भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र का आज आखिरी दिन (Today is last day of winter session of MP Legislative Assembly) है. सुबह 11:00 बजे से सदन की कार्यवाही प्रश्नोत्तर से शुरू होगी. राज्य अल्पसंख्यक आयोग का वार्षिक प्रतिवेदन पटल पर रखा जाएगा. वहीं नियम 138 के तहत 21 ध्यानाकर्षण रहेंगे. मध्यप्रदेश में हिंसक आंदोलन कर संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ विधानसभा में पेश किया गया विधेयक गुरुवार को पारित हो गया. इस कानून में पत्थरबाजों और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर कड़ी कार्रवाई के प्रावधान किए गए हैं.
- सज्जन सिंह वर्मा- किसान सम्मान निधि योजना में अनियमितता का मामला उठाएंगे
- विजयलक्ष्मी साधो- हमीदिया अस्पताल में आगजनी की घटना से उत्पन्न स्थिति पर चिकित्सा शिक्षा मंत्री का ध्यान आकर्षित करेंगी
- जीतू पटवारी- सदस्यों द्वारा लगाए गए प्रश्नों का जवाब समय पर नहीं दिए जाने पर संसदीय कार्य मंत्री का ध्यान आकर्षित करेंगे
- नर्मदा नदी में मिल रहे गंदे नालों से नर्मदा नदी के प्रदूषित होने पर पर्यावरण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम का ध्यान आकर्षित करेंगे
- सज्जन सिंह वर्मा- प्रदेश में कम क्षमता के विद्युत ट्रांसफार्मर लगाए जाने का मुद्दा उठाएंगे
- प्रियव्रत सिंह- जयवर्धन सिंह रामचंद्र दांगी प्रदेश में बिजली विभाग में सौभाग्य योजना के तहत किए जा रहे कार्यों में अनियमितता पर ऊर्जा मंत्री का ध्यान आकर्षित करेंगे. इसके अलावा 45 याचिकाएं प्रस्तुत होंगी
दो विधेयकों पर सदन में चर्चा होगी
- मध्यप्रदेश काष्ठ चिरान संशोधन विधेयक पर 30 मिनट की चर्चा
- ग्वालियर व्यापार मेला प्राधिकरण संशोधन विधेयक पर 15 मिनट चर्चा
चर्चा के बाद दोनों विधेयक पारित किया जाएगा
4 अशासकीय संकल्प प्रस्तुत होंगे
- विक्रम सिंह- सतना जिले के रामपुर बघेलान विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत भगाई रोड रेलवे स्टेशन का नाम परिवर्तित कर रामपुर बघेलान किया जाए.
- डॉ. सीताशरण शर्मा- राजस्व पुलिस तंत्र दीवानी न्यायिक फौजदारी प्रक्रिया में प्रचलित शासकीय शब्दावली में विद्यमान अरबी और फारसी शब्दों को पृथक कर उनके स्थान पर हिंदी के शब्दों का प्रयोग किया जाए.
- यशपाल सिसोदिया- 1 नवंबर 2000 को मध्यप्रदेश से पृथक होकर छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के दौरान राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 496 में प्रदेश के पेंशनर्स को डीए एवं अन्य सुविधाओं के लिए छत्तीसगढ़ राज्य की अनुमति लेना आवश्यक किया गया था, जोकि राज्य के पुनरगठन के 20 साल होने के पश्चात भी अनिवार्य है, जिससे राज्य के पेंशनर को डीए और अन्य सुविधाओं के लिए प्रदेश सरकार द्वारा स्वतंत्र निर्णय नहीं लिया जा सकता है, इसलिए पेंशनर्स को लाभ देने में होने वाले विलंब को दृष्टिगत रखते हुए उक्त धारा को विलोपित किया जाए.
- दिव्यराज सिंह- रीवा जिले में कैंसर अस्पताल और रिसर्च सेंटर की स्थापना की जाए.