भोपाल। साल 2020 पूरी दुनिया के लिए उथलपुथल भरा साल रहा है. कोरोना महामारी के दौरान शिक्षा का कल्चर पूरी तरह बदल गया. इस दौरान छात्रों को शिक्षा देने के लिए ऑनलाइन एजुकेशन का नया ट्रेंड शुरू हुआ. स्कूल से लेकर कॉलेज तक के छात्रों के लिए ऑनलाइन क्लासेस शुरू की गईं. यहां तक की परीक्षाएं भी ऑनलाइन आयोजित की जाने लगीं.
शिक्षा पर ऐसे पड़ा कोरोना का असर
मार्च 2020 में जब देशभर में संपूर्ण लॉकडाउन के चलते सभी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बंद कर दिए गए, तो छात्र और अभिभावकों के मन में यही सवाल था कि उनकी पढ़ाई कैसे होगी. स्कूल, कॉलेज और शिक्षण संस्थान बंद होने की वजह से छात्रों की पढ़ाई का बेहद नुकसान हुआ, जिसके चलते सरकार ने छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा देने का फैसला किया. सभी स्कूल और कॉलेजों ने छात्रों को डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से पढ़ाना शुरू किया. हालांकि, शहरों से दूर गांवों के छात्रों को खराब इंटरनेट कनेक्टिविटी या स्मार्टफोन न होने के कारण क्लासेस लेने में काफी मुश्किलों का सामना करना पढ़ा. इस समस्या को देखते हुए कई राज्य सरकारों ने छात्रों के लिए दूरदर्शन, रेडियो के माध्यम से भी शिक्षा देने का प्रयास किया. छात्रों के लिए यूट्यूब पर भी वीडियो अपलोड करके उन्हें पढ़ाया गया और अभी तक ये प्रयास जारी हैं.
कोरोना के चलते स्थगित हुई बोर्ड परीक्षाएं
लॉकडाउन के चलते कॉलेजों में चल रही फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षाएं भी स्थगित हुई. इसका असर ये हुआ कि कॉलेजो में फाइनल ईयर की परीक्षाएं ओपन बुक पैटर्न पर आयोजित कराई गई. इसमें उन छात्रों को सबसे ज्दाया नुकसान हुआ जो इंजीनियरिंग, आईटीआई जैसे कोर्स कर रहे हैं. इनकी पढ़ाई केवल प्रेक्टिकल पर ही निर्भर करती है.
कोरोना काल में नहीं हुए छात्रों के प्लेसमेंट
कोरोन संकट काल में लाखों छात्र डिग्री लेकर भी बेरोजगार की श्रेणी में आ गए. कोविड-19 के चलते कॉलेजों में कंपनियां नहीं आई जो कंपनी आई वो छात्रों के जीरो एक्सपीरिएंस पर उन्हें लेके नहीं गई. आज प्रदेश के टॉपर बच्चे इंजीनियरिंग और एमबीए की डिग्री लेके चौकीदारी या कॉल सेंटर पर कालिंग की नॉकरी करने को मजबूर हो गए.
कंपटीशन एग्जाम की तैयारी पर कोरोना का असर
टोटल लॉकडाउन की वजह से प्रदेश की सभी कोचिंग संस्थाने मार्च माह से आज तक बंद है. जिसके चलते प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले लाखों छात्रों का ये साल बर्बाद हो गया. हजारों छात्र कोचिंग संस्थाओं में लाखों रुपये फीस दे चुके थे और कोरोना संक्रमण के चलते बंद पड़ी कोचिंग संस्थानें ऑनलाइन मोड पर आ गई. लेकिन ऑनलाइन क्लासेस से छात्रों के लिए पढ़ाई केवल औपचारिकता साबित हुई ऐसे में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए साल 2020 किसी बुरे वक्त की तरह साबित हुआ अब छात्रों को नए साल से काफी उम्मीदें हैं.
नए साल में होंगे नए नवाचार: स्कूल शिक्षा मंत्री
प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि साल 2020 हम सभी के लिए बुरे दौर की तरह था. कोरोना वायरस की वजह से हर किसी के जीवन पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ा है. प्रदेश के छात्रों की पढ़ाई का बहुत नुकसान हुआ. हालांकि इस नुकसान की पूर्ति अगले साल में करने का प्रयास किया जायेगा. उन्होंने कहा इस साल तो छात्रों का साल बर्बाद हो चुका है, लेकिन हम 2021 में कोरोना के साथ आगे बढ़ेंगे. नियमित कक्षाएं लगाएंगे ओर जो नुकसान 2020 में हुआ है उसकी भरपाई साल 2021 में करेंगे और बेहतर काम करेंगे. नई शिक्षा नीति लागू करेंगे. जिससे प्रदेश के सभी छात्रों को लाभ मिलेगा.
नई शिक्षा नीति के साथ होंगे कई बदलाव
वहीं प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने भी इस साल को शैक्षणिक क्षेत्र में बर्बादी का कारण बताया है. उन्होंने कहा कि कोरोना ने शिक्षा पर बुरा प्रभाव डाला है, लेकिन हमें आने वाले साल से बहुत उम्मीद है. हम नए साल में कई नवाचार करेंगें. नई शिक्षा नीति लागू करेंगे. युवाओं को रोजगार मिले प्रदेश के युवाओं का भविष्य उज्ज्वल हो इसके लिए हर संभव प्रयास करेंगे.
2021 से नई उम्मीद
नए साल से युवाओं को आगे बढने की उम्मीद है. पिछले साल कोरोना के कारण युवाओं के लिए संचालित कुशल युवा कार्यक्रम बुरी तरह प्रभावित हुआ. लेकिन, आनेवाले वर्ष से यह उम्मीद जगी है कि कुशल युवा कार्यक्रम के तहत मिलनेवाला प्रशिक्षण माध्यमिक कक्षा में ही छात्रों को आत्म निर्भर बनाने के लिए प्रेरित करेगा. इसके अलावा निजी स्कूलों में कोरोना के कारण कायम आर्थिक संकट समाप्त होगा.