Oct 24, 2019, 6:55 AM IST

बुरहानपुर। मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक शहरों में शुमार बुरहानपुर का अस्तित्व सदियों नहीं बल्कि युगों पुराना है. शहर के संत महात्माओं द्वारा किए जा रहे दावों और प्रचलित किवदंतियों की मानें तो बुरहानपुर का वजूद त्रेतायुग में भी था. बुरहानपुर उन पावन जगहों में भी शामिल है, जहां वनवास के दौरान राजाराम के पवित्र कदम पड़े.

बुरहानपुर से होकर गुजरे थे रघुराई

मान्यता है कि प्रभुराम जब वनवास पर निकले, तो उन्होंने यहां काफी वक्त बिताया, जिस समय श्रीराम यहां आए थे, उस वक्त बुरहानपुर को ब्रह्मपुर नाम से जाना जाता था. श्रीराम ने यहां से निकलने वाली ताप्ती और उतावदी नदी के संगम स्थल पर अपने पिता दशरथ का श्राद्ध भी किया, जिसे अब रामघाट के नाम से जाना जाता है.

खर और दूषण नाम के राक्षसों का वध

श्रीराम ने ताप्ती नदी के पावन तट एक मंदिर भी बनाया, जिसकी पहचान राम झरोखा मंदिर से होती है. मंदिर के पुजारी के मुताबिक यह क्षेत्र तब दंडकारण्य वन का हिस्सा था, जहां खर और दूषण नाम के दो रक्षसों का आतंक था. श्रीराम जब चित्रकूट से होते हुए यहां पहुंचे, तो उन्होंने खर-दूषण का अंत कर ऋषि-मुनियों को उनके अत्याचार से मुक्ति भी दिलाई. इसके बाद प्रभुराम ताप्ती नदी को पार कर पंचवटी के लिए रवाना हुए. इसका जिक्र रामायण सहित दूसरे धर्म ग्रंथों में भी मिलता है.

सीता गुफा भी है मौजूद

भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण बुरहानपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर बलड़ी गांव के पास भी ठहरे थे. यह जगह आज भी सीता गुफा के नाम से प्रसिद्ध है. यहां 12 माह अविरल झरना बहता है. इसी तरह नेपानगर के भीड़ गांव में भी भगवान राम के आने के प्रमाण मिलते हैं, जहां आज भी सीता नहानी मौजूद है. मान्यता है कि वनवास के दौरान मां सीता को स्नान के लिए सरोवर नहीं मिला, तो लक्ष्मणजी ने अपने बाण से यहां पर एक कुंड बना दिया. इस कुंड में अब सालभर अविरल धारा बहती रहती है.

स्थानों को लेकर लोगों में आस्था

रामायण और महाभारत काल के साक्षी रहे इस शहर में मौजूद श्रीराम के स्थानों को लेकर लोगों में आस्था है. राम झरोखा मंदिर में भगवान राम की मनमोहक मूर्ति भी मौजूद है. उनके साथ भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के अलावा भक्त हनुमान भी मौजूद हैं.

बुरहानपुर। मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक शहरों में शुमार बुरहानपुर का अस्तित्व सदियों नहीं बल्कि युगों पुराना है. शहर के संत महात्माओं द्वारा किए जा रहे दावों और प्रचलित किवदंतियों की मानें तो बुरहानपुर का वजूद त्रेतायुग में भी था. बुरहानपुर उन पावन जगहों में भी शामिल है, जहां वनवास के दौरान राजाराम के पवित्र कदम पड़े.

बुरहानपुर से होकर गुजरे थे रघुराई

मान्यता है कि प्रभुराम जब वनवास पर निकले, तो उन्होंने यहां काफी वक्त बिताया, जिस समय श्रीराम यहां आए थे, उस वक्त बुरहानपुर को ब्रह्मपुर नाम से जाना जाता था. श्रीराम ने यहां से निकलने वाली ताप्ती और उतावदी नदी के संगम स्थल पर अपने पिता दशरथ का श्राद्ध भी किया, जिसे अब रामघाट के नाम से जाना जाता है.

