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21 जून को होगा साल का पहला सूर्य ग्रहण, ज्योतिषाचार्य से जानें क्या होगा इसका असर - खंडग्रास सूर्यग्रहण

21 जून यानि रविवार को पड़ने वाला ग्रहण साल का पहला सूर्य ग्रहण है. ये सूर्य ग्रहण कई मायनों में खास है. इस सूर्यग्रहण का क्या होगा असर, जानिए ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम से.

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Published : Jun 19, 2020, 9:25 PM IST

Updated : Jun 19, 2020, 9:56 PM IST

भोपाल। आगामी 21 जून को खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा. सभी स्थानों पर अलग-अलग समय पर सूर्य ग्रहण दिखाई देगा. ज्योतिष के अनुसार देश के पूर्वोत्तर इलाकों में कंकणाकृति और अन्य इलाकों में खंडग्रास सूर्यग्रहण दिखाई देगा. 21 जून को खण्डग्रास सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा. सूर्य ग्रहण सुबह 10:11 मिनट पर प्रारंभ होकर 1:26 पर खत्म होगा. ग्रहण का पर्व काल 3 घंटा 15 मिनट का है. ग्रहण का सूतक 20 जून शनिवार रात्रि 10 बजे से रहेगा. ग्रहण भारत के अलावा म्यांमार, दक्षिणी रूस, मंगोलिया, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, मलेशिया, दोनों कोरिया, जापान, इंडोनेशिया, पूर्वी ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, ईरान, इराक, अफगानिस्तान, नेपाल, पाकिस्तान जैसे देशों में दिखाई देगा.

ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम

सूर्यग्रहण को लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम का कहना है कि, ये ग्रहण खंडग्रास ग्रहण है. भारत के उत्तरपूर्व अंचलों जैसे चमोली, केदारनाथ और बद्रीनाथ क्षेत्र में कंकणाकृती के रूप में दिखाई देगा. बाकी संपूर्ण भारत में खंडग्रास ग्रहण के रूप में दिखाई देगा. इस ग्रहण की अवधि 3 घंटे 15 मिनट की है. ये सबसे लंबी अवधि का सूर्य ग्रहण है. ये ग्रहण आद्रा और मृगशिरा नक्षत्रों को भेदकर हो रहा है. सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र से शुरू होगा और आद्रा नक्षत्र पर समाप्त होगा.

ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम के मुताबिक मिथुन राशि से संबंधित देशों और व्यक्तियों के अलावा आद्रा और मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों पर इसका प्रभाव पड़ेगा. ग्रहण अपने नाम के अनुसार हमेशा कार्यों में ग्रहण लगाने वाले और अवरोध उत्पन्न करने वाले होते हैं. ग्रहण के दौरान ऊर्जा दूषित हो जाती है. जिससे पृथ्वीवासियों सहित प्रकृति के अनुकूल स्थिति नहीं बन पाती है. ग्रहण का प्रभाव सभी पर पड़ता है. मानव, प्रकृति,पशु पक्षी और पूरे वायुमंडल को ग्रहण के समय दूषित माना जाता है. यही कारण है कि सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पूर्व सूतक माना जाता है. इसलिए 20 जून की रात्रि में 10 बजे के बाद सूतक शुरू हो जाएगा.

ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम बताते हैं कि, ग्रहण को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं. गर्भवती महिलाओं को ग्रहण नहीं देखना चाहिए. उसके पूर्व भगवत भजन करना चाहिए. ग्रहण के पश्चात ग्रहण स्नान कर दान करना चाहिए. ग्रह स्थिति के अनुसार देखे तो ग्रहण के समय पर 6 ग्रह वक्री रहेंगे, अर्थात जब ग्रहण पड़ेगा, तो उस समय 6 ग्रह उल्टी चाल चल रहे होंगे. साथ ही चतुग्रही योग भी बनेगा. जो कि देखा जाए तो, एक राशि में चार ग्रह इकट्ठे हो रहे हैं. शास्त्रों के अनुसार जब एक राशि में चार ग्रह इकट्ठे होते हैं, तो स्थितियां अनुकूल नहीं होती हैं.

ये स्थितियां युद्ध की स्थिति निर्मित करती हैं. ग्रह और आकाशीय स्थिति और ग्रहण के समय की स्थितियों का अनुसंधान किया जाए, तो ये खगोलीय घटना की स्थिति सदियों बाद बनी है. जब ग्रहण के समय 6 ग्रह वक्री हुए हैं. 6 ग्रह वक्री होने का प्रभाव मौसम पर पड़ेगा. तेज हवाओं के साथ मौसम की स्थिति बिगड़ेगी. कई जगह बाढ़ की स्थिति बनेगी, कई देशों में युद्धात्मक स्थितियां बनेंगी. कुल मिलाकर ग्रहण अपने नाम के अनुसार कार्यों में रुकावट डालेगा.

