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9/11 का वो काला दिन, जब आतंकी मंसूबों का गवाह बना अमेरिका

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Published : Sep 11, 2019, 3:06 PM IST

Updated : Sep 11, 2019, 3:33 PM IST

11 सितम्बर 2001 के दिन आतंकवादियों ने अमेरिका के न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर एक बड़ा आतंकी हमला किया. इस हमले में करीब 2 हजार 977 लोग मारे गए. जिसके बाद से अमेरिका इस दिन को पेट्रियट दिवस के रूप में मनाता है.

9/11

भोपाल। भारत काफी समय से आतंकवाद का दंश झेलता आ रहा है. 1993 मुम्बई बम विस्फोट हो या 2008 में मुम्बई हमले या इससे पहले से जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद, हमारा देश हमेशा ही आतंकवादियों के निशाने पर रहा है. देश लम्बे समय से दुनिया को पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवाद को लेकर आगाह भी करता रहा, लेकिन दुनिया के बड़े और ताकतवर देशों की नींद तब तक नहीं खुली, जब तक कि दुनिया के सबसे ताकतवर माने जाने वाले मुल्क अमेरिका को इसका निशाना नहीं बनना पड़ा.

9/11 का वो काला दिन

11/09/2001 का काला दिन

11 सितम्बर 2001 का दिन अमेरिका के इतिहास में एक काले दिन के रूप में हमेशा के लिए दर्ज हो गया. इसी दिन पूरी दुनिया ने आतंकवाद के नापाक मंसूबों की ताकत को देखा, जब अमेरिका जैसा ताकतवर देश भी आतंकियों की पहुंच से दूर नहीं रहा. इस दिन अमेरिका के न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर एक बड़ा आतंकी हमला हुआ.

आतंकी संगठन अलकायदा ने इस हमले की साजिश रची, जिसका मुखिया आतंकी ओसामा बिन लादेन था. आतंकियों ने दो अमेरिकी विमानों को हाईजैक कर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला कर दिया था. इस हमले में करीब 2977 लोग मारे गए.

इस हमले के बाद अमेरिका ने 11 सितंबर को पेट्रियट दिवस घोषित कर दिया. आज के दिन हमले में मारे गए लोगों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है.

अमेरिका ने लिया बदला

अमेरिका पर किया गया हमला दुनिया के सबसे खौफनाक हमलों में से एक है. इस हमले को जिस तरह से अंजाम दिया गया, उसकी निंदा हमेशा होती रहेगी. हालांकि इस हमले के गुनहगार ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने 2 मई 2011 के दिन पाकिस्तान के खैबर पखतूनख्वा प्रांत के एबटाबाद में मौत के घाट उतार दिया.

भले ही इस घटना के गुनहगार को उसके किए की सजा मिल गई हो, लेकिन उसने 2 हजार 977 मासूमों की जान लेकर जो जख्म इंसानियत को दिए हैं, वो कयामत तक नहीं भरे जा सकेंगे.

लड़नी होगी आतंकवाद से लड़ाई

आतंकवाद आज भी फल-फूल रहा है. पाकिस्तान, इराक, अफगानिस्तान समेत कई ऐसे देश हैं, जिसकी धरती का इस्तेमाल कर आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. खासतौर पर भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए पाकिस्तान आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह है. दुनिया के कई देश आतंकवाद से पीड़ित हैं, ऐसे में आतंकवाद के खिलाफ सभी देशों को एकसाथ आना होगा, जिसका जिक्र भारत ने कई बार यूएन में भी किया है. अमेरिका, रूस जैसे बड़े देश इसमें निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं, ताकि दूसरा 9/11 हमला होने से रोका जा सके.

भोपाल। भारत काफी समय से आतंकवाद का दंश झेलता आ रहा है. 1993 मुम्बई बम विस्फोट हो या 2008 में मुम्बई हमले या इससे पहले से जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद, हमारा देश हमेशा ही आतंकवादियों के निशाने पर रहा है. देश लम्बे समय से दुनिया को पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवाद को लेकर आगाह भी करता रहा, लेकिन दुनिया के बड़े और ताकतवर देशों की नींद तब तक नहीं खुली, जब तक कि दुनिया के सबसे ताकतवर माने जाने वाले मुल्क अमेरिका को इसका निशाना नहीं बनना पड़ा.

9/11 का वो काला दिन

11/09/2001 का काला दिन

11 सितम्बर 2001 का दिन अमेरिका के इतिहास में एक काले दिन के रूप में हमेशा के लिए दर्ज हो गया. इसी दिन पूरी दुनिया ने आतंकवाद के नापाक मंसूबों की ताकत को देखा, जब अमेरिका जैसा ताकतवर देश भी आतंकियों की पहुंच से दूर नहीं रहा. इस दिन अमेरिका के न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर एक बड़ा आतंकी हमला हुआ.

आतंकी संगठन अलकायदा ने इस हमले की साजिश रची, जिसका मुखिया आतंकी ओसामा बिन लादेन था. आतंकियों ने दो अमेरिकी विमानों को हाईजैक कर वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला कर दिया था. इस हमले में करीब 2977 लोग मारे गए.

इस हमले के बाद अमेरिका ने 11 सितंबर को पेट्रियट दिवस घोषित कर दिया. आज के दिन हमले में मारे गए लोगों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है.

अमेरिका ने लिया बदला

अमेरिका पर किया गया हमला दुनिया के सबसे खौफनाक हमलों में से एक है. इस हमले को जिस तरह से अंजाम दिया गया, उसकी निंदा हमेशा होती रहेगी. हालांकि इस हमले के गुनहगार ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने 2 मई 2011 के दिन पाकिस्तान के खैबर पखतूनख्वा प्रांत के एबटाबाद में मौत के घाट उतार दिया.

भले ही इस घटना के गुनहगार को उसके किए की सजा मिल गई हो, लेकिन उसने 2 हजार 977 मासूमों की जान लेकर जो जख्म इंसानियत को दिए हैं, वो कयामत तक नहीं भरे जा सकेंगे.

लड़नी होगी आतंकवाद से लड़ाई

आतंकवाद आज भी फल-फूल रहा है. पाकिस्तान, इराक, अफगानिस्तान समेत कई ऐसे देश हैं, जिसकी धरती का इस्तेमाल कर आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. खासतौर पर भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए पाकिस्तान आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह है. दुनिया के कई देश आतंकवाद से पीड़ित हैं, ऐसे में आतंकवाद के खिलाफ सभी देशों को एकसाथ आना होगा, जिसका जिक्र भारत ने कई बार यूएन में भी किया है. अमेरिका, रूस जैसे बड़े देश इसमें निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं, ताकि दूसरा 9/11 हमला होने से रोका जा सके.

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Last Updated : Sep 11, 2019, 3:33 PM IST
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