भोपाल। मध्यप्रदेश में महिला सशिक्तरण का असर दिख रहा है. प्रदेश की महिलाएं देश में अपनी बुलंदियों के झंडे गाड़ रही हैं. इन महिलाओं ने अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए लगातार कड़ी मेहनत और संघर्ष किया है. क्षेत्र चाहे राजनीति का हो, विज्ञान का हो, समाज सेवा का हो या चाहे कला–साहित्य और खेल का. सभी क्षेत्रों में महिलाएं ने अपना डंका बजाया है. ये महिलाएं आत्मविश्वास से लबरेज है. आत्मनिर्भर और खुद के फैसले पर भरोसा करने वाली हैं. इन्होंने किसी भी कीमत पर अपने लक्ष्य और इच्छाओं से समझौता नहीं किया. इनके बुलंद हौसले, जोश, जज्बा व जुनून सभी के लिए प्रेरणादायक हैं.
विरोधी भी कायल हैं ताई यानी सुमित्रा महाजन के
ताई के नाम से मशहूर सुमित्रा महाजन भाजपा की वरिष्ठतम नेताओं में से एक हैं. ताई का राजनीतिक सफर 1980 के दशक में शुरू हुआ. वे इंदौर नगर निगम में पार्षद बनीं. इसके बाद उप-महापौर भी बनीं. उन्होंने 1989 से लेकर 2014 तक लोकसभा चुनाव में लगातार जीत हासिल की. उन्होंने इंदौर लोकसभा सीट से लगातार 8 बार चुनाव जीतकर रिकॉर्ड भी बनाया. वे देश की एकमात्र महिला सांसद रही जिन्होंने लगातार आठ लोकसभा चुनाव जीते है.महाजन 16वीं लोकसभा की अध्यक्ष रह चुकी हैं. महाराष्ट्र के चिपलून में 1943 में जन्मी सुमित्रा महाजन का विवाह 1965 में इंदौर के जयंत महाजन के साथ हुआ. उन्होंने इन्दौर से ही स्नातकोत्तर और एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की. सुमित्रा महाजन ने 1989 के आम चुनाव में पहली बार लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. वह 2002 से 2004 तक केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में शामिल थीं. उन्हें मानव संसाधन, संचार तथा पेट्रोलियम मंत्रालय का काम दिया गया था।
टेलीविजन का मुस्कुराता चेहरा दिव्यांका त्रिपाठी
अपनी सादगी से सभी को प्रभावित करने वाली और खूबसूरत मुस्कुराहट की मल्लिका दिव्यांका त्रिपाठी किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. उन्होंने मुंबई की ग्लैमरस लाइफ में भोपाल सहित पूरे मध्यप्रदेश का नाम रोशन किया है. मिस भोपाल का ताज पहनने के बाद दिव्यांका आज देशभर में नाम रोशन कर रही हैं। बनू मैं तेरी दुल्हन सीरियल में मुख्य भूमिका अदा करते हुए पहली बार टेलीविजन जगत में कदम रखा. दिव्यांका ने इसके बाद सोन परी, शर्मा जी इलाहबाद वाले, झलक दिखला जा और ये हैं मोहब्बतें में अभिनय का जलवा बिखेरा. दिव्यांका को भारतीय टेलीविज़न अकादमी ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार प्रदान किया था. ये हैं मोहब्बतें सीरियल में उनके शानदार अभिनय को देखते हुए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला. इसके अलावा भी दिव्यांका को कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है.
मध्य प्रदेश की मदर टेरेसा कहते हैं लीला जोशी को
82 वर्षीय लीला जोशी को मध्यप्रदेश की 'मदर टेरेसा' कहा जाता है. इस नाम की वजह उनका काम है, जो उन्होंने आदिवासी महिलाओं के लिए किया. स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. लीला जोशी ने आयरन की कमी से जूझती आदिवासी महिलाओं को सेहतमंद बनाने के लिए कैंप लगाए और मुफ्त इलाज किया. इसी उपलब्धियों के कारण भारत सरकार ने लीला जोशी पद्मश्री प्रदान किया. असम में पोस्टिंग के दौरान डॉ जोशी की मुलाकात मदर टेरेसा से हुई थी. मदर टेरेसा ने उनसे आदिवासियों के लिए कुछ करने की अपील की थी. साल 1997 में अपनी सर्विस से रिटायर होने के बाद डॉ लीला जोशी ने मध्य प्रदेश आकर आदिवासी महिलाओँ को मुफ्त इलाज देना शुरु कर दिया. डॉ जोशी मध्यप्रदेश की एक मात्र ऐसी डॉक्टर हैं, जो 22 सालों से आदिवासियों को मुफ्त इलाज मुहैया करवा रही हैं.
