हैदराबाद। हर साल नौ अगस्त को आदिवासी समुदाय द्वारा विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है. आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए इस दिन को मनाया जाता है. दुनियाभर में आदिवासियों की 5 हजार तरह के आदिवासी समुदाय है. माना जाता है कि दुनियाभर में आदिवासियों की जनसंख्या 37 करोड़ से ज्यादा है.
क्या है विश्व आदिवासी दिवस का इतिहास ?
दुनियाभर में आदिवासी समूह बेरोजगारी, बाल श्रम और अन्य समस्याओं का शिकार हो रहे थे. इसलिए संयुक्त राष्ट्र को आदिवासियों के हालात देखकर UNWGIP (स्वदेशी जनसंख्या पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह) संगठन बनाने की आवश्यकता पड़ी. दिसंबर 1994 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा पहली बार अंतरराष्ट्रीय जनजातीय दिवस मनाने का निर्णय लिया गया और साल 1982 में स्वदेशी जनसंख्या पर संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक के दिन को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाने के लिए चिह्नित किया गया.
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भारत में जनजातियां
भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत भारत में जनजातीय समुदायों को मान्यता दी गई है. इसलिए संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त जनजातियों को 'अनुसूचित जनजाति' के रूप में जाना जाता है. भारत में लगभाग 645 प्रकार की अलग-अलग जनजातियां हैं. देश के हर राज्य में आदिवासियों की अलग-अलग जनजातियां पाई जाती है.
मध्य प्रदेश की जनजातियां
2011 जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश में आदिवासियों की जनसंख्या प्रदेश की कुल आबादी की 20 फीसदी है. आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में आदिवासी समुदाय के डेढ़ करोड़ से ज्यादा लोग निवास करते हैं. मध्य प्रदेश में 43 प्रकार के आदिवासी समूह निवास करते हैं. मध्य प्रदेश में भील भिलाला आदिवासी समूह की जनसंख्या 60 लाख से ज्यादा है, वहीं गोंड समुदाय के आदिवासियों की जनसंख्या भी 60 लाख से ज्यादा है. भील-भिलाला, गोंड के अलावा मध्य प्रदेश में कोलस कोरकू सहरिया आदिवासी समुदाय के लोग निवास करते हैं