भोपाल। किसानों की कर्जमाफी को ढोंग बताकर शिवराज सिंह अपने ही जाल में फंसते जा रहे हैं. शिवराज के कर्ज माफी से इनकार करने पर कांग्रेस ने उनके घर 21 लाख किसानों की कर्जमाफी की लिस्ट भेज दी, जिसे पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने झूठ का पुलिंदा करार दे दिया. जिसके बाद से ही बीजेपी और कांग्रेस के बीच किसानों का कर्जमाफ करने को लेकर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है.
प्रदेश सरकार के दावों को झूठा करार देते हुए पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर निशाना साधा है, उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि कृषि विभाग की सूची नहीं, बैंक की सूची दिखाइये. तो कांग्रेस ने उनके परिवार के सात आवेदन दिखा दिए. उसके बाद शिवराज और उनके भाई ने कहा कि हम हिंदी में दस्तखत नहीं करते, तो कांग्रेस ने उनके भाई के दस्तखत के दूसरे दस्तावेज दिखा दिए. जिस पर सीएम कमलनाथ ने ट्वीट किया कि शिवराज सिंह ने खुद स्वीकारा है कि उनके भाई का कर्जमाफ हुआ है. कमलनाथ के इस ट्वीट से शिवराज इतने बौखला गए की उन्होंने लगातार कई ट्वीट कर डाले.
शिवराज ने ट्वीट कर कहा कि 'नोड्यूज सर्टिफिकेट और यूटीआर नंबर दिखाओ,' तो कांग्रेस ने वो भी उनके घर भेज दिए. जिसके बाद शिवराज के ट्वीट पर कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा कि 'भले सारे प्रमाण हमने सामने ला दिये हैं लेकिन असली मुद्दा कर्ज माफी ही है, किसानों के खाते में राशि आना है जो हमने किया है.' इस ट्वीट के जवाब में शिवराज ने लगातार कई ट्वीट किए. 'झूठ पर झूठ, कमलनाथ जी कुछ तो शर्म करो. जब मेरे भाई ने आवेदन ही नहीं दिया तो आपने कर्जा किसका माफ कर दिया? आपने वचनपत्र में कहा था कि आयकरदाता किसानों का कर्ज सरकार माफ नहीं करेगी, मेरा भाई करदाता है, फिर आपने उसका कर्ज़ा कैसे माफ किया? यहां भी झोलझाल.'
इस ट्विटर वार को लेकर कांग्रेस नेता सुरेश पचौरी का कहना है कि मेरा शिवराज सिंह से विनम्र निवेदन है कि वो स्वीकार करें कि उन्होंने अपने जमाने में और उनकी पार्टी ने वादे किए थे और नारे दिए थे कि 'भाजपा जब राज करेगी, तो सारे कर्जे माफ करेगी' और 'भाजपा का कहना साफ हर किसान का होगा कर्जा माफ.' सुरेश पचौरी का ये भी कहना है कि बीजेपी ने 2008 में 50 हजार तक के कर्ज माफ करने की बात कही थी, लेकिन कर्जा माफ नहीं हुआ. सुरेश पचौरी ने ये भी कहा कि शिवराजसिंह ट्वीट करके प्रदेश की जनता को गुमराह न करें. बल्कि ये स्वीकार करें कि उन्होंने अन्नदाताओं के साथ ठगी की थी, जिसकी परिणाम ये हुआ कि वो चुनाव हार गए और लोकसभा में भी हारने जा रहे हैं.