अवनि : आसमान भी करता है इनकी तारीफ
देश-दुनिया में फ्लाइंग गर्ल के नाम से मशहूर प्रदेश के रीवा की रहने वाली अवनी चतुर्वेदी को एयर स्ट्राइक के बाद फिर चर्चा मिली थी. बचपन से ही अवनि का सपना था कि वह आसमान की उड़ान भरें और उनकी इसी जिद ने उन्हें देश की पहली फाइटर पायलट बना दिया . अवनि की स्कूलिंग शहडोल जिले के देवलांद में हुई. वहीं, उन्होंने राजस्थान की वनस्थली यूनिवर्सिटी से साल 2014 में बीटेक किया . इसी साल उन्होंने एयरफोर्स का एग्जाम भी पास करके देश सेवा में कदम रखा.
गांव की तस्वीर बदलने वाली सरपंच भक्ति शर्मा
भोपाल जिले का बरखेड़ी अब्दुल्ला गांव की सूरत दूसरे गांवों से बेहतर है. यहां 80 फीसदी कच्चे मकान पक्के मकानों में तब्दील हो चुके हैं. हर घर में बिजली, पानी और शौचालय की व्यवस्था है. ज्यादातर लोग सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं. गांव के लोग इस बदलाव की हकदार सरपंच भक्ति शर्मा हैं. अमेरिका में लाखों रुपए के पैकेज की नौकरी छोड़कर अपने गांव की तस्वीर और तकदीर दोनों बदलने का बेड़ा उठाने वाली भक्ति मध्यप्रदेश का सम्मान हैं. उन्हें भारत की प्रभावशाली महिलाओं की सूची में भी शामिल किया गया है.
भावना डेहरिया ने रखा माउंट एवरेस्ट पर कदम
मध्यप्रदेश को अपनी बेटी भावना डेहरिया पर गर्व है. मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा के तामिया जिले की रहने वाली 29 वर्षीय भावना ने 2019 में तब इतिहास रच दिया था, जब उन्होंने पहली बार माउंट एवरेस्ट पर कदम रखा. वे तब दुनिया की सबसे ऊंची चोटी फतह करने वाली मध्यप्रदेश की पहली महिला बनीं. भावना ने इस कीर्तिमान के साथ महिला सशक्तिकरण और उनके हौसले को एक बार फिर से दुनिया के सामने रखा. भावना का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है. उन्हें भारतीय हिमालय पर्वत श्रृंखला को विश्व भर में प्रमोट करने के लिए 15 अगस्त 2020 को माउंटेन्स ऑफ इंडिया के साथ किया गया प्रयास के लिए यह अवॉर्ड दिया गया था.
दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर मेघा परमार
पर्वतारोही मेघा परमार मध्यप्रदेश की पहली महिला हैं, जिन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने के बाद ऑस्ट्रेलिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट कोशियासको पर भी फतह पाई. मेघा दुनिया के सातों महाद्वीपों में से चार महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंच चुकी है. मेघा मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के भोज नगर की रहने वालीकिसान परिवार की बेटी हैं.
चित्रकारी के लिए मशहूर हैं भूरी बाई
प्रदेश के झाबुआ जिले के पिटोल गांव में जन्मी भूरी बाई भारत के सबसे बड़े आदिवासी समूह भीलों के समुदाय से हैं. उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार, शिखर सम्मान द्वारा कलाकारों को दिए गए सर्वोच्च राजकीय सम्मान सहित कई पुरस्कार जीते हैं. भूरी बाई को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जा चुका है. भूरी बाई अपनी चित्रकारी के लिए कागज और कैनवास का इस्तेमाल करने वाली प्रथम भील कलाकार हैं। वह भोपाल में आदिवासी लोककला अकादमी में एक कलाकार के तौर पर काम करती हैं. उन्हें मध्यप्रदेश सरकार से सर्वोच्च पुरस्कार शिखर सम्मान (1986-87) प्राप्त हो चुका है. 1998 में मध्यप्रदेश सरकार ने उन्हें अहिल्या सम्मान से विभूषित किया.
