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एमपी के भावसा डैम में फंसे बंदरों का रेस्क्यू जारी, लकड़ी का पुल बनाया, ट्यूब की नाव बनाई

बुरहानपुर जिले के भावसा डैम में एक पेड़ पर 4 माह से फंसे बंदरों का रेस्क्यू बुधवार को भी जारी रहा. इस पेड़ पर अभी भी 5 बंदर हैं. कुल 50 बंदर पेड़ पर थे. इनमें से 45 बंदर भूख से बेहाल होकर मौत का शिकार हो चुके हैं. वन विभाग ने बंदरों का रेस्क्यू करने के लिए लकड़ियों व रस्सी की मदद से पुल बनाया है. साथ ही बड़े ट्यूब से नाव बनाकर पानी में उतारी है. लेकिन अभी तक बंदरों को बाहर नहीं निकाला जा सका. Rescue of monkeys continues

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 22, 2023, 4:35 PM IST

Rescue of monkeys stuck on trees continues in Bhavsa Dam
एमपी के भावसा डैम में पेड़ पर फंसे बंदरों का रेस्क्यू जारी

बुरहानपुर। बुरहानपुर जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर स्थित है भावसा डैम. इस डैम के भराव क्षेत्र में स्थित इमली और बरगद के पेड़ पर बीते 4 माह से 50 बंदर पानी के बीच फंस रहे. आपदा में फंसे बंदरों ने पत्ते और छाल खाकर दिन काटे लेकिन जब पत्ते व छाल भी खत्म हो गए तो भूख से बेहाल होकर 45 बंदरों की मौत हो गई. अब यहां शेष 5 बंदरों को बचाने के लिए वन विभाग जुटा है. ग्रामीणों का कहना है कि दोनों पेड़ों पर 50 बंदर थे. ग्रामीणों को कुछ मछुआरों ने बंदरों के फंसे होने की सूचना दी. monkeys stuck in Bhavsa Dam

4 दिन से रेस्क्यू जारी : अब डैम के बीच जिंदा बचे 5 बंदरों को निकालने का प्रयास वन विभाग बीते 4 दिन से कर रहा है. मंगलवार को दिनभर रेस्क्यू चलाया गया. बंदरों तक पहुंचने के लिए लकड़ी का एक ब्रिज बनाया गया, लेकिन बंदरों को बाहर नहीं निकाला जा सका. टीम ने बुधवार को फिर रेस्क्यू शुरू किया है. डैम के आसपास से लकड़ियां इकठ्ठी कर इसमें रस्सी बांधकर पुल बनाया. इसके बाद 4 बड़े ट्यूब से नाव बनाकर पानी में उतारी है.

डैम में कैसे फंसे बंदर : बताया जाता है कि शाहपुर में ​​​​​भावसा में डैम का काम चल रहा था. जुलाई माह में बारिश के दौरान अचानक इस डूब क्षेत्र में पानी भर गया. यहां पानी 15 से 20 फीट तक भर गया. यहां टापू पर करीब 50 बंदर एक पेड़ पर थे. अचानक चारों ओर पानी भरने से बंदर बाहर नहीं निकल सके. जिंदा रहने के लिए भूख से बेहाल बंदर पेड़ की पत्तियां खाकर संघर्ष करते रहे. जब पत्तियां खत्म हो गईं तो पेड़ की छाल खाकर बंदर जिंदगी की जद्दोजहद में लगे रहे. लेकिन इस दौरान भूख से बेहाल होकर 50 में से 45 बंदर मौत का शिकार हो गए.

ग्रामीणों ने पहुंचाया बंदरों तक भोजन : ग्रामीणों का कहना है कि डैम का निर्माण कराने वाले जल संसाधन विभाग और वन्य प्राणियों की रक्षा करने वाले वन विभाग के अफसरों की ये लापरवाही है. जिंदा बंदरों को भावसा गांव और जूनी चौंडी गांव के आधा दर्जन से ज्यादा ग्रामीण जान पर खेल पानी मे तैरकर बंदरों के ठिकानों पर उन्हें भोजन पहुंचा रहे हैं. ग्रामीण रोजाना डैम से तैरते हुए खाना झाड़ पर टांगकर आ जाते हैं. बंदर इसे खाने को खाकर ही संघर्ष कर रहे हैं.

