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चीतों के दीदार के लिए अभी और करना होगा इंतजार, जानिए PMO ने क्यों जताया एतराज

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Published : Sep 27, 2021, 4:07 PM IST

Updated : Sep 27, 2021, 5:21 PM IST

चीतों को लाने के लिए दक्षिण अफ्रीका जाने वाले वन विभाग के अधिकारियों के दल को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा अपत्ति जताई गई है. राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ केन्द्र सरकार के अधिकारी और मंत्री को 29 सितंबर को रवाना होना था, लेकिन अब कब रवाना होंगे. इसके बारे में कोई तय नहीं है.

चीतों
चीतों

भोपाल। देश के दिल मध्यप्रदेश में चीतों (cheetahs) की रफ्तार देखने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा. चीतों के नवंबर माह में 72 साल बाद वापसी मुश्किल लग रही है. दरअसल, चीतों को लाने के लिए दक्षिण अफ्रीका (South Africa) जाने वाले वन विभाग के अधिकारियों के दल को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा अपत्ति जताई गई है. राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ केन्द्र सरकार के अधिकारी और मंत्री को 29 सितंबर को रवाना होना था, लेकिन अब कब रवाना होंगे. इसके बारे में कोई तय नहीं है. उधर, बारिश की वजह से बाड़ा बनाए जाने का काम भी प्रभावित हुआ है. यह नंवबर माह तक ही पूरा हो पाएगा.

मंत्री और स्टाॅफ का नाम जुड़ने के बाद अटका मामला
दक्षिण अफ्रीका से मध्यप्रदेश तक चीता लाने की विस्तृत कार्ययोजना पर चर्चा करने के लिए 29 सितंबर को वन विभाग के अधिकारियों की एक टीम रवाना होनी थी. टीम में मध्यप्रदेश के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल और मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक (Chief Wildlife Custodian) आलोक कुमार के अलावा एनटीसीए के अधिकारी दक्षिण अफ्रीका जाने वाले थे. हालांकि बाद में इस सूची में केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और आधा दर्जन स्टाॅफ और अधिकारियों का नाम भी इसमें जुड़ गए.

बताया जाता है इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (Prime Minister Office) की तरफ से इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों के दक्षिण अफ्रीका जाने को लेकर आपत्ति जताई गई. हालांकि अब यह तय नहीं है कि अधिकारियों का यह दल कब रवाना होगा. दरअसल चीतों को इतनी लंबी दूरी तक लाना अपने आप में अनूठा काम है. इसको लेकर दक्षिण अफ्रीका के अधिकारियों से विस्तृत चर्चा कर इसको अंतिम रूप दिया जाना है.

टीम के लौटने के बाद जाएगा अध्ययन दल
अधिकारियों की टीम के लौटने के बाद मध्यप्रदेश से 6 सदस्यीय अध्ययन दल भी दक्षिण अफ्रीका जाएगा. यह दल यहां करीब एक माह तक अफ्रीका में रहकर चीतों के खान-पान, उनके रहन-सहन सहित सभी बारीकियों का अध्ययन करेगा. यह दल चीतों के साथ ही लौटेगा। हालांकि दावा किया गया था कि 14 नवंबर तक चीते मध्यप्रदेश पहुंच जाएंगे, लेकिन अब यह प्रोग्राम और आगे बढ़ना निश्चित माना जा रहा है.

72 साल बाद भारत आएंगा चीता
देश में आखिरी बार चीता को 1947 में देखा गया था. यह चीता छत्तीसगढ़ के सरगुजा स्थित जंगल में आखिर बार देखा गया था. साल 1952 में दुनिया में सबसे तेज दौड़ने वाले स्तनधारी इस जानवर को देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था. अब करीब 72 सालों बाद चीता की फिर भारत वापसी हो रही है. हालांकि इतने लंबे समय तक चीता के न होने से वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट को भी इसके लालन-पालन का अनुभव नहीं है. यही वजह है कि अफ्रीका में विषेशज्ञों की टीम चीताें के व्यवहार और गतिविधियों को समझेगी.

अब मध्य प्रदेश में दिखेंगे अफ्रीकी चीते, नवंबर तक अभ्यारण में देख सकेंगे सैलानी

हालांकि नवंबर में चीतों के साथ अफ्रीका के विशेषज्ञों का दल भी मध्यप्रदेश आएगा, जो करीब 3 माह तक मध्यप्रदेश में रहेगा. जो इस बात की निगरानी करेगा कि उनके स्वभाव में कोई बदलाव तो नहीं आ रहा है. गौरतलब है कि केन्द्र सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना है, जिसे साल 2010 में मध्यप्रदेश को सौंपते हुए केन्द्र सरकार ने नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण में चीता को पुनर्स्थापित करने को कहा था. अब कहीं जाकर यह योजना जमीन पर उतर रही है.

