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डॉक्टरों ने चेताया! शरीर पर गाय के गोबर का लेप लगाने से mucormycosis होने का खतरा - भारतीय चिकित्सा संघ

गुजरात में लोगों का एक समूह गाय के गाबर और गौमूत्र का शरीर पर लेप लगाने के लिए श्री स्वामीनारायण गुरुकुल विश्वविद्या प्रतिष्ठान (SGVP) के गौशाला में जा रहा हैं, इन लोगों का मानना है कि इस थैरेपी से उन लोगों की कोरोना से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी.

mucormycosis
म्यूकोरमाइकोसिस
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Published : May 13, 2021, 6:32 PM IST

Updated : May 13, 2021, 6:41 PM IST

भोपाल/अहमदाबाद। गुजरात में कुछ लोग गाय के गोबर और गौमूत्र का शरीर पर लेप लगा रहे हैं. इन लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और यह कोविड संक्रमण (corona virus) से ठीक होने में मदद करेगा. गुजरात में इस देसी प्रयोग के बाद वहां के डॉक्टरों ने इसे लेकर चेतावनी दी है. डॉक्टरों का कहना है कि शरीर पर गाय का गोबर कोरोना वायरस से सुरक्षा नहीं देता है, जबकि यह म्यूकोरमाइकोसिस (mucormycosis) समेत अन्य संक्रमणों के होने का खतरा पैदा कर सकता है.

  • हर हफ्ते लगवा रहे हैं लोग गोबर का लेप

दरअसल, गुजरात में लोगों का एक समूह गाय के गाबर और गौमूत्र का शरीर पर लेप लगाने के लिए श्री स्वामीनारायण गुरुकुल विश्वविद्या प्रतिष्ठान (SGVP) के गौशाला में जा रहे हैं, इन लोगों का मानना है कि इस थैरेपी से उन लोगों की कोरोना से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी. स्वामीनारायण गुरुकुल विश्वविद्या प्रतिष्ठान का कहना है कि गौशाला में 200 से अधिक गाय रहती हैं और पिछले एक महीनें में लगभग 15 लोग हर सप्ताह यहां गोबर और मूत्र का लेप लगाने के लिए आते हैं, लेप लगाने के बाद इन लोगों के शरीर के गाय के दूध से धोया जाता है.

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  • क्या है इस थैरेपी को लेकर डॉक्टरों की राय?

गुजरात के लोगों के इस प्रयोग को लेकर गांधीनगर स्थित भारतीय जन स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक डॉ. दिलीप मावलंकर ने कहा, "मुझे नहीं पता कि क्या यह इलाज क्या वास्तव में लोगों की मदद करेगा?. मेरे सामने अब तक ऐसा कोई शोध नहीं आया है, जिससे यह संकेत मिले कि शरीर पर गोबर लगाने से कोरोना वायरस (corona virus) के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी."

उन्होंने कहा कि यह उपचार लेने वालों में कुछ फंटलाइन वर्कर्स (frontline workers) भी हैं, मेडिकल स्टोर्स में काम करने वाले लोग हैं, डॉक्टर इस उपचार को प्रभावी नहीं मानते हैं.

  • भारतीय चिकित्सा संघ ने इस पर क्या कहा?

भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) की महिला शाखा की अध्यक्ष डॉ. मोना देसाई ने इस इलाज को अप्रमाणिक बताया है. उन्होंने कहा कि यह इलाज फायदा देने के बजाय म्यूकोरमाइकोसिस (mucormycosis) समेत अन्य संक्रमण फैला सकता है. लोगों को डॉक्टरों से सलाह लेनी चाहिए और इस थैरेपी से दूर रहना चाहिए.

भोपाल/अहमदाबाद। गुजरात में कुछ लोग गाय के गोबर और गौमूत्र का शरीर पर लेप लगा रहे हैं. इन लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और यह कोविड संक्रमण (corona virus) से ठीक होने में मदद करेगा. गुजरात में इस देसी प्रयोग के बाद वहां के डॉक्टरों ने इसे लेकर चेतावनी दी है. डॉक्टरों का कहना है कि शरीर पर गाय का गोबर कोरोना वायरस से सुरक्षा नहीं देता है, जबकि यह म्यूकोरमाइकोसिस (mucormycosis) समेत अन्य संक्रमणों के होने का खतरा पैदा कर सकता है.

  • हर हफ्ते लगवा रहे हैं लोग गोबर का लेप

दरअसल, गुजरात में लोगों का एक समूह गाय के गाबर और गौमूत्र का शरीर पर लेप लगाने के लिए श्री स्वामीनारायण गुरुकुल विश्वविद्या प्रतिष्ठान (SGVP) के गौशाला में जा रहे हैं, इन लोगों का मानना है कि इस थैरेपी से उन लोगों की कोरोना से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी. स्वामीनारायण गुरुकुल विश्वविद्या प्रतिष्ठान का कहना है कि गौशाला में 200 से अधिक गाय रहती हैं और पिछले एक महीनें में लगभग 15 लोग हर सप्ताह यहां गोबर और मूत्र का लेप लगाने के लिए आते हैं, लेप लगाने के बाद इन लोगों के शरीर के गाय के दूध से धोया जाता है.

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  • क्या है इस थैरेपी को लेकर डॉक्टरों की राय?

गुजरात के लोगों के इस प्रयोग को लेकर गांधीनगर स्थित भारतीय जन स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक डॉ. दिलीप मावलंकर ने कहा, "मुझे नहीं पता कि क्या यह इलाज क्या वास्तव में लोगों की मदद करेगा?. मेरे सामने अब तक ऐसा कोई शोध नहीं आया है, जिससे यह संकेत मिले कि शरीर पर गोबर लगाने से कोरोना वायरस (corona virus) के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी."

उन्होंने कहा कि यह उपचार लेने वालों में कुछ फंटलाइन वर्कर्स (frontline workers) भी हैं, मेडिकल स्टोर्स में काम करने वाले लोग हैं, डॉक्टर इस उपचार को प्रभावी नहीं मानते हैं.

  • भारतीय चिकित्सा संघ ने इस पर क्या कहा?

भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) की महिला शाखा की अध्यक्ष डॉ. मोना देसाई ने इस इलाज को अप्रमाणिक बताया है. उन्होंने कहा कि यह इलाज फायदा देने के बजाय म्यूकोरमाइकोसिस (mucormycosis) समेत अन्य संक्रमण फैला सकता है. लोगों को डॉक्टरों से सलाह लेनी चाहिए और इस थैरेपी से दूर रहना चाहिए.

Last Updated : May 13, 2021, 6:41 PM IST
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