भोपाल। भारत में धार्मिक व ज्योतिष के हिसाब से ग्रहण का खास महत्व है. माना जाता है कि सूर्य ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले से सूतक काल शुरू हो जाता है. सूतक काल को अशुभ समय माना गया है. इस दौरान कोई शुभ काम नहीं किया जाता. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण का प्रभाव विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं पर ज्यादा पड़ता है. ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. ग्रहण का दुष्प्रभाव गर्भवती महिलाओं पर रहता है. ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को कुछ बातों से सावधान रहना चाहिए.
गर्भवती महिलाएं क्या करें और क्या नहीं
- धार्मिक मान्यता है कि सूर्य ग्रहण को गर्भवती महिलाओं को नहीं देखना चाहिए .
- ऐसी महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर से बाहर भी नहीं जाना चाहिए .
- इस दौरान गर्भवती महिलाओं को भूलकर भी चाकू या कैंची या किसी धारदार चीज का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
- सूर्य ग्रहण से पहले व खत्म होने के बाद गर्भवती महिलाओं को स्नान अवश्य करना चाहिए.
- धार्मिक मान्यता के अनुसार गर्भवती महिलाओं को अगर मंत्र जाप करना है तो केवल दुर्वा हाथ में लेकर करें .
- ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को सब्जी काटना, कपड़े सीना जैसे कार्य नहीं करने चाहिए क्योंकि इससे गर्भस्थ शिशु को शारीरिक दोष हो सकता है.
- ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को सोना वर्जित है.
- ग्रहण के दौरान न तो खाना पकाएं और न ही सजे-संवरें.
सूर्य ग्रहण के समय मंत्रों का जप : ग्रहण के दौरान मंत्र जाप, स्त्रोत का पाठ काफी लाभदायक माना गया है. माना जाता है कि ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार की विधि विधान करने की जरूरत नहीं पड़ती.
- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्.
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय:
- ॐ नम: शिवाय
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चै
इन मंत्रों के अलावा हजारों अन्य मंत्र भी हैं, जिनका जप किया जा सकता है. यदि गुरु द्वारा कोई मंत्र मिला है तो उसका जप करना चाहिए. ग्रहण काल में मंत्रों के जप से शक्ति मिलती है. अगर आपकी कोई ऐसी इच्छा है जो पूर्ण नहीं हो पा रही है तो उसे भी इस दौरान मंत्रजाप से पूरा किया जा सता है.