भोपाल। देश के दिल मध्यप्रदेश में चीतों (cheetahs) की रफ्तार देखने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा. चीतों के नवंबर माह में 72 साल बाद वापसी मुश्किल लग रही है. दरअसल, चीतों को लाने के लिए दक्षिण अफ्रीका (South Africa) जाने वाले वन विभाग के अधिकारियों के दल को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा अपत्ति जताई गई है. राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ केन्द्र सरकार के अधिकारी और मंत्री को 29 सितंबर को रवाना होना था, लेकिन अब कब रवाना होंगे. इसके बारे में कोई तय नहीं है. उधर, बारिश की वजह से बाड़ा बनाए जाने का काम भी प्रभावित हुआ है. यह नंवबर माह तक ही पूरा हो पाएगा.

मंत्री और स्टाॅफ का नाम जुड़ने के बाद अटका मामला
दक्षिण अफ्रीका से मध्यप्रदेश तक चीता लाने की विस्तृत कार्ययोजना पर चर्चा करने के लिए 29 सितंबर को वन विभाग के अधिकारियों की एक टीम रवाना होनी थी. टीम में मध्यप्रदेश के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल और मुख्य वन्य प्राणी अभिरक्षक (Chief Wildlife Custodian) आलोक कुमार के अलावा एनटीसीए के अधिकारी दक्षिण अफ्रीका जाने वाले थे. हालांकि बाद में इस सूची में केन्द्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और आधा दर्जन स्टाॅफ और अधिकारियों का नाम भी इसमें जुड़ गए.

बताया जाता है इसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय (Prime Minister Office) की तरफ से इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों के दक्षिण अफ्रीका जाने को लेकर आपत्ति जताई गई. हालांकि अब यह तय नहीं है कि अधिकारियों का यह दल कब रवाना होगा. दरअसल चीतों को इतनी लंबी दूरी तक लाना अपने आप में अनूठा काम है. इसको लेकर दक्षिण अफ्रीका के अधिकारियों से विस्तृत चर्चा कर इसको अंतिम रूप दिया जाना है.

टीम के लौटने के बाद जाएगा अध्ययन दल
अधिकारियों की टीम के लौटने के बाद मध्यप्रदेश से 6 सदस्यीय अध्ययन दल भी दक्षिण अफ्रीका जाएगा. यह दल यहां करीब एक माह तक अफ्रीका में रहकर चीतों के खान-पान, उनके रहन-सहन सहित सभी बारीकियों का अध्ययन करेगा. यह दल चीतों के साथ ही लौटेगा। हालांकि दावा किया गया था कि 14 नवंबर तक चीते मध्यप्रदेश पहुंच जाएंगे, लेकिन अब यह प्रोग्राम और आगे बढ़ना निश्चित माना जा रहा है.

72 साल बाद भारत आएंगा चीता
देश में आखिरी बार चीता को 1947 में देखा गया था. यह चीता छत्तीसगढ़ के सरगुजा स्थित जंगल में आखिर बार देखा गया था. साल 1952 में दुनिया में सबसे तेज दौड़ने वाले स्तनधारी इस जानवर को देश में विलुप्त घोषित कर दिया गया था. अब करीब 72 सालों बाद चीता की फिर भारत वापसी हो रही है. हालांकि इतने लंबे समय तक चीता के न होने से वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट को भी इसके लालन-पालन का अनुभव नहीं है. यही वजह है कि अफ्रीका में विषेशज्ञों की टीम चीताें के व्यवहार और गतिविधियों को समझेगी.

अब मध्य प्रदेश में दिखेंगे अफ्रीकी चीते, नवंबर तक अभ्यारण में देख सकेंगे सैलानी

हालांकि नवंबर में चीतों के साथ अफ्रीका के विशेषज्ञों का दल भी मध्यप्रदेश आएगा, जो करीब 3 माह तक मध्यप्रदेश में रहेगा. जो इस बात की निगरानी करेगा कि उनके स्वभाव में कोई बदलाव तो नहीं आ रहा है. गौरतलब है कि केन्द्र सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना है, जिसे साल 2010 में मध्यप्रदेश को सौंपते हुए केन्द्र सरकार ने नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण में चीता को पुनर्स्थापित करने को कहा था. अब कहीं जाकर यह योजना जमीन पर उतर रही है.

Last Updated : Sep 27, 2021, 5:21 PM IST
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