भोपाल। देशभर के चिकित्सा महाविद्यालयों में दाखिले के लिए आयोजित नीट परीक्षा के नतीजे आए हुए भले ही कई माह गुजर गए हों, मगर निजी आयुर्वेद महाविद्यालयों के संदर्भ में अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है. यही कारण है कि मध्यप्रदेश सहित देशभर के निजी आयुर्वेद महाविद्यालयों में दाखिले पर संशय बना हुआ है.
राज्य के सरकारी आयुर्वेद महाविद्यालयों में प्रवेश देने की दूसरे दो चरण की प्रक्रिया पूरी होने को है, मगर राज्य के 12 निजी महाविद्यालयों में से सिर्फ एक महाविद्यालयों को ही छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति मिली है. इसके चलते अन्य आयुर्वेद महाविद्यालयों में प्रवेश को लेकर संशय बना हुआ है. बताया गया है कि सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) ने 2020-21 के सत्र में मान्यता के लिए शिक्षकों को लेकर मापदंड कड़े कर दिए हैं.
कॉलेज संचालक शिक्षकों के संबंध में मांगे गए पूरे दस्तावेज नहीं दे पाए, इस वजह से मान्यता अटक गई है. नीट में 50 प्रतिशत परसेंटाइल कटऑफ तय किया गया था, मगर आयुष विभाग ने कटऑफ को 50 से कम कर 40 परसेंटाइल कर दिया है. ऐसा होने पर 50 से 40 परसेंटाइल के मध्य अंक हासिल करने वाले छात्रों में आयुर्वेद महाविद्यालयों में प्रवेश की उम्मीद जागी. मगर निजी महाविद्यालयों को अनुमति न मिलने से प्रवेश को लेकर संशय बना हुआ है.
आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडे ने बताया कि देशभर के निजी आयुर्वेद महाविद्यालयों की मान्यता का मामला है, छात्र प्रवेश की उम्मीद लगाए बैठे हैं, इसलिए सरकार को जल्दी फैसला लेना चाहिए. सीसीआईएम के नियम इस बार सख्त है और यही कारण है कि मान्यता नहीं मिल पाई है. बताया गया है कि राज्य में कुल 12 निजी आयुर्वेद महाविद्यालय है, इनमें से इंदौर के सिर्फ एक महाविद्यालय को छात्रों को प्रवेश देने की अनुमति मिली है. निजी महाविद्यालयों में कुल 960 सीटें है. वहीं राज्य में सात सरकारी महाविद्यालय है.
राज्य के आयुष विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, देशभर के आयुष महाविद्यालयों में दाखिले की तारीख 28 फरवरी तक बढ़ा दी गई है. इस स्थिति में निजी महाविद्यालयों केा अनुमति मिल जाती है तो प्रवेश देने में कोई दिक्कत नहीं आएगी.