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उपचुनाव में मिली हार के बाद शिवराज सरकार के तीन मंत्रियों का इस्तीफा

शिवराज सरकार के तीन मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया, महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री एदल सिंह कंषाना और कृषि राज्यमंत्री गिर्राज दंडोतिया, इन तीनों ही मंत्रियों को उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा, जिसकी वजह से इनको अपना पद छोड़ना पड़ा.

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Published : Nov 12, 2020, 9:45 AM IST

Updated : Nov 12, 2020, 10:33 AM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश उपचुनाव में शिवराज सरकार के तीन मंत्रियों का हार का सामना करना पड़ा, जिनमें महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री एदल सिंह कंषाना और कृषि राज्यमंत्री गिर्राज दंडोतिया शामिल हैं. इन तीनों ही मंत्रियों को उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा, जिसकी वजह से इनको अपना पद छोड़ना पड़ा. ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से बगावत कर कुल 22 तत्कालीन कांग्रेसी विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया था. उपचुनाव से पहले किए गए कैबिनेट विस्तार में सिंधिया समर्थक कुल 12 गैर विधायकों को बीजेपी की सरकार में मंत्री के पद से नवाजा गया था, जिनमें से इन तीन मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा.

डबरा से हारीं इमरती देवी

कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुईं इमरती देवी को बीजेपी ने डबरा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था, लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे ने इमरती देवी को 8 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया. इमरती देवी भी सिंधिया समर्थकों में से एक हैं. उनके पक्ष में ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ताबड़तोड़ सभाएं की थीं, इसके बाद भी इमरती देवी को हार का समना करना पड़ा.

Imrati Devi
इमरती देवी

अक्सर सुर्खियों में रहतीं हैं इमरती

कमलनाथ के आइटम वाले बयान के बाद से इमरती देवी खूब चर्चा में रहीं हैं. मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक भाषण के दौरान इमरती देवी को 'आइटम' कहा था, जिसके बाद उनका काफी विरोध हुआ. राहुल गांधी ने भी कमलनाथ के इस बयान से अपना पल्ला झाड़ लिया था. इमरती देवी ने इसे महिलाओं के अपमान से जोड़कर इमोशनल कार्ड खेला और लाज रखने की अपील की. हार के बाद स्पष्ट हो गया कि, इमरती का इमोशनल कार्ड काम नहीं किया.

चौथी बार चुनाव मैदान में थीं इमरती देवी

डबरा विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी 2008 से कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से लगातार तीन चुनाव जीततीं आ रहीं थीं. जहां हर चुनाव में उनकी जीत का मार्जिन भी बढ़ता गया. 2018 के चुनाव में इमरती देवी ने बीजेपी के कप्तान सिंह को 57 हजार 446 मतों से हराया और कमलनाथ सरकार में मंत्री बनीं, लेकिन बाद में वे विधायकी से इस्तीफा देते हुए सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गई और शिवराज सरकार में मंत्री भी बनीं, लेकिन इस बार इमरती को उनके ही समधी कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे ने शिकस्त दे दी.

एदल सिंह कंषाना सुमावली सीट से हारे

मुरैना के सुमावली सीट से लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री एदल सिंह कंषाना को कांग्रेस प्रत्साशी अजब सिंह कुशवाहा ने 10,746 वोटों से हरा दिया. मुरैना में एक चुनावी मिथक है कि, आज तक यहां से सरकार में जो भी विधायक मंत्री बने, वे आगामी चुनाव में अपने क्षेत्र से चुनाव नहीं जीत सके.

Edal Singh Kanshana
ऐदल सिंह कंषाना

एदल सिंह कंषाना का राजनीतिक सफर

1993 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और सुमावली से पहली बार विधायक बने. 1998 में बहुजन समाज पार्टी से दूसरी बार विधायक बने. 2002 में बहुजन समाज पार्टी के विधायकों ने कांग्रेस में विलय कर लिया और 2003 के चुनाव में कंषाना कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में सुमावली के मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें भारतीय जनता पार्टी के गजराज सिंह सिकरवार से हार का सामना करना पड़ा.

