भोपाल। आज विश्व रक्तदान दिवस (World Blood Donor Day) मनाया जा रहा है. कोरोना काल में इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि कोरोना संकट के बीच रक्तदान करने वालों की संख्या में कमी आई है. कोरोना के दौरान लगे लॉकडाउन में कई बार ब्लड बैंकों में रक्त की कमी के मामले सामने आए. इसके अलावा कोरोना के बाद से स्वैच्छिक रक्तदान के मामलों में भी कमी आई है. लेकिन आज भी कुछ लोग है जो इस कमी को दूर करने के लिए लगातार काम कर रहे है.
10 साल से चला रहे हैं ब्लड डोनर ग्रुप
दुर्गेश केसवानी वैसे तो बीजेपी से ताल्लुक रखते हैं. लेकिन पिछले 10 सालों से रक्तदान के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. दुर्गेश केसवानी ने इसके लिए एक सामाजिक ग्रुप बना रखा है. इस ग्रुप का काम ब्लड डोनेशन के लिए काम करना है. दिन हो या रात जब भी किसी को खून की आवश्यकता पड़ती है दुर्गेश केसवानी और उनके ग्रुप से जुड़े लोग उसकी मदद करने में जुट जाते हैं. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इस ग्रुप के लोगों ने प्लाज्मा डोनेशन के लिए भी काम किया. दुर्गेश बताते हैं कि 10 सालों में उनके इस ग्रुप में 10 हजार से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं.
थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के लिए काम करती है मधुबाला
दुर्गेश केसवानी की तरह ही एक युवा छात्रा मधुबाला भी ब्लड डोनेशन के क्षेत्र में सराहनीय कार्य कर रही है. भोपाल में रहकर पढ़ाई कर रही मधुबाला ने ब्लड डोनेशन के लिए अपना एक ग्रुप बना रखा है. मधुबाला बताती है कि उनका ग्रुप थैलेसीमिया (Thalassemia) से पीड़ित बच्चों तक ब्लड पहुंचाने का काम करता है. मधुबाला बताती है कि कॉलेज के शुरुआती दिनों में उन्होंने एक बार शौक-शौक में ब्लड डोनेट किया था, उसी दौरान उनके मन में ब्लड डोनेशन के क्षेत्र में काम करने का विचार आया और उन्होंने इस ग्रुप की शुरुआत की थी. मधुबाला बताती ही कि कोरोना के समय में उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ा लेकिन वो लगातार ब्लड डोनेशन के लिए काम करती रही.
कोरोना काल में नहीं होने दी कमी
मध्य प्रदेश नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) की डिप्टी डायरेक्टर रूबी खान का कहना है कि कोरोना की पहली लहर के बाद ब्लड डोनेशन में ज्यादा कमी नहीं देखी गई थी लेकिन दूसरी लहर में ब्लड कलेक्शन में कमी आई थी. रूबी खान ने बताया कि सरकार इस तरह की परेशानियों को लेकर पहले से जागरुक थी इसलिए कहीं भी खून की कमी नहीं आने दी गई.
14 जून को मनाया जाता है विश्व रक्तदान दिवस
विश्व रक्तदान दिवस हर साल 14 जून को मनाया जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस दिन को रक्तदान दिवस के रूप में घोषित किया गया है. साल 2004 में स्थापित इस कार्यक्रम का उद्देश्य सुरक्षित रक्त रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाना और रक्तदाताओं के सुरक्षित जीवन रक्षक रक्त के दान करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करते हुए आभार व्यक्त करना है. इस बार WHO ने रक्तदान दिवस की थीम "खून दो और दुनिया को धड़काते रहो" (Give blood and keep the world beating) रखी है.
क्यों मनाते हैं विश्व रक्त दाता दिवस ?
14 जून को नोबल प्राइस विजेता कार्ल लैंडस्टेनर (Karl Landsteiner) का जन्म हुआ था. यही वे साइंटिस्ट हैं, जिन्होंने ABO ब्लड ग्रुप सिस्टम खोजने का श्रेय मिला है. ब्लड ग्रुप्स का पता लगाने वाले कार्ल लैंडस्टीनर के जन्मदिन के दिन ही विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है. कार्ल लैंडस्टीनर के द्वारा ब्लड ग्रुप्स का पता लगाए जाने से पहले तक ब्लड ट्रांसफ्यूजन बिना ग्रुप के जानकारी होता था. इस खोज के लिए ही कार्ल लैंडस्टाईन को सन 1930 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
विश्व रक्तदान दिवस के मौके पर आपको ब्लड डोनेशन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताते हैं.
- ब्लड डोनेट करते समय डोनर के शरीर के केवल एक यूनिट ब्लड ही लिया जाता है
- एक सामान्य व्यक्ति के शरीर में 10 यूनिट यानी 5 से 6 लीटर ब्लड होता है
- O नेगेटिव ब्लड ग्रुप को यूनिवर्सल डोनर कहलाता है, इसे किसी भी ब्लड ग्रुप के व्यक्ति को दिया जा सकता है
- इमरजेंसी के समय या किसी नवजात बच्चे को तत्काल बल्ड देने की जरुरत हो तो उसे O नेगेटिव खून चढ़ाया जाता है
- भारत में सिर्फ 7 फीसदी लोगों का बल्ड ग्रुप O नेगेटिव है
- सामान्य व्यक्ति 18 से 60 वर्ष की आयु तक रक्त दान कर सकता हैं
- पुरुष 3 महीने और महिलाएं 4 महीने के अंतराल में रक्तदान कर सकती हैं
- अगर रक्तदान के बाद चक्कर आना, पसीना आना, वजन कम होने की समस्या हो रही तो रक्तदान न करें
- रक्तदान से हार्ट अटैक की आशंका कम होती है, क्योंकि ब्लड डोनेट करने स खून पतला होता है
- रिसर्च के मुताबिक ब्लड डोनेट करने से कैंसर और अन्य बीमारियों का खतरा भी कम होता है