भोपाल। अपनी नियुक्ति के समय से ही विवादों में घिरीं डाॅ. आशा शुक्ला ने महू स्थित डाॅ. बीआर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति (Vice Chancellor of Ambedkar University) पद से इस्तीफा दे दिया है. डाॅ.आशा शुक्ला ने अपने इस्तीफे के पीछे निजी वजह बताई है. उधर उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने दावा किया है कि डाॅ. आशा शुक्ला के खिलाफ वित्तीय अनियमितता के आरोप थे, इसके चलते विश्वविद्यालय में धारा 44 लगाते हुए उन्हें हटाया गया है. गौरतलब है कि आशा शुक्ला को उनके मूल विश्वविद्यालय से पिछले साल मार्च में ही सेवानिवृत्त कर दिया गया था.इस बीच, आशा शुक्ला का इस्तीफा भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है.
कुलपति को हटाया गया- मोहन यादव
एमपी सरकार ने वित्तीय अनियमितता की शिकायत मिलने के बाद मामले की जांच कराई थी, जिसमें आरोप सही साबित होने पर अंबेडकर विश्वविद्यालय में धारा 44 लगाकर कार्रवाई की गई है. उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने एक वीडियो जारी कर कहा कि किसी भी तरह की अनियमितता बर्दाश्त नहीं होगी. कुलपति डॉ. शुक्ला के कार्यकाल के दौरान वित्तीय अनियमितता की शिकायत सरकार को मिली थी, जो जांच में सही पायी गयी. इसके बाद सरकार ने विश्वविद्यालय में धारा 44 लगाकर कुपपति को अपने पद से हटा दिया है.
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प्रोफेसर आशा शुक्ला पर कई आरोप
डॉ. शुक्ला के कुलपति के कार्यकाल में हुई अनियमितता की इंदौर संभागायुक्त से शिकायत की जांच की गई थी. जांच प्रतिवेदन के आधार पर कुलपति के खिलाफ कार्रवाई की बात कही जा रही है. डॉ. आशा शुक्ला पर पंचायत राज प्रशिक्षण के दौरान बगैर विधिवित प्रक्रिया का पालन कर राशि खर्च करने, परामर्श एवं अतिथि विद्धानों की नियुक्ति में अनियमितता, बिना सक्षम स्वीकृति के यूनिवर्सिटी में अध्ययनशालाओ का गठन करने के संबंध में आरोप लगे थे. साथ ही कुलपति पर जांच के दौरान शिकायतों के संबंध में मूल दस्तावेज भी जांच समिति को उपलब्ध नहीं कराने का आरोप है. (Many allegations against Dr. Asha Shukla)
पहले भी विवादों में रही हैं डाॅ. आशा शुक्ला
डाॅ. आशा शुक्ला की कुलपति के रूप में नियुक्ति विवादों में रही है. कुलपति पद के चयन के लिए 10 सालों तक एक पूर्णकालिक प्रोफेसर का अनुभवन होना जरूरी है, लेकिन डाॅ. शुक्ला के पास क्लासरूम टीचिंग का अनुभव नहीं है. ऐसे में कुलपति पद पर चयन सवालों के घेरे में रहा है. वहीं उनकी नियुक्ति को लेकर भोपाल के बाग सेवनिया थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए फर्जी एनओसी लगाई थी.
मूल विवि से कर दिया गया था सेवानिवृत
डाॅ. शुक्ला भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में महिला अध्ययन विभाग की संचालक के पद पर लंबे समय तक रही हैं. इस दौरान भी उनका नाम विवादों में छाया रहा. उस समय भी उन पर कई तरह के आरोप लगे थे. उनके सेवा संवर्ग के निर्धारण और उनकी सेवानिवृत्ति के प्रकरण को पिछले साल फरवरी में बीयू की कार्यपरिषद में रखा गया था, जिसके बाद उन्हें सेवा निवृत्ति दे दी गई थी.
क्या लिखा अपने इस्तीफे में
डॉ. आशा शुक्ला ने कुलाधिपति को भेजे अपने इस्तीफे में लिखा है कि आपके मार्गदर्शन से विश्वविद्यालय (Dr. BR Ambedkar University) को इतनी ऊंचाइयों पर अपने सहयोगियों के साथ पहुंचाया है. मैं अपने निजी कारणों से अब आगे सेवाएं निरंतर रखने में असमर्थ हूं. कृप्या मेरा त्यागपत्र स्वीकार करें. अब डॉ. आशा शुक्ला की जगह किसी दलित को डॉ. बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय का कुलपति बनाने की चर्चा जोरों पर है.