भोपाल। एम्स अस्पताल में 40 साल के रवि ब्राह्मणे का शव कोरोना संक्रमित बताकर 32 घंटे तक परिजनों को नहीं दिया गया. इससे नाराज परिजनों ने एम्स में करीब चार घंटे तक हंगामा किया. इसके चलते एम्स परिसर में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया. परिजन ने आरोप लगाया कि उन्हें कोरोना नहीं था. डॉक्टरों ने हार्ट अटैक से मौत होना बताया था, लेकिन अब कोरोना संक्रमित होने की बात कहकर शव देने से मना किया जा रहा है.
शव न देने का एम्स ने दिया तर्क
रवि की मृत्यु के मामले में एम्स ने बताया कि मरीज के शव से सैंपल जांच के लिए लिया गया था. यह सैंपल रिजेक्ट हो गया. इसके बाद आज शुक्रवार सुबह दोबारा सैंपल लिया गया, जिस कारण जांच में देरी हुई है. शुक्रवार को लिए गए सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. जिसके चलते अब शव को नगर निगम को सौंपा जा रहा है.
रवि के सीने में हुआ था दर्द
परिजनों के अनुसार रवि को गुरुवार सुबह 8:00 बजे के करीब घर में ही उन्हें सीने में दर्द हुआ. वे कई अस्पतालों में रवि को लेकर गए पर सभी ने भर्ती करने से मना कर दिया तो एम्स लेकर पहुंचे. यहां भर्ती करने की बात कही गई. परंतु कुछ देर की जांच के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. इसके बाद शव को कोरोना संदिग्ध बताकर शव गृह में रखवा दिया गया.
RT-PCR टेस्ट ही नहीं 'कोरोना संक्रमण की पुष्टि के लिए चेस्ट का CT स्कैन भी जरूरी'
परिजन कई बार शव लेने के लिए पहुंचे तो उन्हें यही बताया गया कि अभी कोरोना की रिपोर्ट नहीं आई है. शुक्रवार सुबह 8:00 बजे परिजनों को बताया गया कि वह कोरोना संक्रमित हैं, इसलिए शव परिजन को नहीं सौंपा जा सकता है. परिजन अंतिम संस्कार के लिए शव मांग रहे थे. परिजन का आरोप है कि दो दिन तक उन्हें कोरोना संक्रमित बताकर गुमराह किया गया. रवि को भर्ती कराने के लिये परिजन अस्पताल दर अस्पताल भटकते रहे, पर ऑक्सीजन की कमी का हवाला देकर तीन से चार अस्पतालों ने रवि को भर्ती करने से मना कर दिया था.