भोपाल। हिंदी भवन में त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर राज्यपाल लालजी टंडन ने हस्तशिल्प के प्रति लोगों को जागरूक किया. राज्यपाल ने कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत प्रशिक्षण कार्यक्रम में कारीगरों ने मिट्टी के बर्तनों का निर्माण किया.
महिलाओं ने मखमल पर हस्तशिल्प से डिजाइन उकेरी. उन्होंने कहा तेजी से बदलते वैश्विक दौर में हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र के विकास के लिए कार्य करना चुनौतीपूर्ण हो गया है. भारत की प्राचीन हस्तशिल्प और हथकरघा पद्धति का विकास क्रम रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर निर्मित कर सकते हैं. राज्यपाल ने कहा कि पंचायत राज व्यवस्था हमेशा से ग्रामीण विकास की धुरी रहा है. हमारे देश के हस्तशिल्प और हथकरघा की दुनिया भर में विशिष्ट पहचान रही है, लेकिन पिछले कुछ सालों में मशीनीकरण के दौर ने इन कलाओं के विकास को प्रभावित किया है.
प्राचीन दौर में इन कलाओं के जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को उनके गांव में ही रोजगार के कई अवसर मिल जाते थे. देश की आदिवासी संस्कृति की समृद्धि के लिए निरंतर प्रयास करना भी जरूरी है. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति आशा शुक्ला ने कहा कि विश्वविद्यालय डॉक्टर अंबेडकर के सपनों और आदर्शों को केंद्र में रखकर निरंतर कार्य कर रहा है. विश्वविद्यालय द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में हस्तशिल्प और हथकरघा के विकास के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. वहीं उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय ने मऊ के पास 12 गांव गोद लिए हैं. इन गांवों में सामाजिक विकास के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है.