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प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ने के आसार, 400 के आसपास पहुंच सकता है आंकड़ा - एमपी में बाघों की गणना

मध्यप्रदेश कभी 'टाइगर स्टेट' के तौर पर पहचाना जाता था. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ सालों में हुए बाघ संरक्षण के कार्यों के चलते यह आंकड़ा इस साल बढ़ सकता है.

प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ने के आसार
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Published : Jul 28, 2019, 11:26 PM IST

भोपाल। प्रदेश में इस साल बाघों की संख्या में बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है. विभाग का अनुमान है कि प्रदेश में बाघों का आंकड़ा 400 के आसपास पहुंच सकता है. 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाने वाला है और इस मौके पर बाघों की संख्या का भी ब्यौरा जारी किया जाना संभावित है. बाघों की गणना का ब्यौरा हर चार साल में जारी किया जाता है. पिछली गणना साल 2014 में हुई थी.

प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ने के आसार

मध्यप्रदेश कभी 'टाइगर स्टेट' के तौर पर पहचाना जाता था. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ सालों में हुए बाघ संरक्षण के कार्यों के चलते यह आंकड़ा इस साल बढ़ सकता है. बाघों की संख्या में 30 से 35 प्रतिशत तक बढ़ोतरी होती है. राज्य में भी ऐसा ही रहा तो बाघों की संख्या 400 के आसपास जाने का अनुमान है.

राज्य में बीते सात साल में 141 से ज्यादा बाघों की मौत हुई है. सबसे बुरा हाल साल 2010 में रहा. उस समय राज्य में 257 टाइगर हुआ करते थे. उसके बाद राज्य में बाघ संरक्षण पर ध्यान दिया गया. जिसके चलते साल 2014 में लगभग 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जिससे बाघों का आंकड़ा 308 तक पहुंच गया. इस बार बाघों की संख्या में पिछले कालखंड से ज्यादा बढ़ोतरी का अनुमान है.
वन्यप्राणी विशेषज्ञ भी मानते हैं कि मध्यप्रदेश में बाघ संरक्षण की दिशा में काफी काम हुआ है. अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यानों के विस्थापितों को बसाने की दिशा में सार्थक प्रयास किए गए हैं.

भोपाल। प्रदेश में इस साल बाघों की संख्या में बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है. विभाग का अनुमान है कि प्रदेश में बाघों का आंकड़ा 400 के आसपास पहुंच सकता है. 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाने वाला है और इस मौके पर बाघों की संख्या का भी ब्यौरा जारी किया जाना संभावित है. बाघों की गणना का ब्यौरा हर चार साल में जारी किया जाता है. पिछली गणना साल 2014 में हुई थी.

प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ने के आसार

मध्यप्रदेश कभी 'टाइगर स्टेट' के तौर पर पहचाना जाता था. वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ सालों में हुए बाघ संरक्षण के कार्यों के चलते यह आंकड़ा इस साल बढ़ सकता है. बाघों की संख्या में 30 से 35 प्रतिशत तक बढ़ोतरी होती है. राज्य में भी ऐसा ही रहा तो बाघों की संख्या 400 के आसपास जाने का अनुमान है.

राज्य में बीते सात साल में 141 से ज्यादा बाघों की मौत हुई है. सबसे बुरा हाल साल 2010 में रहा. उस समय राज्य में 257 टाइगर हुआ करते थे. उसके बाद राज्य में बाघ संरक्षण पर ध्यान दिया गया. जिसके चलते साल 2014 में लगभग 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जिससे बाघों का आंकड़ा 308 तक पहुंच गया. इस बार बाघों की संख्या में पिछले कालखंड से ज्यादा बढ़ोतरी का अनुमान है.
वन्यप्राणी विशेषज्ञ भी मानते हैं कि मध्यप्रदेश में बाघ संरक्षण की दिशा में काफी काम हुआ है. अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यानों के विस्थापितों को बसाने की दिशा में सार्थक प्रयास किए गए हैं.

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