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बुरहानपुर का असीरेश्वर शिव मंदिर, यहां अश्वत्थामा आज भी करते हैं भगवान शिव की आराधना

असीरगढ़ किले के शिव मंदिर के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं. ये मंदिर काफी रहस्यमयी है. कहा जाता है कि यहां अश्वत्थामा आज भी भगवान शिव की आराधना करने आते हैं.

बुरहानपुर का असीरेश्वर शिव मंदिर
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Published : Aug 22, 2019, 3:33 PM IST

बुरहानपुर। हमारे देश में एक से बढ़कर एक किले हैं. जो खुद में एक से बढ़कर एक रहस्य और कहानियां समेटे हुए हैं. ऐसा ही बुरहानपुर का असीरगढ़ का किला है, जो और हमें इतिहास से रु-ब-रु कराता है.

यहां अश्वत्थामा आज भी करते हैं भगवान शिव की आराधना

असीरगढ़ किले को अहीर राजवंश के राजा आसा अहीर ने बनाया था. यह किला देखने में जितना अद्भुत है उतना ही पौराणिक भी है. किले में असीरेश्वर शिव मंदिर स्थित है, जहां अश्वत्थामा आज भी शिवलिंग की अराधना करने आता है.

इतिहासकारों के मुताबिक अश्वत्थामा पांडवों के शिविर में पांडवों की हत्या करने गया था, लेकिन पांडवों के शिविर में नहीं मिलने पर उसने उनके बेटों को मौत के घाट उतार दिया था. इतिहास कार के मुताबिक अश्वत्थामा द्वारा की गई हत्या से पांडव बेहद नाराज थे. और इस दरमियान अर्जुन और अश्वत्थामा ने एक दूसरे पर ब्रह्मास्त्र चलाए थे. हालांकि वेदव्यास के कहने पर अर्जुन अपना ब्रम्हास्त्र वापस ले लिए थे. लेकिन अश्वत्थामा अस्त्र वापस नहीं ले सका. बाद में अश्वत्थामा के अस्त्र का निशाना अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा हुईं. हालांकि भगवान श्रीकृष्ण के रक्षा चक्र ने अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ की रक्षा की थी.

स्थानीय लोगों और इतिहासकारों का दावा है कि अश्वत्थामा अपने पिता द्रोणाचार्य की मौत का बदला लेने के लिए पांडवों की हत्या करने गया था. लेकिन उसकी एक चूक भारी पड़ गई. भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें युगों-युगों तक भटकने का श्राप दे दिया, अश्वत्थामा तकरबीन पांच हजार सालों से भटक रहा है.

बुरहानपुर। हमारे देश में एक से बढ़कर एक किले हैं. जो खुद में एक से बढ़कर एक रहस्य और कहानियां समेटे हुए हैं. ऐसा ही बुरहानपुर का असीरगढ़ का किला है, जो और हमें इतिहास से रु-ब-रु कराता है.

यहां अश्वत्थामा आज भी करते हैं भगवान शिव की आराधना

असीरगढ़ किले को अहीर राजवंश के राजा आसा अहीर ने बनाया था. यह किला देखने में जितना अद्भुत है उतना ही पौराणिक भी है. किले में असीरेश्वर शिव मंदिर स्थित है, जहां अश्वत्थामा आज भी शिवलिंग की अराधना करने आता है.

इतिहासकारों के मुताबिक अश्वत्थामा पांडवों के शिविर में पांडवों की हत्या करने गया था, लेकिन पांडवों के शिविर में नहीं मिलने पर उसने उनके बेटों को मौत के घाट उतार दिया था. इतिहास कार के मुताबिक अश्वत्थामा द्वारा की गई हत्या से पांडव बेहद नाराज थे. और इस दरमियान अर्जुन और अश्वत्थामा ने एक दूसरे पर ब्रह्मास्त्र चलाए थे. हालांकि वेदव्यास के कहने पर अर्जुन अपना ब्रम्हास्त्र वापस ले लिए थे. लेकिन अश्वत्थामा अस्त्र वापस नहीं ले सका. बाद में अश्वत्थामा के अस्त्र का निशाना अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा हुईं. हालांकि भगवान श्रीकृष्ण के रक्षा चक्र ने अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ की रक्षा की थी.