भोपाल। आगामी 21 जून को खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा. सभी स्थानों पर अलग-अलग समय पर सूर्य ग्रहण दिखाई देगा. ज्योतिष के अनुसार देश के पूर्वोत्तर इलाकों में कंकणाकृति और अन्य इलाकों में खंडग्रास सूर्यग्रहण दिखाई देगा. 21 जून को खण्डग्रास सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा. सूर्य ग्रहण सुबह 10:11 मिनट पर प्रारंभ होकर 1:26 पर खत्म होगा. ग्रहण का पर्व काल 3 घंटा 15 मिनट का है. ग्रहण का सूतक 20 जून शनिवार रात्रि 10 बजे से रहेगा. ग्रहण भारत के अलावा म्यांमार, दक्षिणी रूस, मंगोलिया, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड, मलेशिया, दोनों कोरिया, जापान, इंडोनेशिया, पूर्वी ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, ईरान, इराक, अफगानिस्तान, नेपाल, पाकिस्तान जैसे देशों में दिखाई देगा.

ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम

सूर्यग्रहण को लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम का कहना है कि, ये ग्रहण खंडग्रास ग्रहण है. भारत के उत्तरपूर्व अंचलों जैसे चमोली, केदारनाथ और बद्रीनाथ क्षेत्र में कंकणाकृती के रूप में दिखाई देगा. बाकी संपूर्ण भारत में खंडग्रास ग्रहण के रूप में दिखाई देगा. इस ग्रहण की अवधि 3 घंटे 15 मिनट की है. ये सबसे लंबी अवधि का सूर्य ग्रहण है. ये ग्रहण आद्रा और मृगशिरा नक्षत्रों को भेदकर हो रहा है. सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र से शुरू होगा और आद्रा नक्षत्र पर समाप्त होगा.

ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम के मुताबिक मिथुन राशि से संबंधित देशों और व्यक्तियों के अलावा आद्रा और मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्तियों पर इसका प्रभाव पड़ेगा. ग्रहण अपने नाम के अनुसार हमेशा कार्यों में ग्रहण लगाने वाले और अवरोध उत्पन्न करने वाले होते हैं. ग्रहण के दौरान ऊर्जा दूषित हो जाती है. जिससे पृथ्वीवासियों सहित प्रकृति के अनुकूल स्थिति नहीं बन पाती है. ग्रहण का प्रभाव सभी पर पड़ता है. मानव, प्रकृति,पशु पक्षी और पूरे वायुमंडल को ग्रहण के समय दूषित माना जाता है. यही कारण है कि सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पूर्व सूतक माना जाता है. इसलिए 20 जून की रात्रि में 10 बजे के बाद सूतक शुरू हो जाएगा.

ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद गौतम बताते हैं कि, ग्रहण को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं. गर्भवती महिलाओं को ग्रहण नहीं देखना चाहिए. उसके पूर्व भगवत भजन करना चाहिए. ग्रहण के पश्चात ग्रहण स्नान कर दान करना चाहिए. ग्रह स्थिति के अनुसार देखे तो ग्रहण के समय पर 6 ग्रह वक्री रहेंगे, अर्थात जब ग्रहण पड़ेगा, तो उस समय 6 ग्रह उल्टी चाल चल रहे होंगे. साथ ही चतुग्रही योग भी बनेगा. जो कि देखा जाए तो, एक राशि में चार ग्रह इकट्ठे हो रहे हैं. शास्त्रों के अनुसार जब एक राशि में चार ग्रह इकट्ठे होते हैं, तो स्थितियां अनुकूल नहीं होती हैं.

ये स्थितियां युद्ध की स्थिति निर्मित करती हैं. ग्रह और आकाशीय स्थिति और ग्रहण के समय की स्थितियों का अनुसंधान किया जाए, तो ये खगोलीय घटना की स्थिति सदियों बाद बनी है. जब ग्रहण के समय 6 ग्रह वक्री हुए हैं. 6 ग्रह वक्री होने का प्रभाव मौसम पर पड़ेगा. तेज हवाओं के साथ मौसम की स्थिति बिगड़ेगी. कई जगह बाढ़ की स्थिति बनेगी, कई देशों में युद्धात्मक स्थितियां बनेंगी. कुल मिलाकर ग्रहण अपने नाम के अनुसार कार्यों में रुकावट डालेगा.

Last Updated : Jun 19, 2020, 9:56 PM IST
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