भोपाल। हर साल 10 अक्टूबर को पूरे विश्व में वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे (World Mental Health Day) मनाया जाता है. ये दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों के बीच मानसिक स्वास्थ के मुद्दों के बारे में जागरुकता बढ़ सके. वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ ने वर्ष 1992 में वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे की शुरुआत की थी.
इस दौड़-भाग भरी जिंदगी में आमतौर पर लोग अपनी मेंटल हेल्थ पर ध्यान नहीं देते हैं. ऐसी बहुत सी चीजें होती हैं, जिसे लोग नजरअंदाज कर देते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए साल 2016 में तत्कालीन शिवराज सरकार ने मानसिक तनाव को कम करने के लिए 'राज्य आनंद संस्थान' की स्थापना की थी, जिसका काम लोगों के बीच में ऐसी गतिविधियों को संचालित करना है. जिनसे वह मानसिक रूप से स्वस्थ महसूस करें. पहले यह एक स्वतंत्र मंत्रालय था, पर कमलनाथ सरकार के आने पर इसे अध्यात्म विभाग के तहत रखा गया. कोरोना काल में मानसिक तनाव के मामले ज्यादा सामने आ रहे है, तो इस संस्थान की भूमिका भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है.
कोरोना काल में आनंद संस्थान का काम
राज्य आनंद संस्थान के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अखिलेश सहगल ने बताया कि हमारी सारी गतिविधियां वॉलिंटियर्स के जरिये होती है, जिन्हें हम आनन्दक कहते हैं. वर्तमान में हमारे साथ करीब 53 हजार आनन्दक जुड़े हैं. लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की जरूरत के लिए मास्क,खाना, सेनेटाइजर आदि की व्यवस्थाएं आनन्दकों ने की. इसके साथ ही लोगों के मानसिक तनाव को कम करने के लिए हमने ऑनलाइन कार्यक्रम भी शुरू किए हैं. प्रत्येक कार्यक्रम में करीब 40 लोग होते थे, जिनसे हम डेढ़ घंटे बात करते थे.
ऐसे करती है ये संस्था काम
पिछले 5 महीनों के दौरान करीब 5 हजार लोग इन कार्यक्रमों से जुड़े हैं. यह कार्यक्रम एक अल्प विराम कार्यक्रम है. जिसमें हम कुछ टूल्स का इस्तेमाल करते हैं. परिवार के बारे में उनकी चिंताओं के बारे में बात करते हैं. टूल्स के जरिये हम कोशिश करते हैं कि व्यक्ति खुद से जुड़ सकें, खुद को बेहतर जान सकें. इसके साथ एक और ऑनलाइन हैप्पीनेस कार्यक्रम शुरू किया है. यह 6 सप्ताह का कार्यक्रम है जिसे कोई भी व्यक्ति मुफ्त में जॉइन कर सकता है. इसमें व्यक्ति लाइव वीडियो और वीडियो के जरिये अपनी इस बारे में जानकारी बढ़ा सकता है कि वह अपना जीवन कैसे आनन्दित तरीके से बिता सकता है. मई से लेकर अभी तक करीब 10 हजार लोग इसमें अपना पंजीयन करा चुके हैं.
कोरोना काल में हुआ इजाफा
वहीं कोरोना काल में आनंद संस्थान के कार्यक्रम से जुड़ने वाले लोगों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि कोरोना से पहले हम हर महीने 2 कार्यक्रम करवाते थे, जिसमें जुड़ने वाले लोगों की संख्या 15 से 20 होती थी, लेकिन मई माह से यह संख्या बढ़ी है. अब हम हर माह 15 कार्यक्रम करवा रहे हैं और उनमें भी करीब 40 लोग हर कार्यक्रम से जुड़ते ही हैं.
राज्य आनंद संस्थान का बजट
संस्थान के बजट की करें तो साल 2018-19 में राज्य आनंद संस्थान को 8.50 करोड़ की बजट राशि का प्रावधान किया गया था, वहीं इस साल कुछ महीनों के लिए बजट की बात पर कार्यपालक अधिकारी अखिलेश ने बताया कि क्योंकि हमारा सारा काम ऑनलाइन किया जा रहा है और इसमें काम करने वाले लोग वॉलिंटियर ही हैं, जिसके लिए हमें बजट की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती है.
लोगों को ज्यादा जागरुक करने की जरूरत
राज्य आनंद संस्थान के बारे में कम ही लोगों को जानकारी है. इस बारे में जब हमने लोगों से बात की तो ज्यादातर लोगों का कहना है कि उन्हें यह जानकारी ही नहीं है कि मध्यप्रदेश में मानसिक तनाव को कम करने के लिए सरकार की ऐसी कोई संस्था भी काम कर रही है. इस बारे में मुख्य कार्यपालक अधिकारी अखिलेश कहते हैं कि हम मीडिया के जरिए प्रचार प्रसार नहीं करते लेकिन पहले हमारे कुछ कार्यक्रम टेलीविजन में प्रसारित होते थे, इसके अलावा हम माउथ पब्लिसिटी ज्यादा करते हैं. जो व्यक्ति एक बार हमारे साथ जुड़ जाता है वह दूसरों को भी हमसे जुड़ने के लिए प्रेरित करता है और इसी तरह हमारे संस्थान के बारे में लोगों को जानकारी मिल रही है.