भोपाल। कोरोना के कहर ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है, बड़ी से बड़ी अर्थव्यवस्था बेबस और लाचार दिख रही हैं, भारत भी कोरोना से सीधी जंग लड़ रहा है, इस जंग में कोरोना सिपाहियों के सामने कई चुनौतियां हैं, जिसमें गरीबों की भूख मिटाने से लेकर उनके ठंडे चूल्हे जलाना सबसे बड़ी चुनौती है. लॉकडाउन के चलते जहां लोगों के रोजी-रोजगार छिन गए हैं, वहीं उनके सामने कोरोना से बड़ा वायरस भूख बनकर उनके सामने खड़ा है.
प्रशासन की तरफ से दावा किया जा रहा है कि वो गरीबों को तमाम सुविधाएं मुहैया करा रहा है, लेकिन जमीन पर ये दावे हवा-हवाई साबित हो रहे हैं. भोपाल में सैकड़ों ऐसे मजदूर हैं जो लोहा पीटने का काम करते हैं. शहर के अलग-अलग इलाकों में ये लोग झोपड़िया बनाकर सालों से रह रहे हैं, जो आज दो जून की रोटी को मोहताज हैं.
भोपाल के जवाहर चौक पर झोपड़ी बनाकर रहने वाले ये लोग राजस्थान से भोपाल रोजगार की तलाश में आए थे, लेकिन आज ये सभी भूख से तड़प रहे हैं. उनका कहना है कि सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं की जा रही है. एक स्कूल टीचर है, जो उनकी भूख मिटाता है. उनके पास न कोई राशन कार्ड है और न ही कोई आधार कार्ड है. ये सभी सालों से भोपाल में रहकर लोहा पीटने का काम करते हैं.
जवाहर चौक ही नहीं शहर के अलग-अलग इलाकों में जैसे मिसरोद, खानपुर में भी ये सभी डेरा जमाकर अपना काम करते हैं. लिहाजा अगर सरकार इनकी तरफ ध्यान नहीं देती है तो कहीं दिल्ली-मुंबई और सूरत जैसे हालात न बन जाएं.