भोपाल। मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा मजहबी जलसा आलमी तब्लीगी इज्तिमा अपनी शुरुआत के 75 साल पूरे कर रहा है, लेकिन फख्र की बात केवल इतनी नहीं है. इसमें खास बात ये भी है कि अपने 75 बरस पूरे कर रहा इज्तिमा इस बार गो वैजी का संदेश भी बन गया है. चार दिन चलने वाले इस जलसे में देश भर से आने वाली लाखों जमातों के लिए मांसाहार पर पाबंदी है. ये इज्तिमा कमेटी का फैसला है कि चार दिन चलने वाले इस जलसे में केवल शाकाहारी भोजन का ही इस्तेमाल होगा.
क्यों लिया गया मांसाहार प्रतिबंध का फैसला: आलमी तब्लीगी इज्तिमे के प्रवक्ता हाजी अतीक इस्लाम ने इज्तिमे के शाकाहारी हो जाने की वजह बताई है. वे बताते हैं कि कोरोना के पहले जब इज्तिमा लगा तो आसपास के किसानों की ये शिकायतें आई थीं कि बहुत सफाई के बावजूद भी खेतों में कुछ हड्डियां पड़ी रह जाती हैं (Bhopal ijtima non vegetarian food ban). इज्तिमा कमेटी ने उनकी इस शिकायत को गंभीरता से लिया और फैसला किया कि इस बार इज्तिमा पूरी तरह से शाकाहारी ही होगा. जो होटल और दुकाने हैं उनको ताकीद कर दी गई कि कोई भी मांसाहार नहीं रखेगा.
इस बार नहीं आई विदेशी जमातें: ये पहली बार है जब इज्तिमें में विदेशी जमात नहीं आई हैं, लेकिन देश के तकरीबन हर हिस्से से जमातें पहुंची है और करीब एक लाख लोग यहां जमा हुए हैं. तीस लाख स्क्वायर फीट के तंबू में लोगों के ठहरने का इंतजाम है. इंतजाम ऐसे हैं कि 17 हजार लोग एक साथ वजू कर सकते हैं. जिस हिस्से में भोजन का प्रबंध है, वहां एक साथ दो लाख लोग भोजन कर सकते हैं. आलमी तब्लीगी इज्तिमे के प्रवक्ता हाजी अतीक इस्लाम बताते हैं कि ज्यादा जमातें आंध्र प्रदेश इलाके से हैं, असम के साथ देश के तकरीबन हर हिस्से से जमातें आई हैं.