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हिंदी भवन में त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रशिक्षण का आयोजन, राज्यपाल ने किया उद्घाटन - हस्तशिल्प

भोपाल के हिंदी भवन में त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर राज्यपाल लालजी टंडन ने हस्तशिल्प के प्रति लोगों को जागरूक किया.

लालजी टंडन, राज्यपाल
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Published : Oct 10, 2019, 11:23 PM IST

भोपाल। हिंदी भवन में त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर राज्यपाल लालजी टंडन ने हस्तशिल्प के प्रति लोगों को जागरूक किया. राज्यपाल ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत प्रशिक्षण कार्यक्रम में कारीगरों ने मिट्टी के बर्तनों का निर्माण किया.

पंचायती राज प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन

महिलाओं ने मखमल पर हस्तशिल्प से डिजाइन उकेरी. उन्होंने कहा तेजी से बदलते वैश्विक दौर में हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र के विकास के लिए कार्य करना चुनौतीपूर्ण हो गया है. भारत की प्राचीन हस्तशिल्प और हथकरघा पद्धति का विकास क्रम रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर निर्मित कर सकते हैं. राज्यपाल ने कहा कि पंचायत राज व्यवस्था हमेशा से ग्रामीण विकास की धुरी रहा है. हमारे देश के हस्तशिल्प और हथकरघा की दुनिया भर में विशिष्ट पहचान रही है, लेकिन पिछले कुछ सालों में मशीनीकरण के दौर ने इन कलाओं के विकास को प्रभावित किया है.

प्राचीन दौर में इन कलाओं के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को उनके गांव में ही रोजगार के कई अवसर मिल जाते थे. देश की आदिवासी संस्कृति की समृद्धि के लिए निरंतर प्रयास करना भी जरूरी है. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति आशा शुक्ला ने कहा कि विश्वविद्यालय डॉक्टर अंबेडकर के सपनों और आदर्शों को केंद्र में रखकर निरंतर कार्य कर रहा है. विश्वविद्यालय द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में हस्तशिल्प और हथकरघा के विकास के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. वहीं उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने मऊ के पास 12 गांव गोद लिए हैं. इन गांवों में सामाजिक विकास के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.

भोपाल। हिंदी भवन में त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर राज्यपाल लालजी टंडन ने हस्तशिल्प के प्रति लोगों को जागरूक किया. राज्यपाल ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत प्रशिक्षण कार्यक्रम में कारीगरों ने मिट्टी के बर्तनों का निर्माण किया.

पंचायती राज प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन

महिलाओं ने मखमल पर हस्तशिल्प से डिजाइन उकेरी. उन्होंने कहा तेजी से बदलते वैश्विक दौर में हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र के विकास के लिए कार्य करना चुनौतीपूर्ण हो गया है. भारत की प्राचीन हस्तशिल्प और हथकरघा पद्धति का विकास क्रम रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर निर्मित कर सकते हैं. राज्यपाल ने कहा कि पंचायत राज व्यवस्था हमेशा से ग्रामीण विकास की धुरी रहा है. हमारे देश के हस्तशिल्प और हथकरघा की दुनिया भर में विशिष्ट पहचान रही है, लेकिन पिछले कुछ सालों में मशीनीकरण के दौर ने इन कलाओं के विकास को प्रभावित किया है.

प्राचीन दौर में इन कलाओं के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को उनके गांव में ही रोजगार के कई अवसर मिल जाते थे. देश की आदिवासी संस्कृति की समृद्धि के लिए निरंतर प्रयास करना भी जरूरी है. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति आशा शुक्ला ने कहा कि विश्वविद्यालय डॉक्टर अंबेडकर के सपनों और आदर्शों को केंद्र में रखकर निरंतर कार्य कर रहा है. विश्वविद्यालय द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में हस्तशिल्प और हथकरघा के विकास के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. वहीं उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने मऊ के पास 12 गांव गोद लिए हैं. इन गांवों में सामाजिक विकास के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.

Intro:राजधानी के हिंदी भवन में भी स्तरीय पंचायती राज प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए राज्यपाल लालजी टंडन ने हस्तशिल्प के प्रति लोगों को जागरूक किया उन्होंने कहा त्रिस्तरीय पंचायत की प्रशिक्षण कार्यक्रम में कारीगरों ने मिट्टी के बर्तनों का निर्माण किया वहीं महिलाओं ने मखमल पर हस्तशिल्प से डिजाइन उकेरी उन्होंने कहा तेजी से बदलते वैश्विक दौर में हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र के विकास के लिए कार्य करना चुनौतीपूर्ण हो गया है उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन हस्तशिल्प और हथकरघा पद्धति का विकास क्रम रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर निर्मित कर सकते हैं


Body: राजधानी के हिंदी भवन में त्रिस्तरीय पंचायती राज्य प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसका शुभारंभ राज्यपाल लालजी टंडन ने किया इस मौके पर लालजी टंडन ने लोगों को हस्तशिल्प के प्रति जागरूक किया राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत के प्रशिक्षण कार्यक्रम में कारीगरों ने मिट्टी के बर्तनों का निर्माण किया तो वहीं महिलाओं ने मखमल पर हस्तशिल्प से डिजाइनर उकेरी राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा की तेजी से बदलते वैश्विक दौर में हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र के विकास के लिए कार्य करना चुनौतीपूर्ण हो गया है उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन हस्तशिल्प और हथकरघा पद्धति का विकास कर हम रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर निर्मित कर सकते हैं

राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि पंचायत राज व्यवस्था हमेशा से ग्रामीण विकास की धुरी रही है हमारे देश के हस्तशिल्प और हथकरघा कि दुनिया भर में विशिष्ट पहचान रही है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मशीनीकरण के दौर मैं इन कलाओं के विकास को प्रभावित किया है प्राचीन दौर में इन कलाओं के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को उनके गांव में ही रोजगार के अधिक से अधिक अवसर मिल जाते थे भाजपा ने कहा कि देश के आदिवासी संस्कृति की समृद्धि के लिए निरंतर प्रयास करना भी जरूरी है

बी आर अंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति आशा शुक्ला ने कहा कि विश्वविद्यालय डॉक्टर अंबेडकर के सपनों और आदर्शों को केंद्र में रखकर निरंतर कार्य कर रहा है उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अधिक से अधिक अवसर निर्मित करने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण दिए जाने की व्यवस्था की गई है विश्वविद्यालय द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में हस्तशिल्प और हथकरघा के विकास के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं उन्होंने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में रायसेन सीहोर भोपाल जिले के कारीगरों और पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण दिए जाने की व्यवस्था है इसके साथ ही उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने मऊ के पास 12 गांव गोद लिए हैं इन गांवों में सामाजिक विकास के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है

आशा शुक्ला कुलपति बी आर अंबेडकर विश्वविद्यालय


Conclusion:राजधानी के हिंदी भवन में त्रिस्तरीय पंचायती राज्य प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया इस मौके पर राज्यपाल लालजी टंडन मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित रहे
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