स्थानीय लोगों और इतिहासकारों का दावा है कि अश्वत्थामा अपने पिता द्रोणाचार्य की मौत का बदला लेने के लिए पांडवों की हत्या करने गया था. लेकिन उसकी एक चूक भारी पड़ गई. भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें युगों-युगों तक भटकने का श्राप दे दिया, अश्वत्थामा तकरबीन पांच हजार सालों से भटक रहा है.

Intro:बुरहानपुर जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर असीरगढ़ गांव स्थित सतपुड़ा की पहाड़ियों पर बना असीरगढ़ किला देखने में जितना सुंदर है, उतनी ही इस किले की हजारों कहानियां इसमें दफन है, बता दें कि असीरगढ़ किले में स्थित असीरेश्वर शिव मंदिर में अश्वत्थामा के आने का दावा स्थानीय लोगों व इतिहासकारों सहित पुरातत्व विभाग भी करता है, दरअसल पुरातत्व विभाग द्वारा मंदिर के बाहर लगाए गए शिलालेख पर स्पष्ट लिखा है कि यह मंदिर अत्यंत प्राचीन है, यहां गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा रोजाना पूजा-अर्चना करने आते हैं, इस मंदिर में अन्य प्रदेशों सहित स्थानीय पर्यटक और श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं।


Body:हजारों सालों से अश्वत्थामा के जीवित होने की कहानी उनके अमरता की नहीं बल्कि भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिए गए श्राप की है, इतिहासकारों के मुताबिक अश्वत्थामा पांडवों के शिविर में पांडवों की हत्या करने गए थे, लेकिन पांडव शिविर में नहीं मिले तो उनके पुत्रों की हत्या कर दी, जैसे ही अश्वत्थामा के दुस्साहस के बारे में पांडवों को ज्ञात हुआ तो, वे क्रोधित हो गए इस दरमियान अश्वत्थामा और भीम का सामना हुआ या गुस्से से लबरेज दोनों ने एक दूसरे पर ब्रह्मास्त्र बाण चलाए सृष्टि के कल्याण के लिए भगवंत वेदव्यास ने दोनों को अपने-अपने अस्त्र वापस लेने की विनती की, जिसके बाद अर्जुन ने वेदव्यास के कहने पर अपना अस्त्र वापस ले लिया,किंतु अश्वत्थामा अस्त्र वापस लेने में असमर्थ थे, जबकि अश्वत्थामा से वेदव्यास ने जीवविहीन जगह पर चलाने की विनती की थी, लेकिन क्रोध में अश्वत्थामा ने द्वेष की भावना से अस्त्र का निशाना भीम की बहू वह अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ पर चलाया, तब भगवान श्रीकृष्ण के रक्षा चक्र ने अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ की रक्षा की।


Conclusion:अश्वत्थामा के इस कृत्य से नाराज होकर भगवान श्री कृष्णा ने उन्हें श्राप देते हुए कहा था कि तुम हजारों साल युगो-युगो तक भटकते रहोगे, लोग तुम्हारा तिरस्कार करेंगे, तुम्हारी परछाई से दूर भागेंगे, तुम खुद अपनी सूरत देख कर अपने आप से घृणा करोंगे कहते हुए भीम से अश्वत्थामा के सिर से दिव्यमणि निकलवाया था, कहा जाता है कि अश्वत्थामा देश के शिवालयों में पूजा-अर्चना करने जाते हैं, जिसमे असीरगढ़ का असीरेश्वर शिव मंदिर भी शामिल हैं, यहां लोग यह भी दावा कर चुके हैं कि उन्होंने अश्वत्थामा को देखा है, इतना ही नहीं यह भी कहा जाता है कि जो भी अश्वत्थामा को देखता है उसकी आंखों की रोशनी चली जाती है।

1 पीटीसी सोनू सोहले
2 पीटीसी सोनू सोहले-बाईट 1 गजानन, पर्यटक महाराष्ट्र-बाईट 2 राजेश भगत, स्थानीय।
3 पीटीसी सोनू सोहले
बाईट 01:- निवृत्ति महाजन, पर्यटक महाराष्ट्र।
बाईट 02:- होशंग हवलदार, इतिहासकार।
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