लखनऊ: अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा विध्वंस मामले में भी अप्रैल 2020 तक फैसला आने की संभावना है. सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को इस मामले की सुनवाई हर दिन करने के निर्देश दिए थे. साथ ही इस मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत को 2 साल में परीक्षण की कार्यवाही पूरी करने को कहा था.
हालांकि इस समय सीमा में हर दिन कार्यवाही चलने के बावजूद सुनवाई पूरी नहीं हो सकी, जिस पर विशेष अदालत के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई 2019 को विशेष अदालत को केस में फैसला सुनाने के लिए 9 महीने का समय और दिया. साथ ही विशेष अदालत को ये भी निर्देश दिया गया कि 6 महीने के अंदर गवाहियां पूरी कर ली जाएं. इसे देखते हुए लखनऊ की विशेष अदालत में चल रहे इस आपराधिक मामले की इसी साल दिसंबर के आखिर तक ट्रायल पूरा होने की संभावना है.
आपको बता दें कि इस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनेाहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार सहित कुल 32 लोगों के खिलाफ सीबीआई गवाह पेश कर रही है. सत्र न्यायालय में चल रही कार्यवाही में कल्याण सिंह के खिलाफ गवाहों को पेश किया जा रहा है. अब तक सीबीआई लगभग 337 गवाह पेश कर चुकी है.
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कुल 48 अभियुक्तों पर आरोप हुए तय
6 दिसम्बर 1992 में घटी घटना के बाद थाना रामजन्म भूमि में मुकदमे दर्ज हुए थे, जिनकी जांच बाद में सीबीआई ने की. आरोप पत्र आने के बाद कुल 48 अभियुक्तों पर आरेाप तय हुआ. इनमें से अब 32 ही जीवित हैं. इस मामले में अभियुक्त रहे बाल ठाकरे, महंत अवैद्य नाथ, विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अध्यक्ष विष्णु हरि डालमिया व रामजन्म भूमि न्यास के महंत रामचंद्र परमहंस दास समेत कुल 16 लोग दिवंगत हो चुके हैं.