खर और दूषण नाम के राक्षसों का वध

श्रीराम ने ताप्ती नदी के पावन तट एक मंदिर भी बनाया, जिसकी पहचान राम झरोखा मंदिर से होती है. मंदिर के पुजारी के मुताबिक यह क्षेत्र तब दंडकारण्य वन का हिस्सा था, जहां खर और दूषण नाम के दो रक्षसों का आतंक था. श्रीराम जब चित्रकूट से होते हुए यहां पहुंचे, तो उन्होंने खर-दूषण का अंत कर ऋषि-मुनियों को उनके अत्याचार से मुक्ति भी दिलाई. इसके बाद प्रभुराम ताप्ती नदी को पार कर पंचवटी के लिए रवाना हुए. इसका जिक्र रामायण सहित दूसरे धर्म ग्रंथों में भी मिलता है.

सीता गुफा भी है मौजूद

भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण बुरहानपुर से करीब 15 किलोमीटर दूर बलड़ी गांव के पास भी ठहरे थे. यह जगह आज भी सीता गुफा के नाम से प्रसिद्ध है. यहां 12 माह अविरल झरना बहता है. इसी तरह नेपानगर के भीड़ गांव में भी भगवान राम के आने के प्रमाण मिलते हैं, जहां आज भी सीता नहानी मौजूद है. मान्यता है कि वनवास के दौरान मां सीता को स्नान के लिए सरोवर नहीं मिला, तो लक्ष्मणजी ने अपने बाण से यहां पर एक कुंड बना दिया. इस कुंड में अब सालभर अविरल धारा बहती रहती है.

स्थानों को लेकर लोगों में आस्था

रामायण और महाभारत काल के साक्षी रहे इस शहर में मौजूद श्रीराम के स्थानों को लेकर लोगों में आस्था है. राम झरोखा मंदिर में भगवान राम की मनमोहक मूर्ति भी मौजूद है. उनके साथ भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के अलावा भक्त हनुमान भी मौजूद हैं.

Intro:बुरहानपुर। प्रदेश के ऐतिहासिक शहरों में शुमार बुरहानपुर का अस्तित्व सदियों नहीं बल्कि युगों पुराना है, शहर के संत महात्माओं द्वारा किए जा रहे दावों और प्रचलित की किवदंतियों को मानें तो बुरहानपुर का वजूद त्रेतायुग में भी था और भगवान श्री राम के पवित्र कदम इस धरती पर भी पड़े थे, तब इस नगर का नाम ब्रह्मपुर हुआ करता था, ताप्ती नदी के पावन तट पर स्थित श्री राम झरोका मंदिर के पुजारी महंत स्वामी नर्मदानंद गिरीजी महाराज के मुताबिक यह क्षेत्र तब दंडकारण्य वन का हिस्सा था, जहां खर और दूषण दो रक्षसों का आतंक था, 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान श्रीराम चित्रकूट से होते हुए ब्रह्मपुर से लगे दंडकारण्य वन में पहुंचे थे, और खर-दूषण का अंत कर न सिर्फ प्रजा और ऋषि मुनियों को उनके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई थी, बल्कि श्री रामझरोखा मंदिर से लगे सूर्यपुत्री मां ताप्ती नदी के तट पर अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध भी किया था।


Body:इसके बाद वे ताप्ती नदी को पार कर पंचवटी के लिए रवाना हुए थे, उनके मुताबिक रामायण सहित अन्य धर्म ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है, इसके अलावा भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण जी शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर बलड़ी गांव के पास भी ठहरे थे, यह जगह आज भी सीता गुफा के नाम से प्रसिद्ध है, यहां 12 माह अविरल झरना बहता है, इसी तरह नेपानगर के ग्राम भीड़ में भी भगवान राम के आने के प्रमाण हैं, यहां पर आज भी सीता नहानी मौजूद है, मान्यता है कि अपने प्रवास के दौरान मां सीता को स्नान के लिए सरोवर नहीं मिला तो लक्ष्मण जी ने अपने बाण से वही पर एक कुंड बना दिया, इस कुंड में भी पूरे सालभर अविरल धारा बहती है।



Conclusion:बाईट 01:- महंत स्वामी नर्मदानंद गिरीजी महाराज, अध्यक्ष श्री रामझरोखा धाम।
बाईट 02:- होशंग हवलदार, इतिहासकार बुरहानपुर।
Last Updated : Oct 24, 2019, 6:55 AM IST
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