भोपाल। मध्य प्रदेश में कोरोना से हुई मौत के आंकड़े और श्मशान घाट से सामने आ रहे आंकड़ों में जमीन आसमान का अंतर नजर आ रहा है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार आंकड़े छिपा रही है. सरकार का दावा है कि आंकड़े जनता के सामने है. दावे और आरोपों की राजनीति के बीच जमीना हकीकत कुछ और ही है. जिन्होंने अपनों को खोया वो तो मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए दर-दर भटक रहे हैं.
डेथ सर्टिफिकेट के लिए लंबी वेटिंग
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कोरोना से होने वाली मौत के बाद परिजनो को 1 लाख की सहायता राशि देने का ऐलान किया है, वहीं सरकारी कर्मचारी की मौत पर 5 लाख और परिवार के सदस्य को अनुकंपा नियुक्ति देने का भी फैसला किया है. लेकिन इन सब के लिए ज़रूरी है डेथ सर्टिफिकेट. जनता से लेकर विपक्ष तक के आरोप है कि नगर पालिका और नगर निगम में जाकर मृत्यु प्रमाण पत्र बनाना मुश्किल हो गया है. बताया जा रहा है कि बड़े नगर निगमों में डेथ सर्टिफिकेट बनवाने के लिए लंबी वेटिंग लिस्ट है. इसके बाद इन दिनों सभी के मन में एक सवाल है कि जिनके परिजनों में मौत से पहले कोरोना की पुष्टि हो गई उन्हें तो योजनाओं का फायदा मिलेगा, लेकिन उनका क्या जिनके परिजनों ने कोरोना संदिग्ध बनकर अपनी जान गंवा दी. अब वो लोग अपने प्रियजनों के कोरोना से मौत के सर्टिफिकेट बनवाने के लिए परेशान हो रहे हैं.
विधवा की सरकार से गुहार
भोपाल में रहने वाली महिला के पति की मौत कोरोना से हो गई. दो छोटे बच्चों को पालने की जिम्मेदारी अब इस महिला के सिर पर है. अस्पताल से मिले सर्टिफिकेट के आधार पर उनके पति की कोरोना से मौत होने का डेथ सर्टिफिकेट तो बन गया है. लेकिन जब वो सरकारी योजना का फायदा कब मिलेगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है. महिला की अपील है कि जिस तरह से सरकारी कर्मचारियों के परिवार को अनुकंपा नियुक्ति का फायदा मिल रहा है, उसी तरह उन्हें भी सरकार किसी तरह की नौकरी दें, ताकि वो परिवार का लालन-पालन अच्छे से कर पाएं. मुआवजे की आस में ये महिला और उसका परिवार आज भी इंतजार कर रहा है. महिला का कहना है कि उनके पास परिवार चलाने के भी पैसे नहीं है और सरकार ही उनकी आखिरी आस है.
जनप्रतिनिधि कर रहे हैं मदद
इधर सत्ता पर काबिज बीजेपी का कहना है कि वार्ड स्तर पर कार्यकर्ताओं पीड़ित परिवारों की मदद कर रहे हैं. बीजेपी ने अपने स्थानीय जनप्रतिनिधियों को भी वार्डों में जाकर मुआवजे की पात्र लोगों की मदद के निर्देश दिए है. लेकिन डेथ सर्टिफिकेट में कोरोना से मौत होने का जिक्र नहीं होने पर कई लोग तो मदद की पात्रता लिस्ट से ही बाहर हो गए हैं.
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सरकार ने की है योजनाओं की घोषणा
बता दें कि मध्य प्रदेश में कोरोना से मौत के मामले में शिवराज सरकार ने कई तरह की योजनाओं की घोषणा की है. इसके तहत कोरोना से परिवार के किसी सदस्य की मौत होने पर 1 लाख का मुआवजा दिया जाएगा. दूसरी योजना के तहत सरकारी कर्मचारी की कोरोना से मौते होने पर परिवार को 5 लाख की सहायता और एक सदस्य की अनुकंपा नियुक्ति होगी.
इसके अलावा कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को 21 साल का होने तक 5 हजार रुपए प्रतिमाह देने की घोषणा भी शिवराज सरकार ने की है. लेकिन सवाल आखिर में ये ही उठता है कि जिनके परिवार के लोगों के डेथ सर्टिफिकेट ही नहीं बन पा रहे हैं आखिर वो इन योजनाओं का लाभ लेंगे कैसे?