भोपाल। मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस ने कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन से बन रहे हालातों पर चिंता जाहिर की. एमपी कांग्रेस के प्रवक्ता अमन दुबे ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद अब देश में "बेरोजगारी की महामारी" भयावह होने वाली है. कोरोना के बाद देश मे भीषण बेरोजगारी बढ़ने के आसार हैं.
प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रवक्ता अमन दुबे का कहना है कि 130 करोड़ आबादी वाले देश मे लगभग 30 करोड़ आबादी 15 साल से कम लोगों की है, लगभग 55 करोड़ आबादी बिना काम करने वालों और बुजुर्गों की है.
इन सभी को मिलाकर लगभग 85 करोड़ की आबादी जो बिना काम करने वाले हैं, या ये कहें कि जिन्हें उस वक्त पर कार्य की जरूरत नहीं है. देश मे 45 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्हें अपनी जीविका चलाने के लिए रोजगार की आवश्यकता है.
कोरोना महामारी और लॉकडाउन से लाखों लोगो की जीविका पर खतरा
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की रिपोर्ट के अनुसार सितंबर से दिसंबर के बीच देश में बेरोजगारी दर लगभग 10 प्रतिशत थी (कोरोना महामारी के पहले). पहले 45 करोड़ लोगों में लगभग 5 करोड़ लोग बेरोजगार थे, (ये वो लोग हैं जो काम करने के लिए इच्छुक हैं, जिन्हें अपना घर परिवार चलाने के लिए जीविका की आवश्यकता है), देश में पिछले 45 सालों में बेरोजगारी दर सर्वाधिक है.
- ग्रेजुएट शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी दर लगभग 17 प्रतिशत है, हम यह भी कह सकते हैं कि हर 6 वां शिक्षित युवा बेरोजगार है.
- शहरी बेरोजगारी दर लगभग 11.6 प्रतिशत है.
- देश मे 20 वर्ष से 24 वर्ष के युवाओं में लगभग 41.1 प्रतिशत बेरोजगारी दर है, हम यह भी कह सकते हैं कि हर दूसरा या तीसरा युवा बेरोजगार है.
- महिलाओं में बेरोजगारी दर लगभग 26.4 प्रतिशत है, यानी हर तीसरी महिला बेरोजगार है.
- देश में 40 करोड़ लोगों में से सिर्फ 5 करोड़ लोग पक्की नौकरी वाले हैं, जिसमें से 2.5 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनकी नौकरी पक्की है या यूं कहें कि ये वो लोग हैं जो इस महामारी के बाद भी अपनी नौकरी ज्वाइन कर सकते हैं. बाकी बचे 2.5 करोड़ लोग वो हैं, जिनकी नौकरी तो पक्की नही हैं. लेकिन एक उम्मीद है कि हो सकता है, शायद उनकी नौकरी वापस मिल जाए.
- देश में लगभग 18 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो किसान हैं या मजदूर वर्ग के हैं.
- देश में लगभग 6 करोड़ लोग ऐसे हैं, जो सेल्फ एम्पलॉइड हैं.
अब बचे हुए बाकी 11 करोड़ लोग जो दिहाड़ी पर मजदूरी करते हैं, ऐसे लोगों को एक तरफ जीविका संकट वहीं दूसरी तरफ आजीविका का संकट खड़ा हो गया है. देश मे आगे आने वाली बेरोजगारी नाम की इस भीषण महामारी से लड़ने के लिए ठोस कदम उठाने और सचेत रहने की शख्त आवश्यकता है.