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यहां राजमाता विजयाराजे ने बनाया था जीत का ऐतिहासिक रिकॉर्ड, क्या करैरा में इतिहास रच पाएगी कांग्रेस

शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबला त्रिकोणीय नजर आ रहा है. जानिए करैरा सीट के हर पहलू और गणित को.

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बीजेपी-बीएसपी-कांग्रेस
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Published : Oct 28, 2020, 10:18 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवार जीत दर्ज करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. कांटे की टक्कर वाले इस उपचुनाव में उम्मीद जताई जा रही है कि इसके नतीजे भी बेहद चौंकाने वाले होंगे. खासतौर से शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा सीट पर देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार बीजेपी उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी यानी राजमाता विजयाराजे सिंधिया के सबसे ज्यादा वोटों से जीत का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे.

राजनीतिक विश्लेषक, शिव अनुराग पटेरिया

करैरा से राजमाता के नाम दर्ज है ऐतिहासिक जीत

करैरा विधानसभा में अब राजमाता का इतिहास नहीं दोहराया जा सका है. 1967 के विधानसभा चुनाव में राजमाता विजयाराजे सिंधिया भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी थी और उन्होंने कांग्रेस के गौतम शर्मा को करारी शिकस्त दी, तब राजमाता ने 36188 वोटों से जीत हासिल की थी.

सिंधिया के वर्चस्व वाली सीट है करैरा

करैरा विधानसभा सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के वर्चस्व वाली सीटों में गिनी जाती है. गुना संसदीय क्षेत्र में आने वाली यह सीट 2008 के बाद से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. करैरा विधानसभा सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुआ था. शुरुआती 2 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गौतम शर्मा का इस सीट पर कब्जा रहा. 1967 के बाद 1990 में बीजेपी के उम्मीदवार भागवत सिंह यादव की जीत का अधिकतम अंतर 19876 वोटों का रहा था.

इस बार 3 जाटवों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला

पिछले दो विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है, लेकिन इस बार कांग्रेस से बगावत करने वाले जसवंत जाटव बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं. कांग्रेस की तरफ से प्रागी लाल जाटव और बसपा के राजेंद्र जाटव चुनावी रण में है. प्रागी लाल जाटव पहले तीन बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं.

बीएसपी का है अहम रोल

2003 के अलावा बीएसपी कभी इस सीट पर जीत का स्वाद नहीं चख सकी, लेकिन बीजेपी-कांग्रेस का चुनावी गणित जरूर बनाती और बिगड़ती रही है. इस सीट पर हुए 14 चुनावों में 7 बार कांग्रेस तो 6 बार बीजेपी का कब्जा रहा है.

जाटव वोट बैंक को बांटने की कोशिश

करैरा विधानसभा सीट में करीब दो लाख 42 हजार वोटर हैं. इनमें सबसे ज्यादा संख्या अनुसूचित जाति वर्ग के वोटरों की है. इस सीट पर जाटव और खटीक वोटरों की संख्या तकरीबन 50 हजार है. यही वजह है कि इन मतदाताओं को बांटने के लिए बीजेपी-कांग्रेस और बसपा ने जाटव समाज के उम्मीदवार को चुनाव में उतारा है. इसी तरह ओबीसी वर्ग के एक लाख मतदाता हैं. इसके अलावा रावत और सामान्य वर्ग के वोटर भी हैं जो चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे.

भोपाल। मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवार जीत दर्ज करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. कांटे की टक्कर वाले इस उपचुनाव में उम्मीद जताई जा रही है कि इसके नतीजे भी बेहद चौंकाने वाले होंगे. खासतौर से शिवपुरी जिले की करैरा विधानसभा सीट पर देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस बार बीजेपी उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी यानी राजमाता विजयाराजे सिंधिया के सबसे ज्यादा वोटों से जीत का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे.

राजनीतिक विश्लेषक, शिव अनुराग पटेरिया

करैरा से राजमाता के नाम दर्ज है ऐतिहासिक जीत

करैरा विधानसभा में अब राजमाता का इतिहास नहीं दोहराया जा सका है. 1967 के विधानसभा चुनाव में राजमाता विजयाराजे सिंधिया भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी थी और उन्होंने कांग्रेस के गौतम शर्मा को करारी शिकस्त दी, तब राजमाता ने 36188 वोटों से जीत हासिल की थी.

सिंधिया के वर्चस्व वाली सीट है करैरा

करैरा विधानसभा सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के वर्चस्व वाली सीटों में गिनी जाती है. गुना संसदीय क्षेत्र में आने वाली यह सीट 2008 के बाद से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. करैरा विधानसभा सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुआ था. शुरुआती 2 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गौतम शर्मा का इस सीट पर कब्जा रहा. 1967 के बाद 1990 में बीजेपी के उम्मीदवार भागवत सिंह यादव की जीत का अधिकतम अंतर 19876 वोटों का रहा था.

इस बार 3 जाटवों के बीच त्रिकोणीय मुकाबला

पिछले दो विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है, लेकिन इस बार कांग्रेस से बगावत करने वाले जसवंत जाटव बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं. कांग्रेस की तरफ से प्रागी लाल जाटव और बसपा के राजेंद्र जाटव चुनावी रण में है. प्रागी लाल जाटव पहले तीन बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं.

बीएसपी का है अहम रोल

2003 के अलावा बीएसपी कभी इस सीट पर जीत का स्वाद नहीं चख सकी, लेकिन बीजेपी-कांग्रेस का चुनावी गणित जरूर बनाती और बिगड़ती रही है. इस सीट पर हुए 14 चुनावों में 7 बार कांग्रेस तो 6 बार बीजेपी का कब्जा रहा है.

जाटव वोट बैंक को बांटने की कोशिश

करैरा विधानसभा सीट में करीब दो लाख 42 हजार वोटर हैं. इनमें सबसे ज्यादा संख्या अनुसूचित जाति वर्ग के वोटरों की है. इस सीट पर जाटव और खटीक वोटरों की संख्या तकरीबन 50 हजार है. यही वजह है कि इन मतदाताओं को बांटने के लिए बीजेपी-कांग्रेस और बसपा ने जाटव समाज के उम्मीदवार को चुनाव में उतारा है. इसी तरह ओबीसी वर्ग के एक लाख मतदाता हैं. इसके अलावा रावत और सामान्य वर्ग के वोटर भी हैं जो चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे.

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