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Ashad Gupta Navratri 2021: त्रिपुर सुंदरी की साधना देती है चमत्कारिक फल, जानिए! कथा और मां का कवच मंत्र

गुप्त नवरात्रि (Ashad gupta navratri 2021) के तीसरे दिन त्रिपुर सुंदरी मां ललिता देवी (tripur sundari maa lalita) की पूजा अर्चना होती है. दस महाविद्याओं (Dus Mahavidya) में से तीसरे स्थान पर आती हैं. शास्त्रानुसार इनकी साधाना काफी चमत्कारिक फल देती है, जो थोड़ी कठिन भी होती है.

tripur Sundari maa lalita devi
त्रिपुर सुंदरी मां ललिता देवी
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Published : Jul 13, 2021, 6:41 AM IST

भोपाल। आज गुप्त नवरात्रि (Ashad gupta navratri 2021) का तीसरा दिन आद्य महाविद्या त्रिपुर सुंदरी (tripur sundari maa lalita) को समर्पित होता है. देवी त्रिपुर सुंदरी अनुपम सौंदर्य, भक्तों को अभय प्रदान करने वाली हैं. जो यौवनयुक्त हैं और तीनों लोकों में विराजमान हैं. उन्हें कई नामों से पुकारा जाता है. जैसे षोडशी, ललिता, लीलावती, लीलामती, ललिताम्बिका, लीलेशी, लीलेश्वरी, कामाक्षी, शताक्षी, कामेश्वरी, राज-राजेश्वरी, बाला, ललिता, मीनाक्षी, आदि.

शनि के प्रकोप से बचाएंगे हनुमान जी: मंगलवार के अचूक उपाय, अन्न, धन और नौकरी की नहीं होगी कमी

शास्त्रों के अनुसार, मां ललिता देवी (Tripur Sundari Maa Lalita) की साधना काफी चमत्कारिक फल और कठिन है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां वर देने के लिए तत्पर और सौम्य और दया से पूर्ण हृदय वाली मानी जाती हैं. जानिए कैसे हुई मां ललिता देवी की उत्पत्ति, स्वरूप और आरती-

कई कथाएं हैं प्रचलित (Stories Of Maa Lalita Devi)

मां ललिता देवी की उत्पत्ति को लेकर कई पौराणिक कथाए प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार, भगवान शंकर के हृदय में धारण करने वाली सती नैमिष में लिंगधारिणी नाम से विख्यात हुईं देवी मां को ललिता देवी के नाम से पुकारा जाने लगा. एक अन्य कथा के अनुसार, देवी की उत्पत्ति उस वक्त हुई जब भगवान द्वारा छोड़े गए चक्र से पाताल समाप्त होने लगा. जिसे देखकर ऋषि-मुनि घबरा गए. पृथ्वी लोक में पानी भरने लगा. तब सभी ऋषि-मुनि मां ललिता देवी की उपासना करने लगे. उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर मां ललिता देवी प्रकट हुईं और इस विनाशकारी च्रक को रोक दिया. फिर सृष्टि को नवजीवन मिला.

ऐसी है मां tripur sundari maa lalita

त्रिपुर सुंदरी शांत मुद्रा में लेटे हुए सदाशिव की नाभि से निर्गत कमल-आसन पर विराजमान हैं. चार भुजाओं में देवी के पाश, अंकुश, धनुष और बाण हैं. तीन नेत्रों से युक्त और मस्तक पर अर्ध चंद्र को धारण करती हैं. मान्यता है कि मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा-अर्चना करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

ललिता माता आरती- (Tripur Sundari Maa Lalita Aarti)

(जय शरणं वरणं नमो नम:)

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी!

राजेश्वरी जय नमो नम:!!

करुणामयी सकल अघ हारिणी!

अमृत वर्षिणी नमो नम:!!

जय शरणं वरणं नमो नम:

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी...!

अशुभ विनाशिनी, सब सुखदायिनी!

खलदल नाशिनी नमो नम:!!

भंडासुर वध कारिणी जय मां!

करुणा कलिते नमो नम:!!

जय शरणं वरणं नमो नम:

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी...!

भव भय हारिणी कष्ट निवारिणी!

शरण गति दो नमो नम:!!

शिव भामिनी साधक मन हारिणी!

आदि शक्ति जय नमो नम:!!

जय शरणं वरणं नमो नम:!

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी...!!

जय त्रिपुर सुंदरी नमो नम:!

जय राजेश्वरी जय नमो नम:!!

जय ललितेश्वरी जय नमो नम:!

जय अमृत वर्षिणी नमो नम:!!

जय करुणा कलिते नमो नम:!

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी...!

मंत्र (Maa Lalita Mantra)—

"ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः "

माँ आद्य महाविद्या त्रिपुर सुंदरी कवच (Tripur Sundari Maa Lalita Kavach)

ॐ पूर्वे मां भैरवी पातु बाला मां पातु दक्षिणे .

मालिनी पश्चिमे पातु त्रासिनी उत्तरेऽवतु ..

ऊधर्व पातु महादेवी महात्रिपुरसुन्दरी .

अधस्तात् पातु देवेशी पातालतलवासिनी ..

आधारे वाग्भव: पातु कामराजस्तथा हदि .

डामर: पातु मां नित्यं मस्तके सर्वकामद: ..

ब्रह्मरन्ध्रे सर्वगात्रे छिद्रस्थाने च सर्वदा .

महाविद्या भगवती पातु मां परमेश्वरी ..

ऐं ह्रीं ललाटे मां पातु क्लीं क्लूं सश्च नेत्रयो: .

