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पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने वाले दो आरोपियों को सात साल की सजा

राजधानी में साल 2012 में पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने के मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ने दो आरोपियों को सात-सात साल की सजा सुनाई गई है. जिसमें परीक्षा में अशोक कुमार रावत की जगह में प्रफुल्ल कुमार परीक्षा देने आया था.

फर्जावाड़ा करने वाले दो आरोपियों को सुनाई गई सात साल की सजा
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Published : Oct 13, 2019, 8:10 AM IST

भोपाल| राजधानी के जिला अदालत में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में साल 2012 में फर्जीवाड़ा करने पर दो आरोपियों को सात साल की सजा सुनाई साथ ही ग्यारह हजार का जुर्माना लगाया गया. पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में मूल परीक्षार्थी की जगह दूसरे परीक्षार्थी को बिठाने के मामले में सजा सुनाई गई है.

Two accused of forgery were sentenced to seven years
फर्जावाड़ा करने वाले दो आरोपियों को सुनाई गई सात साल की सजा

बता दें 30 सितंबर 2012 को सेम इंजीनियरिंग कॉलेज एंव टेक्नोलॉजी कॉलेज में पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें परीक्षार्थी अशोक कुमार रावत की जगह प्रफुल्ल कुमार परीक्षा देने के लिए आया था, लेकिन जब सीट पर हस्ताक्षर और अंगूठा लिया गया तब पूरा फर्जीवाड़ा अधिकारियों के सामने आ गया. इस परीक्षा में तैनात अधिकारियों ने तुरंत ही फर्जीवाड़े को पकड़ लिया था. दोषी पाए जाने के बाद आरोपी प्रफुल्ल कुमार और अशोक कुमार रावत को जिला अदालत से हिरासत में ले लिया और बाद में इन्हें केंद्रीय जेल भेज दिया गया.

पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ फर्जीवाड़े का मामला दर्ज करके गिरफ्तार किया. जिसके बाद से मामला जिला अदालत में चल रहा था, जिसमें आखिरकार विशेष न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए दोनों ही आरोपियों को सात-सात साल की सजा सुनाते हुए ग्यारह हजार का जुर्माना भी लगाया है.

भोपाल| राजधानी के जिला अदालत में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में साल 2012 में फर्जीवाड़ा करने पर दो आरोपियों को सात साल की सजा सुनाई साथ ही ग्यारह हजार का जुर्माना लगाया गया. पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में मूल परीक्षार्थी की जगह दूसरे परीक्षार्थी को बिठाने के मामले में सजा सुनाई गई है.

Two accused of forgery were sentenced to seven years
फर्जावाड़ा करने वाले दो आरोपियों को सुनाई गई सात साल की सजा

बता दें 30 सितंबर 2012 को सेम इंजीनियरिंग कॉलेज एंव टेक्नोलॉजी कॉलेज में पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें परीक्षार्थी अशोक कुमार रावत की जगह प्रफुल्ल कुमार परीक्षा देने के लिए आया था, लेकिन जब सीट पर हस्ताक्षर और अंगूठा लिया गया तब पूरा फर्जीवाड़ा अधिकारियों के सामने आ गया. इस परीक्षा में तैनात अधिकारियों ने तुरंत ही फर्जीवाड़े को पकड़ लिया था. दोषी पाए जाने के बाद आरोपी प्रफुल्ल कुमार और अशोक कुमार रावत को जिला अदालत से हिरासत में ले लिया और बाद में इन्हें केंद्रीय जेल भेज दिया गया.

पुलिस ने दोनों आरोपियों के खिलाफ फर्जीवाड़े का मामला दर्ज करके गिरफ्तार किया. जिसके बाद से मामला जिला अदालत में चल रहा था, जिसमें आखिरकार विशेष न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए दोनों ही आरोपियों को सात-सात साल की सजा सुनाते हुए ग्यारह हजार का जुर्माना भी लगाया है.

Intro:जिला अदालत ने आरक्षक भर्ती परीक्षा मैं फर्जीवाड़ा करने पर 2 लोगों को सुनाई 7 साल की सजा


भोपाल | आरक्षक भर्ती परीक्षा में अपनी जगह दूसरे व्यक्ति को परीक्षा के लिए बिठाए जाने पर जिला अदालत ने दोनों ही आरोपियों को 7 साल की सजा सुनाई है . राजधानी की जिला अदालत ने पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा के दौरान मूल परीक्षार्थी के स्थान पर दूसरे परीक्षार्थी को बिठाने के मामले में दोनों ही आरोपितों को 7 - 7 साल की सजा एवं 11 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है .








Body:राजधानी की जिला अदालत में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने आरक्षक भर्ती परीक्षा वर्ष 2012 के इस मामले में दोनों आरोपियों को इस मामले में दोषी पाए जाने पर सजा सुनाई है . विशेष न्यायाधीश के द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद आरोपित प्रफुल्ल कुमार एवं अशोक कुमार रावत को जिला अदालत से ही हिरासत में ले लिया गया और बाद में इन्हें केंद्रीय जेल भेज दिया गया है .


Conclusion:
बता दें कि 30 सितंबर 2012 को सेम इंजीनियरिंग कॉलेज एवं टेक्नोलॉजी कॉलेज के कमरा नंबर 15 में पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित की गई थी . लेकिन इस परीक्षा के दौरान वास्तविक परीक्षार्थी अशोक कुमार रावत के स्थान पर प्रफुल्ल कुमार नाम का व्यक्ति परीक्षा देने के लिए आया था . लेकिन जब सीट पर हस्ताक्षर एवं अंगूठा निशानी की गई तो यह पूरा फर्जीवाड़ा अधिकारियों के सामने खुलकर आ गया था . इस परीक्षा में तैनात अधिकारियों ने तुरंत ही फर्जीवाड़े को पकड़ लिया था , क्योंकि ना तो वास्तविक परीक्षार्थी के हस्ताक्षर का मिलान हो रहा था और ना ही अंगूठे का निशान मेल खा रहा था . इसके बाद ही पुलिस ने दोनों आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज किया था और उसके बाद दोनों की गिरफ्तारी भी हो गई थी . तब से ही यह मामला जिला अदालत में चल रहा था , जिसमें आखिरकार विशेष न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए दोनों आरोपितों को 7-7 साल की कैद सुनाई है .
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