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MP में 18 महीने बाद फिर खुले स्कूल: कोरोना का डर बरकरार, बच्चों को स्कूल भेजने में झिझक रहे अभिभावक

देश में करीब 18 महीने बाद खुले स्कूलों में कोरोना प्रोटोकॉल (Corona protocol) का पालन सख्ती के साथ किया जा रहा है. भोपाल (Bhopal), इंदौर (Indore), जबलपुर (jabalpur), जैसे शहरों के सभी स्कूलों (Schools) की तैयारी ठीक दिखाई दी. लेकिन ग्रामीण इलाकों के स्कूलों की स्थिति ठीक नजर नहीं आई. दरअसल, प्रदेश में आज 6 से 12 तक के सभी स्कूल 50% विद्यार्थी क्षमता के साथ खोले गए हैं.

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Published : Sep 1, 2021, 10:52 AM IST

Updated : Sep 1, 2021, 1:32 PM IST

reopen mp schools
एमपी में फिर खुले स्कूल

भोपाल। प्रदेश में 6 से 12 तक के सभी स्कूल 50% विद्यार्थी क्षमता के साथ आज यानी 1 सितंबर से खोले जा रहे हैं. इस व्यवस्था में अभिभावकों की सहमति अनिवार्य की गई है. साथ ही स्कूल प्रबंधन (school management) और अभिभावकों (Parents) को कोरोना प्रोटोकॉल (Corona protocol) का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं.

MP में 18 महीने बाद फिर खुले स्कूल


कहीं बेहतर तो कहीं बदतर स्थिति
प्रदेश में करीब 18 महीने बाद खुले स्कूलों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सख्ती के साथ किया जा रहा हैं. भोपाल (Bhopal), इंदौर (Indore), जबलपुर (Jabalpur), आदि शहरों के सभी स्कूलों की तैयारी ठीक दिखाई दी. लेकिन ग्रामीण इलाकों के स्कूलों की स्थिति ठीक नजर नहीं आई, यहां स्कूल प्रबंधन की ओर से न कोई इंतजाम किया गया और न ही कोरोना प्रोटोकॉल का पालन होता नजर आया. ऐसा ही हाल देखने को मिला रतलाम (Ratlam) और शिवपुरी (Shivpuri) के स्कूल परिसर में, जहां शिवपुरी का स्कूल आदेश के बाद भी बंद नजर आया, तो रतलाम के स्कूल ग्राउंड में जानवर घास चरते नजर आए.

यहां दिखा कोरोना प्रोटोकॉल का पालन
वहीं दूसरी ओर भोपाल और इंदौर के साशकीय स्कूलों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन पूरी सख्ती के साथ कराया गया है. इन स्कूलों में थर्मल स्क्रीन, मास्क, सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा गया. इसके अलावा बच्चों के खाने-पीने के सामान पर भी खास ध्यान रखा गया. भोपाल के प्रोफेसर कॉलोनी स्थित शासकीय विद्या विहार स्कूल में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. यहां बच्चों से कोरोना गाइडलाइन का पालन कराने के लिए शिक्षकों की एक कोरोना कामेटी भी बनाई गई है. इनका काम स्कूल में पूरी व्यवस्था बनाने से लेकर बच्चों को कोरोना गाइड लाइन का पालन कराने का है.

5 घंटे तक स्कूल में कैसे रहेंगे बच्चे
सभी स्टूडेंट्स से दो गज की दूर का पालन कराना होगा. एक टेबल पर सिर्फ दो स्टूडेंट्स ही बैठेंगे. बीच की सीट को खाली रखा जाएगा. बच्चों को अपना लंच घर से ही लाना होगा. बच्चे अपना लंच आपस में शेयर नहीं करेंगे. सारे बच्चे एक साथ लंच नहीं करेंगे और पानी की बोतल भी किसी के साथ शेयर नहीं करेंगे. सभी खेलकूद गतिविधियों पर रोक रहेगी. विद्यार्थी आपस में कोई भी चीज शेयर नहीं करेंगे फिर चाहे वो पेन, कॉपी, पेंसिल ही क्यों न हो. सभी विद्यार्थियों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना होगा. जुकाम, खांसी, बुखार होने पर विद्यालय नहीं आएं. स्कूल में आने और जाने पर टीचर की ड्यूटी रहेगी, जो मास्क लगाने वाले स्टूडेंट को ही आने व जाने देगा. बस में स्टूडेंट को सीट पहले से ही तय होगा जहां उन्हें बैठना होगा.

