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मिट्टी के गणेश बनाकर पर्यावरण बचाने का संदेश दे रहा ये परिवार, अशरफ भी करता है मदद

बुरहानपुर का एक परिवार पर्यावरण को सहेजने का काम कर रहा है. जिसके चलते इस परिवार के लोग मिट्टी के गणेश बनाकर समाज को पर्यावरण बचाने का संदेश दे रहे हैं.

मिट्टी के गणेश बनाकर पर्यावरण बचाने का संदेश दे रहा ये परिवार
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Published : Aug 27, 2019, 9:51 PM IST

बुरहानपुर। शहर के राजपुरा में रहने वाला एक परिवार ऐसा है, जो छह सालों से घर के सभी सदस्यों के साथ मिलकर पर्यावरण बचाने के लिए मिट्टी एवं प्राकृतिक रंगों से भगवान गणेश की मूर्तियों का निर्माण कर रहा है.

मिट्टी के गणेश बनाकर पर्यावरण बचाने का संदेश दे रहा ये परिवार

जहां कम लागत में ज्यादा कमाने के चक्कर में मूर्तिकार पीओपी की मूर्तियां बनाते हैं, जो पर्यावरण को दूषित करता है. वहीं ये परिवार मिट्टी के गणेश बनाकर समाज को पर्यावरण बचाने का संदेश दे रहा है. खास बात ये है कि उनके इस कार्य में एक मुस्लिम युवक शेख अशरफ मदद करता है, अशरफ मूर्तियां बनाने के लिए नदी और खेतों की मिट्टी और कपास की व्यवस्था करता है.

मूर्तिकार स्वाति वाणे ने बताया कि मिट्टी के गणेश बनाने के लिए परिवार के सभी सदस्यों सहित अशरफ उनका सहयोग करते हैं और इस काम की प्रेरणा उन्हें ब्राह्मण समाज से मिली है, जिसके चलते विगत छह वर्षों से मिट्टी की मूर्तियां बना रहे हैं. इस बार भी लगभग 400 मूर्तियां बनाई हैं.

इन मूर्तियों को आकर्षक और सुंदर बनाने के लिए प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है. इसकी वजह से विसर्जन के बाद नदियों और तालाबों का जल दूषित नहीं होता और कुछ समय बाद ही मूर्तियां पानी में घुल जाती हैं, जिससे प्रकृति को भी नुकसान नहीं पहुंचता है.

बुरहानपुर। शहर के राजपुरा में रहने वाला एक परिवार ऐसा है, जो छह सालों से घर के सभी सदस्यों के साथ मिलकर पर्यावरण बचाने के लिए मिट्टी एवं प्राकृतिक रंगों से भगवान गणेश की मूर्तियों का निर्माण कर रहा है.

मिट्टी के गणेश बनाकर पर्यावरण बचाने का संदेश दे रहा ये परिवार

जहां कम लागत में ज्यादा कमाने के चक्कर में मूर्तिकार पीओपी की मूर्तियां बनाते हैं, जो पर्यावरण को दूषित करता है. वहीं ये परिवार मिट्टी के गणेश बनाकर समाज को पर्यावरण बचाने का संदेश दे रहा है. खास बात ये है कि उनके इस कार्य में एक मुस्लिम युवक शेख अशरफ मदद करता है, अशरफ मूर्तियां बनाने के लिए नदी और खेतों की मिट्टी और कपास की व्यवस्था करता है.

मूर्तिकार स्वाति वाणे ने बताया कि मिट्टी के गणेश बनाने के लिए परिवार के सभी सदस्यों सहित अशरफ उनका सहयोग करते हैं और इस काम की प्रेरणा उन्हें ब्राह्मण समाज से मिली है, जिसके चलते विगत छह वर्षों से मिट्टी की मूर्तियां बना रहे हैं. इस बार भी लगभग 400 मूर्तियां बनाई हैं.

इन मूर्तियों को आकर्षक और सुंदर बनाने के लिए प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है. इसकी वजह से विसर्जन के बाद नदियों और तालाबों का जल दूषित नहीं होता और कुछ समय बाद ही मूर्तियां पानी में घुल जाती हैं, जिससे प्रकृति को भी नुकसान नहीं पहुंचता है.

Intro:बुरहानपुर। कम लागत में ज्यादा रुपये कमाने के चक्कर में जहां एक और मूर्तिकार पीओपी यानी प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां बनाकर पर्यावरण दूषित कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर ब्रानपुर के राजपुरा में रहने वाला एक परिवार ऐसा भी है जो 6 वर्षों से घर के सभी सदस्यों के साथ मिलकर पर्यावरण बचाने के लिए मिट्टी एवं प्राकृतिक रंगों से भगवान श्री गणेशजी की मूर्तियों का निर्माण कर रहा है, खास बात तो यह है कि उनके इस कार्य में एक मुस्लिम युवक शेख अशरफ उनकी मदद करते हैं, दरअसल अशरफ मूर्तियां बनाने के लिए नदी का गल और खेतों की मिट्टी और कपास की व्यवस्था कराता है।


Body:शेख अशरफ का कहना है कि हर व्यक्ति मिट्टी से निर्मित प्रतिमाएं विराजित करें ताकि पर्यावरण नदीयों और तालाबों के जल को दूषित होने से बचाया जा सके, वही मूर्तिकार स्वाति वाले ने बताया कि मिट्टी के गणेशजी प्रतिमाएं बनाने के लिए परिवार के सभी सदस्यों सहित अशरफ सहयोग करते हैं, मिट्टी की मूर्तियों के निर्माण करने की प्रेरणा उन्हें ब्राह्मण समाज से मिली है जिसके चलते विगत 6 वर्षों से मिट्टी की मूर्तियों के निर्माण कार्य में जुटे हुए हैं, इन मूर्तियों को आकर्षक एवं शानदार बनाने के लिए प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है, इसके अलावा विसर्जन के बाद नदियों और तालाबों का जल दूषित नहीं होता और कुछ समय बाद ही मूर्तियां पानी में घुल जाती है, जिससे प्रकृति को हानि नहीं पहुंचती, वही पर्यावरण को सहेजने का कार्य भी हो जाता है, इन मूर्तियों के निर्माण में उन्हें 8 से 9 महीने लगते हैं।


Conclusion:बाईट 01:- स्वाति वाणे, मूर्तिकार।
बाईट 02:- शेख अशरफ, सहयोगी।
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