बुरहानपुर। जिले के मुख्यालय से करीबन 35 किलोमीटर की दूरी पर एक इलाका है. इस इलाके का नाम है, आदिवासी बाहुल्य धुलकोट. यहां रोजगार एक बहुत बड़ी समस्या है. आजादी के बाद कई पीढ़ियां गुजर गई, लेकिन पलायन के दंश से मुक्त फिलहाल ये आदिवासी अंचल नहीं हो पाया है. यहां के युवा और बेरोजगार दूसरे राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर हैं. ग्रामीण रोजी रोटी की तलाश में महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, हैदराबाद, गुजरात सहित अन्य राज्यों में मजदूरी के लिए मजबूर हैं. सरकार रोजगार मुहैया कराने के लाख दावे करे, लेकिन ये दावे पूरी तरह खोखले ही हैं.
यहां समझें पूरी कहानी: बता दें कि आदिवासी बाहुल्य धुलकोट क्षेत्र से रोजाना कई ग्रामीण परिवार अपना गृहस्थी का सामान और छोटे- छोटे बच्चों को लेकर रोजगार की तलाश मे पलायन कर रहे हैं. पलायन करने वाले मजदूर परिवारो ने बताया कि ग्राम पंचायतो में रोजगार नही मिलता है. इस क्षेत्र में रोजगार के साधन नहीं है. इसमें से कुछ लोगों के पास खेती के लिए थोड़ी बहुत जमीन है. यहां पर भी वह सिर्फ बारिश के भरोसे फसलें उगाते हैं. फसलो का उत्पादन भी कम ही होता है. ऐसे मे परिवार का भरण पोषण मुश्किल होता है. इसलिए यहां के लोगों को मजदूरी के लिए बाहर जाना पड़ता है.
बता दें कि धुलकोट तहसील क्षेत्र में 17 पंचायतें है. लोगों के पलायन के बाद यह पंचायतें अब सुनी हो चुकी है. इससे घरों में इक्का-दुक्का सदस्य ही है. वह भी बुजुर्ग हैं. युवा अपने परिवार के साथ मजदूरी के लिए दूसरे राज्य जा चुके हैं.
ग्रामीण दिनेश ने बताया कि धुलकोट, बोरी में रोजगार के कोई साधन नहीं है. इसलिए रोजगार के लिए अन्य प्रदेशों में जाना पड़ता है. मजबूरी में महिलाओं सहित छोटे-छोटे बच्चों को साथ लेकर जाते है. वहां झोपड़ी बनाकर रहते है. पेट भरने के लिए ये तकलीफ उठना पड़ती हैं. सरकार केवल रोजगार देने के दावे करती है. यह दावे केवल कागजों तक सीमित है.