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कोरोना से बड़ा वायरस बना भूख! राजधानी भोपाल को न बना दे बांद्रा-सूरत-दिल्ली

भोपाल के जवाहर चौक पर झोपड़ी बनाकर रहने वाले लोगों को सरकार की तरफ से मदद नहीं मिल रही है, ऐसे में संभव है कि भूख की आग दिल्ली-बांद्रा और सूरत जैसे हालात राजधानी भोपाल में न बना दे.

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परेशान मजदूर
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Published : Apr 15, 2020, 6:55 PM IST

Updated : Apr 15, 2020, 8:06 PM IST

भोपाल। कोरोना के कहर ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है, बड़ी से बड़ी अर्थव्यवस्था बेबस और लाचार दिख रही हैं, भारत भी कोरोना से सीधी जंग लड़ रहा है, इस जंग में कोरोना सिपाहियों के सामने कई चुनौतियां हैं, जिसमें गरीबों की भूख मिटाने से लेकर उनके ठंडे चूल्हे जलाना सबसे बड़ी चुनौती है. लॉकडाउन के चलते जहां लोगों के रोजी-रोजगार छिन गए हैं, वहीं उनके सामने कोरोना से बड़ा वायरस भूख बनकर उनके सामने खड़ा है.

दो वक्त की रोटी को मोहताज मजदूर

प्रशासन की तरफ से दावा किया जा रहा है कि वो गरीबों को तमाम सुविधाएं मुहैया करा रहा है, लेकिन जमीन पर ये दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. भोपाल में सैकड़ों ऐसे मजदूर हैं जो लोहा पीटने का काम करते हैं. शहर के अलग-अलग इलाकों में ये लोग झोपड़िया बनाकर सालों से रह रहे हैं, जो आज दो जून की रोटी को मोहताज हैं.

भोपाल के जवाहर चौक पर झोपड़ी बनाकर रहने वाले ये लोग राजस्थान से भोपाल रोजगार की तलाश में आए थे, लेकिन आज ये सभी भूख से तड़प रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं की जा रही है. एक स्कूल टीचर है, जो उनकी भूख मिटाता है. उनके पास न कोई राशन कार्ड है और न ही कोई आधार कार्ड है. ये सभी सालों से भोपाल में रहकर लोहा पीटने का काम करते हैं.

जवाहर चौक ही नहीं शहर के अलग-अलग इलाकों में जैसे मिसरोद, खानपुर में भी ये सभी डेरा जमाकर अपना काम करते हैं. लिहाजा अगर सरकार इनकी तरफ ध्यान नहीं देती है तो कहीं दिल्ली-मुंबई और सूरत जैसे हालात न बन जाएं.

भोपाल। कोरोना के कहर ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है, बड़ी से बड़ी अर्थव्यवस्था बेबस और लाचार दिख रही हैं, भारत भी कोरोना से सीधी जंग लड़ रहा है, इस जंग में कोरोना सिपाहियों के सामने कई चुनौतियां हैं, जिसमें गरीबों की भूख मिटाने से लेकर उनके ठंडे चूल्हे जलाना सबसे बड़ी चुनौती है. लॉकडाउन के चलते जहां लोगों के रोजी-रोजगार छिन गए हैं, वहीं उनके सामने कोरोना से बड़ा वायरस भूख बनकर उनके सामने खड़ा है.

दो वक्त की रोटी को मोहताज मजदूर

प्रशासन की तरफ से दावा किया जा रहा है कि वो गरीबों को तमाम सुविधाएं मुहैया करा रहा है, लेकिन जमीन पर ये दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. भोपाल में सैकड़ों ऐसे मजदूर हैं जो लोहा पीटने का काम करते हैं. शहर के अलग-अलग इलाकों में ये लोग झोपड़िया बनाकर सालों से रह रहे हैं, जो आज दो जून की रोटी को मोहताज हैं.

भोपाल के जवाहर चौक पर झोपड़ी बनाकर रहने वाले ये लोग राजस्थान से भोपाल रोजगार की तलाश में आए थे, लेकिन आज ये सभी भूख से तड़प रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं की जा रही है. एक स्कूल टीचर है, जो उनकी भूख मिटाता है. उनके पास न कोई राशन कार्ड है और न ही कोई आधार कार्ड है. ये सभी सालों से भोपाल में रहकर लोहा पीटने का काम करते हैं.

जवाहर चौक ही नहीं शहर के अलग-अलग इलाकों में जैसे मिसरोद, खानपुर में भी ये सभी डेरा जमाकर अपना काम करते हैं. लिहाजा अगर सरकार इनकी तरफ ध्यान नहीं देती है तो कहीं दिल्ली-मुंबई और सूरत जैसे हालात न बन जाएं.

Last Updated : Apr 15, 2020, 8:06 PM IST
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