भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्रिमंडल गठन में कमल पटेल का नाम सबसे चौकाने वाला माना जा रहा है. कमल पटेल शिवराज सरकार में पहले तकनीकी शिक्षा मंत्री रह चुके हैं. हालांकि माना जाता है कि बाद में उनके शिवराज से संबंध बिगड़ गए. शिवराज मंत्रिमंडल में कमल पटेल की वापसी संगठन की पसंद बताया जा रहा है.
कमलनाथ सरकार को गिराने में किंग मेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट से गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट का मंत्रिमंडल में आना तय माना जा रहा था. राजनीति के जानकार शिव अनुराग पटेरिया की मानें तो शिवराज सिंह का मंत्रिमंडल बहुत छोटा है और इसमें क्षेत्रीय और जातीय गणित का विशेष ध्यान रखा गया है.मंत्रिमंडल में पहले नाम के रूप में संकट मोचक नरोत्तम मिश्रा के नाम पर किसी को कोई संशय नहीं था.
इसी तरह ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में आए तुलसी सिलावट का नाम भी मंत्रिमंडल में तय माना जा रहा था. तुलसी सिलावट का नाम कमलनाथ सरकार में भी उप मुख्यमंत्री के रूप में रखा गया था. हालांकि बाद में पार्टी में इसकी सहमति नहीं बन पाई थी. इसी तरह गोविंद सिंह राजपूत का अभी कमलनाथ सरकार में अच्छा पोर्टफोलियो था. उनके पास परिवहन और राजस्व जैसे अहम विभाग की जिम्मेदारी थी. सिंधिया के कट्टर समर्थक गोविंद सिंह राजपूत का शिवराज मंत्रिमंडल में आना तय था.
कमल पटेल संगठन की पसंद रहे शिवराज मंत्रिमंडल में कमल पटेल की एंट्री को संगठन की पसंद माना जा रहा है. बताया जा रहा है कि उनके नाम की सहमति आलाकमान से आई है. वैसे कमल पटेल का स्थानीय स्तर पर जिस तरह का नेटवर्क है, उसकी अनदेखी पार्टी नहीं कर सकती थी. कमल पटेल पूर्व में भी शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके हैं.
कमल पटेल ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस लिहाज से वे जातीय समीकरण को साधने में फिट बैठे. इसी तरह मीना सिंह आदिवासी वर्ग से आती हैं. वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटेरिया के मुताबिक मंत्रिमंडल में सभी वर्ग व क्षेत्रीय संतुलन को साधने की कोशिश की गई है. कोरोना संकट से जूझ रही शिवराज सरकार फिलहाल विभाग बांटने के स्थान पर इन सभी को अलग-अलग संभागों की जिम्मेवारी सौंपेगी. जिससे सबसे पहले कोरोना संकट से उबरा जा सके .