भोपाल। व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2013 में अपने स्थान पर दूसरे व्यक्ति से परीक्षा दिलवाना युवक को भारी पड़ा. उसने आरक्षक की नौकरी भी पा ली थी. सीबीआई के विशेष अदालत में चल रहे इस पूरे मामले में आरोपी को सजा सुनाई गई. पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ियों को लेकर एसटीएफ ने इस पूरे मामले में आरोपी के विरुद्ध चालान प्रस्तुत किया था.
आरोपी बन गया था आरक्षक : भोपाल जिला न्यायालय में सीबीआई विशेष न्यायाधीश नीति राज सिंह सिसोदिया ने 2013 में व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित पुलिस आरक्षक भर्ती मामले में एसटीएफ द्वारा दर्ज किए गए मामले में भिंड के रहने वाले बीरेश कुमार जाटव को 7 साल की कैद की सजा सुनाई है. आरोपी बीरेश कुमार जाटव ने अपने स्थान पर दूसरे व्यक्ति को परीक्षा में शामिल कराया था. जिसके बाद उसका पुलिस आरक्षक के पद पर चयन हुआ था. इसके बाद वह मजे से नौकरी करने लगा. लेकिन मामला खुल गया.
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फर्जी दस्तावेज तैयार किए : एसटीएफ की जांच में सामने आया था कि बीरेश कुमार जाटव ने जिसे 2013 दर्पण कॉलोनी थाटीपुर ग्वालियर में परीक्षा सेंटर मिला था. इसमें बीरेश ने अपने स्थान पर दूसरे व्यक्ति से परीक्षा दिलवाई थी. जांच में यह भी सामने आया है कि बीरेश के फिंगरप्रिंट, राइट हैंड राइटिंग परीक्षा में दिए गए आंसर शीट से नहीं मिले. इसके साथ ही परीक्षा में अपने स्थान पर दूसरे व्यक्ति को शामिल कराने के लिए उसके द्वारा कूटरचित दस्तावेज भी तैयार किए गए. बता दें कि व्यापमं की परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वाले कई लोगों को सजा मिल चुकी है.