भोपाल. प्रदेश की कांग्रेस सरकार में व्यापमं के मामले में जांच शुरू करते हुए 16 एफआईआर दर्ज की थीं, लेकिन सरकार बदलते ही बीजेपी की सरकार ने इस घोटाले की जांच को रोक दिया है. इस मामले में कांग्रेस सरकार ने जब जांच शुरू की थी तब लगभग 100 से ज्यादा एफआईआर दर्ज की जानी थीं, हालांकि यह आंकड़ा 16 एफआईआर दर्ज होने तक ही पहुंचा था. अब शिवराज सरकार ने घोटाले की जांच को ब्रेक लगा दिया है.
कई बड़े अफसरों और नौकरशाहों के आए थे नाम, अब जांच रुकी
दिसंबर 2019 में प्रदेश में कमलनाथ की अगुवाई में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी. नई सरकार के निर्देश के बाद एसटीएफ को व्यापमं घोटाले की जांच में तेजी लाने और पेंडिंग शिकायतों के आधार पर 100 ऐसी शिकायतों को चिन्हिंत किया गया था. दर्ज होने वाली 100 एफआईआर में करीब 500 लोगों को आरोपी बनाया जाना था. जब तक कांग्रेस की सरकार रही इस मामले में 16 एफआईआर दर्ज भी की गईं. एसटीएफ ने ये शिकायतें अपनी तीन महीने की जांच के बाद दर्ज की थीं. इसमें प्री मेडिकल टेस्ट (PMT) 2008 से लेकर 2011 तक और प्री-पीजी में हुई गड़बड़ियों की शिकायतों पर सबसे पहले एफआईआर दर्ज हुई थी. मामले में 84 एफआईआर और दर्ज होनी थी.
500 आरोपियों में कई मंत्री, नौकरशाह थे शामिल
कमलनाथ सरकार के दौरान जिन 100 शिकायतों को चिन्हित कर उनपर एफआईआर दर्ज की जानी थी उसमें लगभग 500 लोगों को आरोपी बनाया जाना था. इन लोगों में उस समय की तत्कालीन बीजेपी सरकार के कई मंत्री, आईएएस, आईपीएस अफसरों के साथ राजनेताओं और नौकरशाहों के नाम सामने आए थे. एसटीएफ की टीम सिर्फ पेंडिंग शिकायतों या फिर आने वाली नई शिकायतों की जांच कर रही थी. एसटीएफ की जांच में सीबीआई की जांच से अलग चल रही थी. एसटीएफ का सीबीआई की जांच में कोई दखल नहीं था.
जांच अधिकारी बदले, अधिकारी कोरोना ड्यूटी में लगाए
साल 2015 में व्यापमं घोटाले की एसटीएफ से सीबीआई को सौंप दी गई थी. लेकिन मार्च 2020 में प्रदेश में बीजेपी की सरकार वापस आने के बाद बीजेपी ने एसटीएफ चीफ अशोक अवस्थी और एडिशनल एसपी राजेश सिंह भदौरिया को हटा दिया. इसके बाद एसटीएफ के 4 जिलों भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर को दूसरी ड्यूटी पर तैनात कर दिया. इसके साथ ही प्रदेशभर में तैनात एसटीएफ के 200 से ज्यादा अधिकारी कर्मचारियों को कोरोना ड्यूटी में लगा दिया गया. इसके बाद से व्यापम घोटाले की एसटीएफ की जांच फाइलों बंद हो गई है. इस पूरे मामले पर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अजय यादव के मुताबिक
बीजेपी की प्रदेश सरकार इस मामले को लेकर गंभीर नहीं है. सरकार कभी भी यह नहीं चाहती थी की मामले की जांच हो, लेकिन कांग्रेस इस मामले में चुप नहीं बैठेगी.
अजय यादव, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस
ये है व्यापमं घोटाला
- शिवराज सरकार में हुए व्यापम घोटाले की जांच सबसे पहले इंदौर क्राइम ब्रांच ने शुरू की थी.
- साल 2013 में मामले में FIR दर्ज होने के बाद सरकार ने जांच एसटीएफ को सौंप दी थी.
- 21 नवंबर 2014 एसटीएफ ने विज्ञप्ति जारी कर लोगों से घोटाले से जुड़ी सूचनाएं आमंत्रित की थीं.
- एसटीएफ को 1357 शिकायतें मिली जिनमें से 307 शिकायतों की जांच कर 79 एफआईआर दर्ज की गई थी.
- बाकी बची 1050 शिकायतों में से 530 शिकायतें जिला पुलिस को और 197 शिकायतें एसटीएफ के पास जांच के लिए भेजी गईं.
- 323 शिकायतें गुमनाम होने के कारण इन्हें फाइल में दर्ज किया गया लेकिन कार्रवाई नही हुई थी.
- इन्हीं शिकायतों में से 197 शिकायतों की जांच कांग्रेस सरकार ने STF से दोबारा शुरू कराई थी.
- एसटीएफ ने इस मामले में जांच के बाद कई लोगों को गिरफ्तार भी किया था, लेकिन एसटीएफ की कार्रवाई पर सवाल खड़े होने लगे थे.
- व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई भी कर रही है. यह जांच शिवराज सरकार ने ही सीबीआई को सौंपी थी. लेकिन कांग्रेस सरकार में दोबारा शुरू की गई एसटीएफ की जांच को सरकार बदलते ही बीजेपी सरकार ने फाइल बंद कर दिया है.
21 जुलाई को सीबीआई ने कोर्ट में फाइल की पूरक चार्जशीट
मध्यप्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाला-2012 मामले की जांच सीबीआई भी कर रही है. सीबीआई ने इस मामले में 28 जुलाई 2021 को विशेष न्यायाधीश नीतिराज सिसौदिया की कोट् में पूरक चार्ज शीट पेश की है. इस सप्लीमेंट्री चार्जशीट में 73 लोगों को आरोपी बनाया गया है. सप्लीमेंट्री चार्जशीट में पूरक चालान पेश करते हुए 13 नए लोगों को भी आरोपी बनाया गया है. इनमें कुछ मध्यस्थ, 4 स्टूडेंट्स की परिजन, तीन वे लोग जो स्टूडेंट्स की जगह परीक्षा दे रहे थे और 3 लाभार्थियों को भी आरोपी माना गया है. चार्जशीट में व्यापमं के तत्कालीन निदेशक पंकज त्रिवेदी, तत्कालीन वरिष्ठ सिस्टम एना लिस्ट नितिन मोहिंद्रा, तत्कालीन डिप्टी सिस्टम एनालिस्ट अजय कुमार सेन और तत्कालीन प्रोग्रामर सीके मिश्रा का नाम भी शामिल हैं.