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पानी की कमी से केले की फसल पर संकट, खुद अपने हाथों से काटकर फेंकने को मजबूर किसान

बुरहानपुर जिला भीषण जल संकट से जूझ रहा है. इसका असर यहां केले की फसल पर पड़ रहा है. पानी की कमी के चलते केला फसल सूखने की कगार पर है. नौबत यहां तक आ गई है कि किसान अपनी केले की खड़ी फसल को खुद अपने हाथों से काटकर फेंकने को मजबूर हो रहे हैं.

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Published : Jun 20, 2019, 5:22 PM IST

पानी की कमी से सूखने की कगार पर केले की फसल

बुरहानपुर। प्रदेश भर में इस समय लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं, वहीं जिले में केले की फसल को इसका सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ रहा है. पानी की कमी के कारण केले की फसल सूखने लगी है. इसकी वजह से किसान अपनी केले की खड़ी फसल को खुद अपने हाथों से काटकर फेंकने को मजबूर हो रहे हैं. इसके चलते किसानों को लाखों का नुकसान झेलना पड़ रहा है.

पानी की कमी से सूखने की कगार पर केले की फसल

ये है मामला

⦁ बुरहानपुर जिला पावरलूम उद्योग और केले की खेती के लिए पूरे प्रदेश में अपना एक विशेष स्थान रखता है.
⦁ जिले में लगातार गिरते जलस्तर और समय पर वर्षा नहीं आने के चलते केला फसल सूखने की कगार पर पहुंच चुकी है.
⦁ केले के पौधे को बड़ा होने तक प्रति पौधा करीब 100 रुपये खर्च आता है.
⦁ बाजार में केले का दाम भी सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं.
⦁ उद्यानिकी विभाग के अधिकारी रामनरेश तोमर का कहना है कि जिले में करीब 20 हजार 300 हेक्टेयर भूमि पर केले के फसल की पैदावार की जाती है. मानसून की देरी और जल स्त्रोत पूरी तरह बंद होने से पर्याप्त सिंचाई नहीं हो पा रही है.
⦁ अधिकारी का कहना है कि अभी वर्तमान हालात काबू में हैं, लेकिन मानसून एक हफ्ता और देरी से आता है, तो केले की खेती में किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

बुरहानपुर। प्रदेश भर में इस समय लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं, वहीं जिले में केले की फसल को इसका सबसे ज्यादा खामियाजा उठाना पड़ रहा है. पानी की कमी के कारण केले की फसल सूखने लगी है. इसकी वजह से किसान अपनी केले की खड़ी फसल को खुद अपने हाथों से काटकर फेंकने को मजबूर हो रहे हैं. इसके चलते किसानों को लाखों का नुकसान झेलना पड़ रहा है.

पानी की कमी से सूखने की कगार पर केले की फसल

ये है मामला

⦁ बुरहानपुर जिला पावरलूम उद्योग और केले की खेती के लिए पूरे प्रदेश में अपना एक विशेष स्थान रखता है.
⦁ जिले में लगातार गिरते जलस्तर और समय पर वर्षा नहीं आने के चलते केला फसल सूखने की कगार पर पहुंच चुकी है.
⦁ केले के पौधे को बड़ा होने तक प्रति पौधा करीब 100 रुपये खर्च आता है.
⦁ बाजार में केले का दाम भी सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं.
⦁ उद्यानिकी विभाग के अधिकारी रामनरेश तोमर का कहना है कि जिले में करीब 20 हजार 300 हेक्टेयर भूमि पर केले के फसल की पैदावार की जाती है. मानसून की देरी और जल स्त्रोत पूरी तरह बंद होने से पर्याप्त सिंचाई नहीं हो पा रही है.
⦁ अधिकारी का कहना है कि अभी वर्तमान हालात काबू में हैं, लेकिन मानसून एक हफ्ता और देरी से आता है, तो केले की खेती में किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

Intro:बुरहानपुर जिले में एक और जहां आमजन पानी के लिए त्राहि-त्राहि हो रहा है, वहीं दूसरी ओर जिले की सबसे महत्वपूर्ण कही जाने वाली केला फसल भी इस जल संकट का शिकार हो रही है, मानसून कि करीब एक पखवाड़े की देरी ने केला किसानों को आंखों में आंसू ला दिए हैं, नौबत यहां तक आ गई कि अब किसान अपनी केले की खड़ी फसल को खुद अपने हाथों से काटकर फेंकने को मजबूर हो रहे हैं, इस संबंध में जिला प्रशासन व उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने भी अब अपने हाथ टेकने प्रारंभ कर दिए हैं।




Body:बुरहानपुर जिला एक पावरलूम उद्योग और दूसरा केले की फसल के लिए पूरे प्रदेश में अपना एक विशेष स्थान रखता है, किंतु अब यही केले की फसल किसानों के लिए दु:खदायी साबित होती जा रही है, जिले में जलस्तर के लगातार गिरने व समय पर वर्षा नहीं आने के चलते केला फसल सूखने की कगार पर पहुंच चुकी है, किसानों के अनुसार केले के पौधे को बड़ा होने तक प्रति पौधा करीब 100 रुपये खर्च आता है, परंतु वर्तमान समय में पानी की कमी व भीषण गर्मी के चलते फसलें सूख रही है, वहीं बाजार में केले के दाम भी सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं, उद्यानिकी विभाग के अधिकारी रामनरेश तोमर ने बताया कि जिले में करीब 20 हजार 300 हेक्टेयर भूमि पर केले की फसल का पैदावार की जाती है, लेकिन इस समय मानसून की देरी से व जल स्त्रोतों के दम तोड़ देने से पर्याप्त सिंचाई नहीं हो पा रही है, अभी वर्तमान में हालात काबू में है लेकिन मानसून एक हफ्ता और देरी से आता है तो केला फसल किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।


Conclusion:बाईट 01:- राजेश कुरील, किसान।
बाईट 02:- रामनरेश तोमर, उपसंचालक उद्यानिकी विभाग।
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