झुग्गियों में रहने वाली खुशबू ने किया कमाल
भोपाल की खुशबू खान ने भारतीय हॉकी टीम खेलकर भोपाल का मान बढ़ाया. उनका चयन बतौर गोलकीपर किया गया. खुशबू ने बेल्जियम के एंटवर्प में छह देशों के अंडर-23 टूर्नामेंट में अपनी खेल प्रतिभा लोहा मनवाया. खुशबू की कहानी संघर्षों की दास्तां है. खुशबू भोपाल में झुग्गी में रहने वाले एक ऑटो चालक की बेटी हैं. भारत की यूथ टीम के साथ देश के लिए पदक जीत चुकी खुशबू के बुलंद हौसले के सामने परिवार की खराब आर्थिक स्थिति आड़े नहीं आई.
बचपन से ही हॉकी में रमी प्रीति दुबे
ग्वालियर की रहने वाली प्रीति दुबे ने हॉकी जैसे खेल में मध्यप्रदेश का नाम रोशन किया. प्रीति ने छह वर्ष की उम्र से हॉकी खेलना शुरू किया था. 2014 में इन्हें भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम में लिया गया और इसके बाद नवंबर में इन्हें सीनियर टीम में चुन लिया गया. दक्षिण एशियाई खेलों में नेपाल के खिलाफ पहला गोल दागने पर उन्हें एक लाख रुपये का विशेष पुरस्कार मिला. उन्हें अंतरराष्ट्रीय हॉकी में अपकमिंग प्लेयर ऑफ द ईयर का खिताब भी मिला. वर्तमान में यह ग्वालियर के ही किडीज कॉर्नर नामक विद्यालय में पढ़ रही हैं.
मेडिकल क्षेत्र में कृति ने रचा कीर्तिमान
इंदौर की देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी की एमबीबीएस की टॉपर रहीं छात्रा कृति जैन ने कीर्तिमान रचा. उन्हें 8 गोल्ड और 1 सिल्वर मेडल से नवाजा गया. मिलेगा. संभवत: पहली बार किसी को एक साथ इतनी संख्या में गोल्ड मेडल मिले हों. खास यह है कि कृति को हर विषय में दो-दो गोल्ड मिले. वह यूनिवर्सिटी की ओवरऑल टॉपर रहीं. साथ ही चारों ही विषय की भी ओवरऑल टॉपर रहीं. कृति अरबिंदो मेडिकल कॉलेज से रेडियोलॉजी में पीजी कोर्स कर रही हैं.
योग की दुनिया में कुंजन झवर मशहूर
योग की दुनिया में महारथ हासिल करने वाली युवा हैं सीहोर की बहू कुंजन झंवर. कुंजन झंवर ने आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा योग प्रमाणीकरण बोर्ड की परीक्षा ‘असिस्टेंट योगा थैरेपिस्ट’ उत्तीर्ण की. यह उपलब्धि अर्जित करने वाली कुंजन मध्यप्रदेश की पहली महिला हैं. कुंजन ने पहले भी कई योग ग्रंथों व अष्टांग योग, हठयोग, मंत्रयोग, राजयोग, विन्यास योग, नादयोग इत्यादि पर अध्ययन कर परीक्षा, प्रतियोगिता जीती हैं. उनकी फिटइंडिया मूवमेंट, 75 करोड सूर्य नमस्कार आदि में सहभागिता रही है. कॉलेज की पढ़ाई के दौरान वह कुछ गंभीर बीमारियों से पीड़ीत थीं. योगासन करके कुंजन ने कई गंभीर बीमारियां ठीक कर लीं.
( Internal woman day) (Famous woman of Madhyapradesh)