बच्चों को स्कूल भेजें या नहीं : MP में सरकार आज से स्कूल खोलने को तैयार, पेरेंट्स का इनकार

बच्चों को स्कूल भेजने के विरोध में पेरेंट्स
वहीं दूसरी ओर छोटी क्लास के बच्चों को स्कूल भेजने के सरकार के फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है. बच्चों के अभिभावक और पालक संघ इसके विरोध में है. पालक संघ का कहना है कि छोटी कक्षाओं के बच्चों को स्कूल में भेजने से कोरोना का खतरा ज्यादा है, क्योंकि 9वीं से लेकर 12वीं क्लास तक के बच्चे तो समझदार होते हैं, लेकिन छोटे बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को लेकर ज्यादा समझदारी नहीं दिखा पाते इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे.

भोपाल। प्रदेश में 6 से 12 तक के सभी स्कूल 50% विद्यार्थी क्षमता के साथ आज यानी 1 सितंबर से खोले जा रहे हैं. इस व्यवस्था में अभिभावकों की सहमति अनिवार्य की गई है. साथ ही स्कूल प्रबंधन (school management) और अभिभावकों (Parents) को कोरोना प्रोटोकॉल (Corona protocol) का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं.

MP में 18 महीने बाद फिर खुले स्कूल


कहीं बेहतर तो कहीं बदतर स्थिति
प्रदेश में करीब 18 महीने बाद खुले स्कूलों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सख्ती के साथ किया जा रहा हैं. भोपाल (Bhopal), इंदौर (Indore), जबलपुर (Jabalpur), आदि शहरों के सभी स्कूलों की तैयारी ठीक दिखाई दी. लेकिन ग्रामीण इलाकों के स्कूलों की स्थिति ठीक नजर नहीं आई, यहां स्कूल प्रबंधन की ओर से न कोई इंतजाम किया गया और न ही कोरोना प्रोटोकॉल का पालन होता नजर आया. ऐसा ही हाल देखने को मिला रतलाम (Ratlam) और शिवपुरी (Shivpuri) के स्कूल परिसर में, जहां शिवपुरी का स्कूल आदेश के बाद भी बंद नजर आया, तो रतलाम के स्कूल ग्राउंड में जानवर घास चरते नजर आए.

यहां दिखा कोरोना प्रोटोकॉल का पालन
वहीं दूसरी ओर भोपाल और इंदौर के साशकीय स्कूलों में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन पूरी सख्ती के साथ कराया गया है. इन स्कूलों में थर्मल स्क्रीन, मास्क, सैनिटाइजर और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा गया. इसके अलावा बच्चों के खाने-पीने के सामान पर भी खास ध्यान रखा गया. भोपाल के प्रोफेसर कॉलोनी स्थित शासकीय विद्या विहार स्कूल में भी कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला. यहां बच्चों से कोरोना गाइडलाइन का पालन कराने के लिए शिक्षकों की एक कोरोना कामेटी भी बनाई गई है. इनका काम स्कूल में पूरी व्यवस्था बनाने से लेकर बच्चों को कोरोना गाइड लाइन का पालन कराने का है.

5 घंटे तक स्कूल में कैसे रहेंगे बच्चे
सभी स्टूडेंट्स से दो गज की दूर का पालन कराना होगा. एक टेबल पर सिर्फ दो स्टूडेंट्स ही बैठेंगे. बीच की सीट को खाली रखा जाएगा. बच्चों को अपना लंच घर से ही लाना होगा. बच्चे अपना लंच आपस में शेयर नहीं करेंगे. सारे बच्चे एक साथ लंच नहीं करेंगे और पानी की बोतल भी किसी के साथ शेयर नहीं करेंगे. सभी खेलकूद गतिविधियों पर रोक रहेगी. विद्यार्थी आपस में कोई भी चीज शेयर नहीं करेंगे फिर चाहे वो पेन, कॉपी, पेंसिल ही क्यों न हो. सभी विद्यार्थियों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना होगा. जुकाम, खांसी, बुखार होने पर विद्यालय नहीं आएं. स्कूल में आने और जाने पर टीचर की ड्यूटी रहेगी, जो मास्क लगाने वाले स्टूडेंट को ही आने व जाने देगा. बस में स्टूडेंट को सीट पहले से ही तय होगा जहां उन्हें बैठना होगा.

बच्चों को स्कूल भेजें या नहीं : MP में सरकार आज से स्कूल खोलने को तैयार, पेरेंट्स का इनकार

बच्चों को स्कूल भेजने के विरोध में पेरेंट्स
वहीं दूसरी ओर छोटी क्लास के बच्चों को स्कूल भेजने के सरकार के फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है. बच्चों के अभिभावक और पालक संघ इसके विरोध में है. पालक संघ का कहना है कि छोटी कक्षाओं के बच्चों को स्कूल में भेजने से कोरोना का खतरा ज्यादा है, क्योंकि 9वीं से लेकर 12वीं क्लास तक के बच्चे तो समझदार होते हैं, लेकिन छोटे बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को लेकर ज्यादा समझदारी नहीं दिखा पाते इसलिए सुरक्षा की दृष्टि से वे अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजेंगे.

Last Updated : Sep 1, 2021, 1:32 PM IST
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