सुमावली के जातिगत समीकरण

चंबल अंचल की सीट होने के चलते यहां जातिगत समीकरण सबसे अहम माने जाते हैं. सुमावली में गुर्जर समुदाय के सबसे ज्यादा वोटर हैं. जबकि कुशवाहा, क्षत्रिय और ब्राह्यण वोटर भी यहां प्रभावी भूमिका में हैं. अब तक सबसे ज्यादा 6 बार गुर्जर समुदाय के नेता इस सीट से विधायक बने हैं. इसलिए इस बार भी बीजेपी ने गुर्जर, तो कांग्रेस ने कुशवाहा समुदाय के प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. जबकि बसपा ने ब्राह्यण प्रत्याशी पर दांव लगाया था.

Girraj Dandotia
गिर्राज दंडोतिया

दिमनी विधानसभा से हारे कृषि राज्यमंत्री गिर्राज दंडोतिया

मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा से चुनाव लड़ रहे मंत्री गिर्राज दंडोतिया को भी हार का सामना करना पड़ा. दंडोतिया को कांग्रेस उम्मीदवार रविंद्र सिंह तोमर ने 22 हजार से अधिक मतों से शिकस्त दी. तोमर को 67 हजार 801 वोट मिले, जबकि गिर्राज दंडोतिया को 44 हजार 825 वोट मिले. रविंद्र सिंह ने 22 हजार 976 वोट से गिर्राज दंडोतिया को हराया है. साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में गिर्राज दंडोतिया कांग्रेस के टिकट पर 18,477 वोटों से जीते थे, जबकि बीजेपी के शिवमंगल सिंह तोमर को हार का सामना करना पड़ा था. अब तक के चुनावों में दिमनी विधानसभा सीट बीजेपी की परंपरागत सीटों में गिनी जाती है. यहां आठ बार भारतीय जनता पार्टी, दो बार निर्दलीय, दो बार कांग्रेस और एक बार बहुजन समाज पार्टी को जीत मिली है. इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री मंत्री वंशीलाल खटीक का दबदबा रहा. उन्होंने पांच बार दिमनी सीट पर जीत दर्ज की और विधानसभा पहुंचे.

भोपाल। मध्यप्रदेश उपचुनाव में शिवराज सरकार के तीन मंत्रियों का हार का सामना करना पड़ा, जिनमें महिला एवं बाल विकास मंत्री इमरती देवी, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री एदल सिंह कंषाना और कृषि राज्यमंत्री गिर्राज दंडोतिया शामिल हैं. इन तीनों ही मंत्रियों को उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा, जिसकी वजह से इनको अपना पद छोड़ना पड़ा. ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस से बगावत कर कुल 22 तत्कालीन कांग्रेसी विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया था. उपचुनाव से पहले किए गए कैबिनेट विस्तार में सिंधिया समर्थक कुल 12 गैर विधायकों को बीजेपी की सरकार में मंत्री के पद से नवाजा गया था, जिनमें से इन तीन मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा.

डबरा से हारीं इमरती देवी

कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुईं इमरती देवी को बीजेपी ने डबरा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था, लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे ने इमरती देवी को 8 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया. इमरती देवी भी सिंधिया समर्थकों में से एक हैं. उनके पक्ष में ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ताबड़तोड़ सभाएं की थीं, इसके बाद भी इमरती देवी को हार का समना करना पड़ा.

Imrati Devi
इमरती देवी

अक्सर सुर्खियों में रहतीं हैं इमरती

कमलनाथ के आइटम वाले बयान के बाद से इमरती देवी खूब चर्चा में रहीं हैं. मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक भाषण के दौरान इमरती देवी को 'आइटम' कहा था, जिसके बाद उनका काफी विरोध हुआ. राहुल गांधी ने भी कमलनाथ के इस बयान से अपना पल्ला झाड़ लिया था. इमरती देवी ने इसे महिलाओं के अपमान से जोड़कर इमोशनल कार्ड खेला और लाज रखने की अपील की. हार के बाद स्पष्ट हो गया कि, इमरती का इमोशनल कार्ड काम नहीं किया.

