भोपाल। 26 अप्रैल से पवित्र रमजान महीने की शुरुआत हो रही है, एक महीने तक मुस्लिम समाज के लोग रोजा रखते हैं और अल्लाह की इबादत करते हैं. इस महीने को मुस्लिम समाज में काफी पवित्र माना जाता है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते रमजान की रौनक फीकी पड़ती दिख रही है, देश के तमाम मुस्लिम समाज के धर्मगुरुओं ने पहले ही ऐलान कर दिया है कि इस बार मस्जिदों में नमाज नहीं होगी और न ही तरावीह पढ़ी जाएगी. सभी को घरों में रहकर ही इबादत करने के लिए कहा गया है, ताकि कोरोना से लड़ा जा सके और लोगों के बीच सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे.
रोजदार मोहम्मद अहमद ने कहा कि इस बार कोविड-19 की वजह से रमजान फीका पड़ गया है. इसलिए लोग ज्यादा से ज्यादा लोग अपने घरों में ही रहे और लोग बाजार में खरीदी के लिए बाजार ना निकले. मोहम्मद अहमद ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अपील करते हुए कहा कि जिस प्रकार से मुस्लिम मौहल्लों में रमजान के दिनों में बाजार लगता था वो लगना चाहिए. इस समय भुखमरी और बेरोजगारी ज्यादा है. सरकार को खाने पीने की दुकानें खोलना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस वक्त मटन और चिकन का कारोबार होना चाहिए. क्योंकि इस वक्त लोग परेशान है. मोहम्मद अहमद ने कहा कि सोशल डिस्टेसिंग का ख्याल करते हुए कारोबार की इजाजत देना चाहिए.
शहर काजी ने रोजेदारों को रमजान की मुबारक बाद देते हुए कहा कि मुस्मिल आवाम के लिए रमजान का महीना बेदह ही खास ख्याल रखता है. इस महीने में यदि रोजदार कुबान को पढ़ते है तो वह बहुत ही नेक का काम माना जाता है. इस महीने में कुरान को पढ़ा जाता है सुना जाता है.
इस दौरान एक खास नमाज आयोजित की जाती है जो बहुत ही खास मायने रखती है. भोपाल की सभी मस्जिदों में रमजान के महीने में कुरान पढ़ना अल्लाह का बहुत ही खास है और रमजान का महीना आते ही यहां बहार आ जाती है. उन्होंने कहा कि अल्लाह के रसूलों ने फरमाया है कि यदि रोजेदार सामान्य हालातों में पर्वत दीगार की इबादत कर सकता है तो वह असामान्य हालतों में भी उसे खुश कर सकता है. शहर काजी ने कहा कि इस बार रमजान के माहौल में कोरोना वायरस मर्ज है तो इस बार वो रौनक और रौशनी नहीं फैल पाएंगी जो फैलना चाहिए. लेकिन हमें यकीन करना चाहिए कि जो हजारात रमजान में कुरान पढ़ते थे और उसके ख्याल में लीन रहते थे. उसे सबब मिलेगा. मौजूद हालातों में लोग लॉकडाउन का पूरा पालन करें.
कोरोना वायरस के कारण नहीं आएंगे खजूर
दिन भर भूखे प्यासे रहने के बाद जब शाम को रोजा खोला जाता है तो खजूर खाकर ही रोजा खोलने की परंपरा रही है, लेकिन इस बार खजूर बाजार से पूरी तरह गायब है. इराक, ईरान और अरब देशों से भारत में खजूर आता था, लेकिन कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के चलते भारत आयात पर रोक लगा रखा है, इसके साथ ही फैनी का बिजनेस भी इस बार पूरी तरह से बंद है क्योंकि लखनऊ और कासगंज से फैनी बनाने वाले मजदूर आते थे, जो इस बार लॉकडाउन की वजह से नहीं आ पाए हैं.