नासायां मे कर्णयोश्च द्रीं द्रैं द्रां चिबुके तथा ..

सौ: पातु गले ह्रदये सह ह्रीं नाभिदेशके .

कलह्रीं क्लीं स्त्रीं गुहादेशे स ह्रीं पादयोस्तथा ..

सह्रीं मां सर्वत: पातु सकली पातु सन्धिषु .

जले स्थले तथाऽऽकाशे दिक्षु राजग्रहे तथा ..

भोपाल। आज गुप्त नवरात्रि (Ashad gupta navratri 2021) का तीसरा दिन आद्य महाविद्या त्रिपुर सुंदरी (tripur sundari maa lalita) को समर्पित होता है. देवी त्रिपुर सुंदरी अनुपम सौंदर्य, भक्तों को अभय प्रदान करने वाली हैं. जो यौवनयुक्त हैं और तीनों लोकों में विराजमान हैं. उन्हें कई नामों से पुकारा जाता है. जैसे षोडशी, ललिता, लीलावती, लीलामती, ललिताम्बिका, लीलेशी, लीलेश्वरी, कामाक्षी, शताक्षी, कामेश्वरी, राज-राजेश्वरी, बाला, ललिता, मीनाक्षी, आदि.

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शास्त्रों के अनुसार, मां ललिता देवी (Tripur Sundari Maa Lalita) की साधना काफी चमत्कारिक फल और कठिन है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां वर देने के लिए तत्पर और सौम्य और दया से पूर्ण हृदय वाली मानी जाती हैं. जानिए कैसे हुई मां ललिता देवी की उत्पत्ति, स्वरूप और आरती-

कई कथाएं हैं प्रचलित (Stories Of Maa Lalita Devi)

मां ललिता देवी की उत्पत्ति को लेकर कई पौराणिक कथाए प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार, भगवान शंकर के हृदय में धारण करने वाली सती नैमिष में लिंगधारिणी नाम से विख्यात हुईं देवी मां को ललिता देवी के नाम से पुकारा जाने लगा. एक अन्य कथा के अनुसार, देवी की उत्पत्ति उस वक्त हुई जब भगवान द्वारा छोड़े गए चक्र से पाताल समाप्त होने लगा. जिसे देखकर ऋषि-मुनि घबरा गए. पृथ्वी लोक में पानी भरने लगा. तब सभी ऋषि-मुनि मां ललिता देवी की उपासना करने लगे. उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर मां ललिता देवी प्रकट हुईं और इस विनाशकारी च्रक को रोक दिया. फिर सृष्टि को नवजीवन मिला.

ऐसी है मां tripur sundari maa lalita

त्रिपुर सुंदरी शांत मुद्रा में लेटे हुए सदाशिव की नाभि से निर्गत कमल-आसन पर विराजमान हैं. चार भुजाओं में देवी के पाश, अंकुश, धनुष और बाण हैं. तीन नेत्रों से युक्त और मस्तक पर अर्ध चंद्र को धारण करती हैं. मान्यता है कि मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा-अर्चना करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

ललिता माता आरती- (Tripur Sundari Maa Lalita Aarti)

(जय शरणं वरणं नमो नम:)

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी!

राजेश्वरी जय नमो नम:!!

करुणामयी सकल अघ हारिणी!

अमृत वर्षिणी नमो नम:!!

जय शरणं वरणं नमो नम:

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी...!

अशुभ विनाशिनी, सब सुखदायिनी!

खलदल नाशिनी नमो नम:!!

भंडासुर वध कारिणी जय मां!

करुणा कलिते नमो नम:!!

जय शरणं वरणं नमो नम:

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी...!

भव भय हारिणी कष्ट निवारिणी!

शरण गति दो नमो नम:!!

शिव भामिनी साधक मन हारिणी!

आदि शक्ति जय नमो नम:!!

जय शरणं वरणं नमो नम:!

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी...!!

जय त्रिपुर सुंदरी नमो नम:!

जय राजेश्वरी जय नमो नम:!!

जय ललितेश्वरी जय नमो नम:!

जय अमृत वर्षिणी नमो नम:!!

जय करुणा कलिते नमो नम:!

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी...!

मंत्र (Maa Lalita Mantra)—

"ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः "

माँ आद्य महाविद्या त्रिपुर सुंदरी कवच (Tripur Sundari Maa Lalita Kavach)

ॐ पूर्वे मां भैरवी पातु बाला मां पातु दक्षिणे .

मालिनी पश्चिमे पातु त्रासिनी उत्तरेऽवतु ..

ऊधर्व पातु महादेवी महात्रिपुरसुन्दरी .

अधस्तात् पातु देवेशी पातालतलवासिनी ..

आधारे वाग्भव: पातु कामराजस्तथा हदि .

डामर: पातु मां नित्यं मस्तके सर्वकामद: ..

ब्रह्मरन्ध्रे सर्वगात्रे छिद्रस्थाने च सर्वदा .

महाविद्या भगवती पातु मां परमेश्वरी ..

ऐं ह्रीं ललाटे मां पातु क्लीं क्लूं सश्च नेत्रयो: .

नासायां मे कर्णयोश्च द्रीं द्रैं द्रां चिबुके तथा ..

सौ: पातु गले ह्रदये सह ह्रीं नाभिदेशके .

कलह्रीं क्लीं स्त्रीं गुहादेशे स ह्रीं पादयोस्तथा ..

सह्रीं मां सर्वत: पातु सकली पातु सन्धिषु .

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