चौथी बार चुनाव मैदान में थीं इमरती देवी

डबरा विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी इमरती देवी 2008 से कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से लगातार तीन चुनाव जीततीं आ रहीं थीं. जहां हर चुनाव में उनकी जीत का मार्जिन भी बढ़ता गया. 2018 के चुनाव में इमरती देवी ने बीजेपी के कप्तान सिंह को 57 हजार 446 मतों से हराया और कमलनाथ सरकार में मंत्री बनीं, लेकिन बाद में वे विधायकी से इस्तीफा देते हुए सिंधिया के साथ बीजेपी में शामिल हो गई और शिवराज सरकार में मंत्री भी बनीं, लेकिन इस बार इमरती को उनके ही समधी कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश राजे ने शिकस्त दे दी.

एदल सिंह कंषाना सुमावली सीट से हारे

मुरैना के सुमावली सीट से लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री एदल सिंह कंषाना को कांग्रेस प्रत्साशी अजब सिंह कुशवाहा ने 10,746 वोटों से हरा दिया. मुरैना में एक चुनावी मिथक है कि, आज तक यहां से सरकार में जो भी विधायक मंत्री बने, वे आगामी चुनाव में अपने क्षेत्र से चुनाव नहीं जीत सके.

Edal Singh Kanshana
ऐदल सिंह कंषाना

एदल सिंह कंषाना का राजनीतिक सफर

1993 में बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और सुमावली से पहली बार विधायक बने. 1998 में बहुजन समाज पार्टी से दूसरी बार विधायक बने. 2002 में बहुजन समाज पार्टी के विधायकों ने कांग्रेस में विलय कर लिया और 2003 के चुनाव में कंषाना कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में सुमावली के मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें भारतीय जनता पार्टी के गजराज सिंह सिकरवार से हार का सामना करना पड़ा.

सुमावली के जातिगत समीकरण

चंबल अंचल की सीट होने के चलते यहां जातिगत समीकरण सबसे अहम माने जाते हैं. सुमावली में गुर्जर समुदाय के सबसे ज्यादा वोटर हैं. जबकि कुशवाहा, क्षत्रिय और ब्राह्यण वोटर भी यहां प्रभावी भूमिका में हैं. अब तक सबसे ज्यादा 6 बार गुर्जर समुदाय के नेता इस सीट से विधायक बने हैं. इसलिए इस बार भी बीजेपी ने गुर्जर, तो कांग्रेस ने कुशवाहा समुदाय के प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. जबकि बसपा ने ब्राह्यण प्रत्याशी पर दांव लगाया था.

Girraj Dandotia
गिर्राज दंडोतिया

दिमनी विधानसभा से हारे कृषि राज्यमंत्री गिर्राज दंडोतिया

मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा से चुनाव लड़ रहे मंत्री गिर्राज दंडोतिया को भी हार का सामना करना पड़ा. दंडोतिया को कांग्रेस उम्मीदवार रविंद्र सिंह तोमर ने 22 हजार से अधिक मतों से शिकस्त दी. तोमर को 67 हजार 801 वोट मिले, जबकि गिर्राज दंडोतिया को 44 हजार 825 वोट मिले. रविंद्र सिंह ने 22 हजार 976 वोट से गिर्राज दंडोतिया को हराया है. साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में गिर्राज दंडोतिया कांग्रेस के टिकट पर 18,477 वोटों से जीते थे, जबकि बीजेपी के शिवमंगल सिंह तोमर को हार का सामना करना पड़ा था. अब तक के चुनावों में दिमनी विधानसभा सीट बीजेपी की परंपरागत सीटों में गिनी जाती है. यहां आठ बार भारतीय जनता पार्टी, दो बार निर्दलीय, दो बार कांग्रेस और एक बार बहुजन समाज पार्टी को जीत मिली है. इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री मंत्री वंशीलाल खटीक का दबदबा रहा. उन्होंने पांच बार दिमनी सीट पर जीत दर्ज की और विधानसभा पहुंचे.

Last Updated : Nov 12, 2020, 10:33 AM IST
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