भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में सिंधिया गुट के लोगों को भले ही उतने टिकट न दिए गए हों, लेकिन सिंधिया के करीबी मंत्रियों ने अपने सियासी मुनाफे के लिए बीजेपी के डंडे-झंडे पकड़ने वाले कार्यकर्ताओं को नाराज कर दिया. नतीजा यह रहा कि पहले तो बीजेपी का अनुशासित कार्यकर्ता बागी हो गया. वह दूसरी पार्टी में चला गया. हालांकि कई बागियों को मना लिया, लेकिन नाराजगी इतनी रही कि उसने वोटर्स को पोलिंग तक पहुंचाने का काम नहीं किया.
बीजेपी ने की कम मतदान की समीक्षा : बीजेपी ने पहले चरण में कम हुए मतदान को लेकर समीक्षा की और बागियों के साथ-साथ भिघातियों को भी चिह्नित किया गया. लेकिन अभी पार्टी को नगरीय निकाय के दूसरे चरण की चिंता है. लिहाजा,सभी का फोकस अभी दूसरे चरण के मतदान पर है. अब पार्टी इस कोशिश में लगी है कि दूसरे चरण की पोलिंग 70% के करीब हो.
क्यों कमी आई मतदान में : भोपाल में जब वोटर वोट डालने गए तो उन्होंने बीजेपी पोलिंग एजेंट से अपनी पर्ची मांगी. पोलिंग एजेंट ने कहा कि बिना वोटर आईडी के वह पर्ची नहीं ढूंढ़ सकता. वहीं मतदाता दूसरे पोलिंग एजेंट के पास गया. उसने मेहनत कर उसे पर्ची थमा दी. अब जाहिर सी बात है कि मतदाता का मन बदला ही होगा. ज्यादातर जगह बीजेपी का जमीनी कार्यकर्ता पार्टी के लिए उतना समर्पित नहीं दिखाई दिया.
बीजेपी का बूथ मैनेजमेंट फेल : बीजेपी ने चुनाव के पहले पन्ना प्रभारी और प्रदेश के 65000 से ज्यादा बूथों को डिजिटल किए जाने का दावा किया. मतदान के पहले बीजेपी के दिग्गजों ने बूथ त्रिदेव और पन्ना प्रमुखों के हवाले कर दिया. बीजेपी का नारा 'मेरा बूथ सबसे मजबूत ' जैसा नारा जुमला ही साबित हुआ. बूथो के त्रिदेव पंचायत और निकाय चुनाव लड़ रहे हैं अपने रिश्तेदारों लिए काम करते रहे, लेकिन कम हुए मतदान को लेकर बीजेपी कुछ अलग तर्क दे रही है. उसका कहना है कि मतदान पर्चियां पार्टी का कार्यकर्ता वितरित नहीं करता, बल्कि यह काम निर्वाचन आयोग करता है, जिसने यह काम नहीं किया और जिसके चलते लोग वोट से वंचित रह गए. बीजेपी प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी का कहना है कि कम वोटिंग के लिए बीएलओ जिम्मेदार हैं.
अगले साल विधानसभा चुनाव की चिंता : बीजेपी की हर बड़ी बैठक में उसके नेता कार्यकर्ताओं को यही संदेश देते आए कि इस बार 10% वोट शेयर बढ़ाना है. भाजपा संगठन ने हर विधायक को ज्यादा से ज्यादा वोटिंग कराने का टारगेट भी दिया. भोपाल के गोविंदपुरा, हुजूर, उत्तर और मध्य विधानसभा क्षेत्र के मतदान से पार्टी चिंतित है. दूसरे चरण की वोटिंग के बाद पार्टी के दिग्गज जिम्मेदारों की क्लास लेने वाले हैं. चिंता अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की है.
असंतुष्टों को नहीं साध पाई बीजेपी : शिवराज सरकार पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव कराने के मूड में नहीं थी. पहले कोरोना फिर ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण का लॉलीपॉप देकर चुनावों को टाला, लेकिन सुप्रीम कौर्ट के निर्देश पर मजबूरन सरकार को चुनाव कराने पड़े. निर्वाचन आयोग कहता रहा कि उसकी तैयारी पूरी है, लेकिन चुनाव के दिन चुनाव आयोग की तैयारियों की पोल भी खुल गई. बीजेपी ने असंतोष से निपटने के लिए संभागीय अपील समिति और जिले की अपील समितियां बनाईं लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि संयोजकों के पास असंतुष्ट कार्यकर्ता या चुनाव लड़ने वाला प्रत्याशी अपनी बात लेकर पहुंचा तो उससे सिर्फ आवेदन ले लिया गया. बाद में उस आवेदन को कचरे की टोकरी में फेंक दिया गया. कई जगह सामान्य वाली सीटों में दूसरी जाति के उम्मीदवार को उतार दिया गया.
बीजेपी की अपील समितियों पर सवाल : कई जगहों पर बीजेपी ने बाहरी प्रत्याशी को उतार दिया. यह भी नाराजगी का एक कारण है. जब अपील समिति के संयोजक भगवानदास सबनानी से पूछा गया कि अपील समितियां सिर्फ दिखावे के लिए बनाई गई थीं और कई मामलों में तो शिकायतकर्ता की अपील भी नहीं सुनी गई. इस पर उनका कहना है सबको तो संतुष्ट किया नहीं जा सकता लेकिन आवेदनों को रद्दी की टोकरी में नहीं फेंका गया. सबकी बात सुनी गई और समझाइश भी दी गई. बीजेपी में अनुशासन होता है और पार्टी का कार्यकर्ता उसका पालन करता है. पार्टी में किसी भी तरह का असंतोष देखने को नहीं मिला. हालांकि हकीकत ये भी है कि अपील समिति के संयोजक भगवानदास सबनानी को लेकर भी कार्यकर्ताओं में नाराजगी देखी गई. बीजेपी के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी को पार्टी ने विवादित मामलों और शिकायतों को सुनने लिए अपील समिति का संयोजक बनाया, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सबनानी जब खुद ही पहले पार्टी छोड़ चुके हैं तो ऐसे में कार्यकर्ताओं का उन पर कैसे विश्वास बनेगा.
बूथ विस्तारक योजना भी काम ना आई : बीजेपी ने बूथ विस्तारक योजना के तहत 51% वोट बैंक करने के लिए 20 से 30 जनवरी तक यह अभियान चलाया. पार्टी ने संगठन ऐप के जरिए 65,000 बूथों के बूथ प्रभारी पन्ना प्रभारी और चुनिंदा मतदाताओं का सारा डेटा जुटाने का दावा भी किया. हर विस्तारक को 10 दिन तक क्षेत्र में जाकर उसके बूथ की जानकारी और फोटो अपलोड करके उसे ऐप मे जोड़ा गया.
कम वोटिंग के लिए कांग्रेस का ये आरोप : कांग्रेस ने कम मतदान को लेकर बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया. पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि मौजूदा भाजपा सरकार के झूठे वादों से जनता नाराज है.और इसी वजह से जनता में वोटिंग को लेकर उदासीनता दिखी. वहीं मतदाता पर्ची बांटने की जिम्मेदारी बीएलओ की थी, लेकिन उन्होंने भी पर्चियां नहीं बांटीं. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार ने सोची-समझी साजिश के तहत मतदाताओं को केंद्र तक नहीं पहुंचने दिया गया और सूची से उनके नाम काटे गए. इसकी शिकायत कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग से की है.
(Why MP BJP heartbeat increased) (What in churning of BJP veterans) (How rebels give blow BJP)