बुरहानपुर। जल मिलेगा तभी जीवन बचेगा, जल नहीं होगा तो कल भी नहीं होगा. मध्यप्रदेश में गहराता जल संकट आवाम के साथ-साथ सरकार को भी परेशान कर रहा है. बुरहानपुर में भीषण गर्मी के चलते भूजल स्तर 800 से 900 फीट नीचे पहुंच गया है. प्रति व्यक्ति को औसत 135 लीटर पानी चाहिए, लेकिन प्रति व्यक्ति बमुश्किल ही 45 लीटर पानी मिल पा रहा है. जिसके चलते आवाम परेशान है. कई वार्डों में लोग पानी के लिए आंदोलन कर रहे हैं, जनप्रतिनिधियों-अधिकारियों का घेराव कर रहे हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र भी इस संकट से अछूता नहीं है.
बुरहानपुर की जीवनदायिनी मानी जाने वाली सूर्यपुत्री मां ताप्ती नदी इन दिनों खुद प्यास से व्याकुल हैं, ताप्ती के जल से ही सिंचाई के अलावा ट्यूबवेल को भी पानी मिलता था, ताप्ती के सूखते ही सभी जल स्रोत एक एक कर दम तोड़ने लगे हैं. आलम ये है कि नगर पालिका के वार्डों में 2 से 3 दिन के अंतराल में जलापूर्ति की जा रही है. कलेक्टर राजेश कुमार कौल ने भी माना कि बुरहानपुर भीषण जल संकट की चपेट में है. जिससे निपटने के लिए नए ट्यूबवेल लगाने के आदेश भी दिए हैं.
तो सुना आपने, पानी के लिए धरती का सीना चीरा जायेगा, लेकिन धरती का सीना चीरकर भी आपको क्या मिलेगा, जब धरती के गर्भ में पानी होगा, तब तो पानी निकलेगा. पानी चाहिए तो पानी का संरक्षण भी करना होगा, वरना आज नहीं तो कल आने वाली पीढ़ियां आपकी ही नजरों के सामने प्यास से तड़प-तड़प कर दम तोड़ेंगी और आप खुद को बेबस, बेसहारा और लाचार पायेंगे क्योंकि तब आपके पास करने के लिए भी कुछ नहीं बचेगा.