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Father's Day Special: पिता के लिए ससुराल और पति को छोड़ आई बेटियां - पिता की सेवा करने के लिए छोड़ा ससुराल

आज पूरा देश फादर्स डे (Father's Day) मना रहा है. आज हम आपको दो ऐसी बेटियों से मिलवाने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने पिता की सेवा करने के लिए ससुराल तक को छोड़ दिया. इन बेटियों ने साबित कर दिया कि बेटियां भी बेटों से कम नहीं होती हैं.

daughter with her family
अपने परिवार के साथ बेटी
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Published : Jun 20, 2021, 11:15 AM IST

भोपाल। हमारी जिंदगी में हर एक रिश्ता काफी अहमियत रखता है, लेकिन माता-पिता की हमारे जीवन में सबसे अलग जगह होती है. जिस तरह मां अपने बच्चों के लिए हर वो चीज करती है, जो उनके उज्जवल भविष्य के लिए जरूरी होती है. ठीक उसी तरह एक पिता भी अपनी सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाता है. पिता के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए आज पूरा देश फादर्स डे (Father's Day) मना रहा है. ऐसे में हम आज आपको दो ऐसी बेटियों से मिलवाते हैं, जिन्होंने अपने पिता और माता की सेवा करने के लिए अपना ससुराल तक छोड़ दिया. इन दोनों बेटियों ने साबित कर दिया कि बेटियां भी बेटों से कम नहीं होती हैं.

पति ने पिता की सेवा करने से रोका, तो पूनम ने छोड़ा साथ

पूनम मयूरी की शादी 2013 में हुई थी. उनकी एक पांच साल की बेटी है और उनके पिता 2 साल पहले ही रिटायर हुए हैं. रिटायरमेंट के बाद पिता और मां घर पर तन्हा थे. मां की तबीयत हमेशा खराब रहती थी और दोनों भाइयों ने भी उन्हें अपने साथ रखने से मना कर दिया. यह देख पूनम ने पुत्री धर्म का निर्वहन किया. और अपने जन्मदाताओं की सेवा करने का जिम्मा उठाया. दो साल पहले ससुराल छोड़ दिया. पति ने उन्हें जाने से रोका, तो पति को भी छोड़ दिया. अपने माता पिता के घर पांच साल की बेटी के साथ पहुंच गईं. मां पापा की सेवा में लग गईं. कोरोना की दूसरी लहर में मां का देहांत हो गया, और पिता को भी बीमारी ने जकड़ लिया. अब उनकी सेवा में रात दिन एक किए हैं.

Father's Day : बेसहारों के सहारा बने सुधीर भाई, अनाथ बच्चों को दिया पिता का प्यार

पिता की सेवा करने के लिए छोड़ा ससुराल
पूनम की तरह ही एक और बेटी है कीर्ति मालिक. कीर्ति पेशे से वकील हैं. उनकी शादी 2006 में हुई थी. आज उनकी 10 साल की एक बेटी है. कीर्ती बताती हैं कि उनके पिता रेलवे में काम करते थे और उपने दो बेटों के साथ भोपाल में रहते थे. उनकी मां कई बीमारियों से जूझ रही थी. ऐसे में उनके दोनों भाईयों ने मां बाप को अपने पास रखने से मना कर दिया. यह देख कीर्ती ने भी उनकी सेवा करने के लिए अपना ससुराल छोड़ दिया. कीर्ती बताती हैं कि माता-पिता की सेवा को ही वो अपना सर्वोपरि धर्म मानती हैं. पिता के साथ ही रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रही हैं. यहां तक कि वह अपने पिता को खाना खिलाने से लेकर नहलाने तक का सारा काम भी खुद करती हैं.

भोपाल। हमारी जिंदगी में हर एक रिश्ता काफी अहमियत रखता है, लेकिन माता-पिता की हमारे जीवन में सबसे अलग जगह होती है. जिस तरह मां अपने बच्चों के लिए हर वो चीज करती है, जो उनके उज्जवल भविष्य के लिए जरूरी होती है. ठीक उसी तरह एक पिता भी अपनी सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाता है. पिता के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए आज पूरा देश फादर्स डे (Father's Day) मना रहा है. ऐसे में हम आज आपको दो ऐसी बेटियों से मिलवाते हैं, जिन्होंने अपने पिता और माता की सेवा करने के लिए अपना ससुराल तक छोड़ दिया. इन दोनों बेटियों ने साबित कर दिया कि बेटियां भी बेटों से कम नहीं होती हैं.

पति ने पिता की सेवा करने से रोका, तो पूनम ने छोड़ा साथ

पूनम मयूरी की शादी 2013 में हुई थी. उनकी एक पांच साल की बेटी है और उनके पिता 2 साल पहले ही रिटायर हुए हैं. रिटायरमेंट के बाद पिता और मां घर पर तन्हा थे. मां की तबीयत हमेशा खराब रहती थी और दोनों भाइयों ने भी उन्हें अपने साथ रखने से मना कर दिया. यह देख पूनम ने पुत्री धर्म का निर्वहन किया. और अपने जन्मदाताओं की सेवा करने का जिम्मा उठाया. दो साल पहले ससुराल छोड़ दिया. पति ने उन्हें जाने से रोका, तो पति को भी छोड़ दिया. अपने माता पिता के घर पांच साल की बेटी के साथ पहुंच गईं. मां पापा की सेवा में लग गईं. कोरोना की दूसरी लहर में मां का देहांत हो गया, और पिता को भी बीमारी ने जकड़ लिया. अब उनकी सेवा में रात दिन एक किए हैं.

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पिता की सेवा करने के लिए छोड़ा ससुराल
पूनम की तरह ही एक और बेटी है कीर्ति मालिक. कीर्ति पेशे से वकील हैं. उनकी शादी 2006 में हुई थी. आज उनकी 10 साल की एक बेटी है. कीर्ती बताती हैं कि उनके पिता रेलवे में काम करते थे और उपने दो बेटों के साथ भोपाल में रहते थे. उनकी मां कई बीमारियों से जूझ रही थी. ऐसे में उनके दोनों भाईयों ने मां बाप को अपने पास रखने से मना कर दिया. यह देख कीर्ती ने भी उनकी सेवा करने के लिए अपना ससुराल छोड़ दिया. कीर्ती बताती हैं कि माता-पिता की सेवा को ही वो अपना सर्वोपरि धर्म मानती हैं. पिता के साथ ही रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रही हैं. यहां तक कि वह अपने पिता को खाना खिलाने से लेकर नहलाने तक का सारा काम भी खुद करती हैं.

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