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क्या कहते हैं वन विभाग के अफसर : रेस्क्यू का काम बुधवार सुबह से फिर शुरू किया गया. डैम इंजीनियर शुभम राठौर का कहना है कि बंदरों पर दूरबीन से नजर रखी जा रही है. 5 बंदर इमली के पेड़ पर नजर आ रहे हैं. वहीं, एसडीओ शाहपुर रेंज और बोदरली रेंज के ऑफिसर सहित करीब 15 वनकर्मियों की टीम बंदरों के रेस्क्यू में लगी हैं. एसडीओ अजय सागर का कहना है कि 4 दिन पहले ही उन्हें सूचना मिली. इसके बाद महाराष्ट्र से तैराक बुलाए गए, लेकिन बंदर पेड़ से नीचे ही नहीं उतरे. डैम की गहराई काफी है. लोगों को देखकर बंदर टापू पर पेड़ से नहीं उतर रहे है. वन विभाग का कहना है कि बंदरों की मौत होने की बात सच नहीं है.

बुरहानपुर। बुरहानपुर जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर स्थित है भावसा डैम. इस डैम के भराव क्षेत्र में स्थित इमली और बरगद के पेड़ पर बीते 4 माह से 50 बंदर पानी के बीच फंस रहे. आपदा में फंसे बंदरों ने पत्ते और छाल खाकर दिन काटे लेकिन जब पत्ते व छाल भी खत्म हो गए तो भूख से बेहाल होकर 45 बंदरों की मौत हो गई. अब यहां शेष 5 बंदरों को बचाने के लिए वन विभाग जुटा है. ग्रामीणों का कहना है कि दोनों पेड़ों पर 50 बंदर थे. ग्रामीणों को कुछ मछुआरों ने बंदरों के फंसे होने की सूचना दी. monkeys stuck in Bhavsa Dam

4 दिन से रेस्क्यू जारी : अब डैम के बीच जिंदा बचे 5 बंदरों को निकालने का प्रयास वन विभाग बीते 4 दिन से कर रहा है. मंगलवार को दिनभर रेस्क्यू चलाया गया. बंदरों तक पहुंचने के लिए लकड़ी का एक ब्रिज बनाया गया, लेकिन बंदरों को बाहर नहीं निकाला जा सका. टीम ने बुधवार को फिर रेस्क्यू शुरू किया है. डैम के आसपास से लकड़ियां इकठ्ठी कर इसमें रस्सी बांधकर पुल बनाया. इसके बाद 4 बड़े ट्यूब से नाव बनाकर पानी में उतारी है.

डैम में कैसे फंसे बंदर : बताया जाता है कि शाहपुर में ​​​​​भावसा में डैम का काम चल रहा था. जुलाई माह में बारिश के दौरान अचानक इस डूब क्षेत्र में पानी भर गया. यहां पानी 15 से 20 फीट तक भर गया. यहां टापू पर करीब 50 बंदर एक पेड़ पर थे. अचानक चारों ओर पानी भरने से बंदर बाहर नहीं निकल सके. जिंदा रहने के लिए भूख से बेहाल बंदर पेड़ की पत्तियां खाकर संघर्ष करते रहे. जब पत्तियां खत्म हो गईं तो पेड़ की छाल खाकर बंदर जिंदगी की जद्दोजहद में लगे रहे. लेकिन इस दौरान भूख से बेहाल होकर 50 में से 45 बंदर मौत का शिकार हो गए.

ग्रामीणों ने पहुंचाया बंदरों तक भोजन : ग्रामीणों का कहना है कि डैम का निर्माण कराने वाले जल संसाधन विभाग और वन्य प्राणियों की रक्षा करने वाले वन विभाग के अफसरों की ये लापरवाही है. जिंदा बंदरों को भावसा गांव और जूनी चौंडी गांव के आधा दर्जन से ज्यादा ग्रामीण जान पर खेल पानी मे तैरकर बंदरों के ठिकानों पर उन्हें भोजन पहुंचा रहे हैं. ग्रामीण रोजाना डैम से तैरते हुए खाना झाड़ पर टांगकर आ जाते हैं. बंदर इसे खाने को खाकर ही संघर्ष कर रहे हैं.

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क्या कहते हैं वन विभाग के अफसर : रेस्क्यू का काम बुधवार सुबह से फिर शुरू किया गया. डैम इंजीनियर शुभम राठौर का कहना है कि बंदरों पर दूरबीन से नजर रखी जा रही है. 5 बंदर इमली के पेड़ पर नजर आ रहे हैं. वहीं, एसडीओ शाहपुर रेंज और बोदरली रेंज के ऑफिसर सहित करीब 15 वनकर्मियों की टीम बंदरों के रेस्क्यू में लगी हैं. एसडीओ अजय सागर का कहना है कि 4 दिन पहले ही उन्हें सूचना मिली. इसके बाद महाराष्ट्र से तैराक बुलाए गए, लेकिन बंदर पेड़ से नीचे ही नहीं उतरे. डैम की गहराई काफी है. लोगों को देखकर बंदर टापू पर पेड़ से नहीं उतर रहे है. वन विभाग का कहना है कि बंदरों की मौत होने की बात सच नहीं है.

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