भोपाल. पिछले दिनों मध्यप्रदेश के दौरे पर आए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने स्वयंसेवकों से कहा था कि धर्म परिवर्तन ना हो इसकी चिंता अब स्वयंसेवकों को करनी है. होसबोले की सलाह तो स्वयंसेवकों के लिए लेकिन इस टास्क पर अमल करते दिख रहे हैं बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री. अपनी कथा के दौरान ही वे ईसाई धर्म अपना चुके तीन सौ हिंदूओं की घर वापिसी करवा चुके हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि बागेश्वर धाम वाले शास्त्रीजी क्या कोई नया ट्रैक पकड़ रहे हैं. हिंदुओं की घर वापसी ये हिंदू समाज की सेवा के लिए है या इसके पीछे है कोई सियासी सरोकार भी है. आखिर क्यों हिंदू ह्रदय सम्राट बनने की राह पर हैं धीरेन्द्र शास्त्री.
संघ का काम में क्यों जुटे बागेश्वर धाम: मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाकों में जहां आदिवासियों का धर्मान्तारण लंबे समय से बड़ा मुद्दा है. वहां वनवासी कल्याण आश्रम समेत संघ की अलग अलग शाखाएं निरंतर धर्मान्तरण रोकने के प्रयास करती रही हैं. और इसके लिए बाकायदा टास्क देकर कार्यक्रम चलाया गया है, लेकिन किसी कथा वाचक के बड़े पैमाने पर ईसाई धर्म से हिंदूओं की घर वापिसी करवा लेने का ये मामला वाकई खास है,और सवाल खड़े कर रहा है कि कथा के साथ धर्म परिवर्तन की कहानी का सिरा पक़ड़ते बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री का एजेंडा केवल सनातन हिंदू समाज की सेवा है या इसके आगे भी उन्हें कोई सियासी रनवे देखाई दे रहा है. बुंदेलखंड ही नहीं अब तो देश के कई हिस्सों में जिनकी आस्था का सैलाब हो. क्या उस आस्था के आगे राजनीतिक स्वीकार्यता देख रहे हैं बागेश्वर धाम, या इसे बीजेपी की टीम टू की तरह काम करने की वार्मअप एक्सरसाइज कहा जाए, क्योंकि इसमें दो राय नहीं कि धीरेन्द्र शास्त्री ने कम से कम बुंदेलखंड में तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का काम आसान किया है.
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300 लोगों की कराई घर वापसी: बागेश्वर धाम से प्रसिध्द हुए धीरेन्द्र शास्त्री ने दमोह में क्रिसमस के दिन तीन सौ लोगों को इसाई धर्म से वापस हिंदू धर्म धारण करवाया. बाकायदा वैदिक तरीके से हवन पूजन के बाद इन 300 लोगों ने हिंदू धर्म धारण किया. इसके बाद धीरेन्द्र शास्त्री ने मीडिया को जो बयान दिया वो भी काबिल ए गौर उन्होंने कहा कि यही सनातन धर्म की बागेश्वर बालाजी की कृपा की ताकत है. धर्मविरोधी लोग पीछे लगे हुए हैं ,भोले भोले लोगों को लालच देकर ऐसा कुकृत्य किया ये निंदनीय है. कथावाचक ने कहा कि हमने उन पर दबाव नहीं डाला. बागेश्वर बालाजी की कृपा से वे स्वंय चल कर आए हैं. उसके प्रभाव के कारण ही सैकड़ों लोगों ने सनातन धर्म में वापसी की है. यह बागेश्वर बाला जी की कृपा का चमत्कार है. धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं कि इस काम को बल पूर्वक करना चाहिए, ताकि जिस प्रकार से इन भोले भाले लोगों को शिकार बनाया जा रहा है वो बंद हो सके. अब सवाल ये भी है कि इसी तेवर के साथ क्या बागेश्वर धाम का यह काम आगे भी जारी रहेगा.
धीरेन्द्र शास्त्री में जनमानस की आस्था और असर: इसमें दो राय नहीं कि कथा वाचक धीरेन्द्र शास्त्री में आस्था रखने वालों का दायरा बुंदेलखंड और अब देश की सीमाओं से बाहर भी गया है. इस समय प्रदीप मिश्रा और धीरेन्द्र शास्त्री ये दो कथा वाचक ऐसे हैं जिनके प्रति लोगों की आस्था का सियासी लाभ राजनीतिक दल भी लेने में जुटे हैं. ऐसे में सवाल ये है कि क्या ये कथा वाचक अपनी ताकत का असर और उनमें लोगों की आस्था के इस्तेमाल को जानते हुए अपनी सियासी लकीर खींच रहे हैं. धर्म परिवर्तन के अभियान में सीधे जुटे धीरेन्द्र शास्त्री क्या हिंदू ह्रदय सम्राट बनने की राह पर हैं. इसके पहले भी अपने रास्ते को मजबूती देने के लिए कथा वाचक शास्त्री पहले ही फादर और चादर को लेकर विवादित बयान दे चुके हैं.
शास्त्री का संदेश, चादर और फादर से दूर रहिए: सनातनी हिंदुओं, अपने समर्थकों और स्थानीय लोगों को धीरेंद्र शास्त्री पहले ही संदेश दे चुके हैं. वे एक विवादित बयान देते हुए साफ कर चुके हैं कि देश को और सनातन को बचाना है तो ये मेरी प्रार्थना है. बात कड़वी जरुर है, लेकिन चादर और फादर से दूर रहिए. चेतावनी देते हुए कह चुके हैं कि किसी की क्षमता नहीं कि भारत के सनातन धर्म को मिटा सके, तुम सौभाग्यशाली हो कि गीता वेद पुराण तुम्हारे साथ हैं. भारत के बड़े बड़े संत तुम्हारे साथ हैं.
प्रदीप मिश्रा भी कर चुके संघ की पैरवी: धीरेन्द्र शास्त्री से पहले कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा कह चुके हैं कि हर परिवार से एक बेटे को बजरंग दल में और एक बेटे को संघ में भेजना ही चाहिए. उनके इस बयान को लेकर बाद में विवाद भी हुआ था और नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह का बयान आया था कि बेहतर हो कि प्रदीप मिश्रा संघ और बीजेपी के एजेंट ही बन जाएं.
संघ का भी मिला समर्थन: संघ विचारक दीपक शर्मा का कहना है कि कथावाचक धीरेन्द्र शास्त्री ने जो किया है. ये स्वाभाविक है और देश को इसकी जरुरत भी है. दीपक शर्मा कहते हैं कि इस अभियान में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ तो लंबे समय से जुटा ही हुआ है, लेकिन इस तरह से जब कथावाचक भी सनातन को मजबूती देने में जुटेंगे तो यह तय है कि घर वापसी और तेज़ होगी.