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नौरादेही सेंक्चुरी में आएगा अफ्रीकी चीता, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का वन मंत्री ने किया स्वागत

अफ्रीकन चीते को नौरादेही अभ्यारण्य में बसाने की सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिलने पर वन मंत्री उमंग सिंघार ने प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा है कि प्रदेश के नोरादेही और पालपुर कूनो अभ्यारण्य इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं.

Umang Singhar welcomed SC decision regarding Cheetah
वन मंत्री उमंग सिंघार
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Published : Jan 29, 2020, 4:17 PM IST

भोपाल। अफ्रीकन चीते को नौरादेही अभ्यारण्य में बसाने की सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिलने पर वन मंत्री उमंग सिंघार ने खुशी जाहिर की है और प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा है कि नोरादेही और पालपुर कूनो अभ्यारण इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में 1951 के बाद प्रदेश में चीता नहीं देखा गया, अब प्रदेश का सपना पूरा होगा.

प्रदेश में अब आएगा अफ्रीकन चीता


उमंग सिंघार ने कहा कि अफ्रीकी चीतों के लिए भारत में 3 स्थान चिन्हित किए गए, जिसमें मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर और नौरादेही अभ्यारण शामिल है. साल 2010 में केंद्र ने प्रदेश सरकार से चीता के लिए अभ्यारण तैयार करने के लिए कहा था, पर विभाग ने पहले चीता प्रोजेक्ट के लिए पालपुर कूनो अभ्यारण का प्रस्ताव दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने से रोक दिया.


पालपुर कूनो अभ्यारण्य को एशियाटिक लायन यानी बब्बर शेर के लिए तैयार किया गया है. इसके बाद विभाग ने नौरादेही अभ्यारण्य को चीता की बसाहट के लिए तैयार किया. दोनों ही अभयारण्यों में खुले लंबे घास के मैदान हैं. चीता को शिकार करने के लिए छोटे वन्य प्राणी और लंबे खुले मैदान वाला क्षेत्र चाहिए. उन्हें छिपने के लिए घास की जरूरत होती है विभाग ने नौरादेही से 10 गांव हटाकर यह आवश्यकता पूरी कर दी है.

भोपाल। अफ्रीकन चीते को नौरादेही अभ्यारण्य में बसाने की सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिलने पर वन मंत्री उमंग सिंघार ने खुशी जाहिर की है और प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा है कि नोरादेही और पालपुर कूनो अभ्यारण इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं. उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में 1951 के बाद प्रदेश में चीता नहीं देखा गया, अब प्रदेश का सपना पूरा होगा.

प्रदेश में अब आएगा अफ्रीकन चीता


उमंग सिंघार ने कहा कि अफ्रीकी चीतों के लिए भारत में 3 स्थान चिन्हित किए गए, जिसमें मध्यप्रदेश के कूनो पालपुर और नौरादेही अभ्यारण शामिल है. साल 2010 में केंद्र ने प्रदेश सरकार से चीता के लिए अभ्यारण तैयार करने के लिए कहा था, पर विभाग ने पहले चीता प्रोजेक्ट के लिए पालपुर कूनो अभ्यारण का प्रस्ताव दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने से रोक दिया.


पालपुर कूनो अभ्यारण्य को एशियाटिक लायन यानी बब्बर शेर के लिए तैयार किया गया है. इसके बाद विभाग ने नौरादेही अभ्यारण्य को चीता की बसाहट के लिए तैयार किया. दोनों ही अभयारण्यों में खुले लंबे घास के मैदान हैं. चीता को शिकार करने के लिए छोटे वन्य प्राणी और लंबे खुले मैदान वाला क्षेत्र चाहिए. उन्हें छिपने के लिए घास की जरूरत होती है विभाग ने नौरादेही से 10 गांव हटाकर यह आवश्यकता पूरी कर दी है.

Intro:भोपाल। अफ्रीकन चीते को नौरादेही अभ्यारण में बसाने की सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिलने पर वन मंत्री उमंग सिंगार ने प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा है कि प्रदेश के नोरादेही और पालपुर कूनो अभ्यारण इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में 1951 के बाद प्रदेश में चीता नहीं देखा गया।


Body:वन मंत्री उमंग सिंगार कोर्ट फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह प्रदेश वासियों के लिए खुशी की बात है क्योंकि मध्यप्रदेश में आखिरी बार चीता 1951 में देखा गया था। अफ्रीकी चीतों के लिए भारत में 3 स्थान चिन्हित किए गए, जिसमें मध्य प्रदेश के कूनो पालपुर और नौरादेही अभ्यारण शामिल है। साल 2010 में केंद्र ने प्रदेश सरकार से जीता के लिए अभ्यारण तैयार करने के लिए कहा था पर विभाग ने पहले चीता प्रोजेक्ट के लिए पालपुर कूनो अभ्यारण का प्रस्ताव दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने से रोक दिया। पालपुर कूनो अभ्यारण को एशियाटिक लायन यानी बब्बर शेर के लिए तैयार किया गया है। इसके बाद विभाग ने नौरादेही अभ्यारण को चीता की बसाहट के लिए तैयार किया। दोनों ही अभयारण्यों में खुले लंबे घास के मैदान है। चीता को शिकार करने के लिए छोटे बने प्राणी और लंबे खुले मैदान वाला क्षेत्र चाहिए। उन्हें छिपने के लिए घास की जरूरत होती है विभाग ने नौरादेही से 10 गांव हटाकर यह आवश्यकता पूरी कर दी है।


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