भोपाल। मध्यप्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, जिसकी तैयारी में दोनों पार्टियों ने पूरी ताकत लगा दी है. कांग्रेस असंतुष्टों को केंद्र में रखकर चुनावी रणनीति तैयार कर रही है और कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए पूर्व विधायकों के खिलाफ मुहिम चला रही है. इधर बीजेपी उपचुनाव के पहले डैमेज कंट्रोल में लगी है, इसके लिए पार्टी ने अपने सबसे भरोसेमंद सिपाही को संकटमोचक की भूमिका में मैदान में उतार दिया है.
पूर्व विधायकों पर निशाना
कांग्रेस की ये सारी कवायद उपचुनाव के पहले जनता के बीच पहुंचने की भी है. कमलनाथ सरकार गिरने के बाद 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की घोषणा भले ही अभी नहीं हुई है, लेकिन कांग्रेस हर दिन बीजेपी के उन विधायकों को निशाना बना रही है, जिन्होंने मिलकर प्रदेश में तख्तापलट किया है, इस मिशन में हर दिन कांग्रेस किसी ना किसी पोस्ट के जरिए 22 पूर्व विधायकों को निशाना बना रही है.
बीजेपी को लग चुका है बड़ा झटका
इधर वरिष्ठ नेता बालेंदु शुक्ला और प्रेमचंद गुड्डू के बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल होने से बड़ा झटका लगा है. इसके बाद से बीजेपी डैमेज कंट्रोल में जुट गई है. बीजेपी असंतुष्टों को मनाने में जुट गई है, ग्वालियर-चंबल अंचल के लिए पार्टी ने सबसे भरोसेमंद सिपाही नरोत्तम मिश्रा को संकटमोचक की भूमिका में मैदान में उतारा है. उधर राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटेरिया के मुताबिक कांग्रेस कांटे से कांटा निकालने की युक्ति पर काम कर रही है.
बीजेपी-कांग्रेस आमने सामने
प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के मुताबिक उपचुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ होना निश्चित है, कांग्रेस सिर्फ सोशल मीडिया पर दिखाई देती है, जमीन पर न तो वो पहले थी और न ही अब है. उधर पूर्व मंत्री लाखन सिंह यादव के मुताबिक धोखा देकर बीजेपी में शामिल हुए विधायकों से जमीनी स्तर पर बड़ी नाराजगी है. इसका परिणाम उपचुनाव में दिखेगा. लिहाजा कांग्रेस जहां बीजेपी में शामिल हुए विधायकों के खिलाफ मुहिम चला रही है. वहीं बीजेपी में चल रही अंदरूनी कलह का फायदा उठाने की कोशिश में जुटी है. हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक कांग्रेस से ज्यादा चुनौती बीजेपी के सामने है क्योंकि कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं बचा है.