छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी का निधन
छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी का शुक्रवार को यहां निधन हो गया. छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के 74 वर्षीय नेता की गत 9 मई से हालत नाजुक थी. आज जोगी को तीसरी बार दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद डॉक्टरों ने अपराह्न 3.30 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया.
CM शिवराज ने अजीत जोगी को दी श्रद्धांजलि, बताया एक बेहतर प्रशासक और राजनीतिज्ञ
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने श्रद्धांजलि दी. शिवराज ने कहा कि, अजीत जोगी एक बेहतर प्रशासक और बेहतर राजनीतिज्ञ थे. जिन्होंने मध्यप्रदेश में कलेक्टर रहते हुए इंदौर में अपनी बेहतर सेवाएं दीं. विभाजन होने के बाद छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया, जो प्रदेश की जनता हमेशा याद रखेंगी.
छत्तीसगढ़ के पहले CM अजीत जोगी का निधन, ग्वालियर में बतौर IAS हुई थी पहली पोस्टिंग
पूर्व नौकरशाह व छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी का निधन हो गया. अजीत जोगी नौकरशाही में संवेदनशील परंपरा के अफसर थे, जो सियासत में सामाजिक यांत्रिकीय को मजबूत करने वाले नेता बनकर उभरे थे. उनकी ये तकनीक इतनी कारगर हुई कि अर्जुन सिंह के सशक्त सियासी कुनबे में अपना वजूद बनाने में कामयाब रहे, जबकि उनके कुनबे में पहले से ही दिग्विजय सिंह और सुभाष यादव जैसे दिग्गज नेता मौजूद थे.
'मजदूरों के पैरों के छाले नहीं दिख रहे, सिर्फ नफरत फैला रहे हैं,' कैलाश के बयान पर बोले आरिफ
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने आर्टिकल 30 के प्रावधान को हटाने की मांग की है, उनके इस बयान पर तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. विजयवर्गीय के बयान पर भोपाल मध्य से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा 'इनको इस समय पर मजदूरों के पैरों में पड़े छाले नहीं दिख रहे हैं. गरीबों को राशन नहीं मिल रहा है, वह भी नहीं दिख रहा है. ये सिर्फ नफरत फैलाने के काम में लगे हुए हैं. पहले दिन से संविधान को मिटाने का काम कर रहे हैं, लेकिन हम अंबेडकरवादी लोग इसका पुरजोर विरोध करेंगे.'
लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों का पलायन लगातार चल रहा है. हालांकि कई श्रमिक मजदूर ऐसे हैं जो अभी भी अपने गंतव्य जाने का इंतजार कर रहे हैं.मध्यप्रदेश में भी कई दूसरे राज्यों के प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं, जिन्हें उनके गृह राज्य भेजने की व्यवस्था मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा की जा रही है. अब पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूरों को भी उनके घर पहुंचाने के लिए सरकार ने तीन स्पेशल ट्रेन चलाई है. जो 2 जून को इंदौर, भोपाल और रतलाम से चलेगी.
बीजेपी शासित राज्यों में PPE किट-मेडिकल उपकरण खरीदी में हो रहा बड़ा घोटाला: सज्जन सिंह वर्मा
कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने पीपीई किट खरीदी में बीजेपी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष राजीव बिंदल के इस्तीफे से साफ हो गया है कि जिन-जिन राज्यों में बीजेपी सरकारें हैं, उन राज्यों में पीपीई किट व मेडिकल उपकरण खरीदी में बड़ा भ्रष्टाचार हो रहा है.
महामारी के सामने फीके पड़े उप-चुनाव के तमाम मुद्दे, कांग्रेस ने की तैयारी
प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरने के बाद विधायकों के बिकने और दलबदल जैसे तमाम मुद्दे कोरोना के दौर में बेअसर हो गए हैं, ऐसे में आगामी उपचुनाव में कोरोना की त्रासदी ही मुख्य मुद्दा बनने जा रही है. इंदौर में कांग्रेस ने राहत सामग्री के नाम पर हुई घपलेबाजी और लॉकडाउन में जनता को हो रही परेशानी को ही मतदाताओं के बीच उपचुनाव में मुख्य मुद्दा बनाने का फैसला किया है.
जून में पीक पर होगा कोरोना, क्या है राजधानी भोपाल की तैयारी
राजधानी भोपाल समेत पूरे मध्यप्रदेश में कोरोना वायरस का संक्रमण दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है, इसके साथ ही मौत का आंकड़ा भी अब 300 के पार पहुंच गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अनुमान के मुताबिक देश भर में कोरोना के पॉजिटिव मामलों की संख्या आने वाले दो-तीन महीनों में बढ़ सकती है. इससे मध्यप्रदेश भी अछूता नहीं है, मध्यप्रदेश में जून- जुलाई में मरीजों की संख्या काफी ज्यादा हो सकती है.
मध्यप्रदेश सरकार ने रेड जोन में भी शराब दुकानें खोलने का फैसला किया है. जिसका मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने विरोध किया और सरकार के इस फैसले को शर्मनाक बताया. कमलनाथ ने कहा कि लॉकडाउन के चलते मध्यप्रदेश में धार्मिक स्थल, स्कूल, कॉलेज, सब कुछ बंद है, लेकिन प्रदेश की मदिरा प्रेमी सरकार शराब की दुकाने जरूर खुलवा रखी है.
लॉकडाउन में 12वीं की परीक्षा कराना माध्यमिक शिक्षा मंडल के लिए बड़ी चुनौती
माध्यमिक शिक्षा मंडल की 12वीं की शेष परीक्षाएं 9 जून से प्रारंभ होनी है. जिसकी तैयारी में स्कूल शिक्षा विभाग लगा है, लेकिन कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के बीच परीक्षाएं कराना बड़ी चुनौती है, जिसके चलते विभाग भी असमंजस में है. राजधानी भोपाल में कोरोना के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इस बीच बोर्ड परीक्षाएं कराना विभाग के लिए बड़ी चुनौती है क्योंकि राजधानी के हर दूसरे कोने पर कंटेन्मेंट जोन हैं. ऐसे में उन क्षेत्रों में परीक्षाएं कैसे आयोजित की जाएंगी, इन सभी विषयों को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना ने विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की और 19 स्कूलों की सूची तैयार की जो भोपाल के कंटेन्मेंट एरिया में आते हैं.