भोपाल। मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सभा और रैलियों पर रोक लगा दी थी, इसे लेकर बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने कोरोना काल में आम सभा और रैलियों की अनुमति दे दी है. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का बीजेपी ने स्वागत किया है.
आमसभा और रैलियों को अनुमति
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब उपचुनाव के प्रचार- प्रसार के लिए आम सभा और रैलियां निकाली जा सकेंगी. हालांकि सभा और रैलियों में कोरोना गाइडलाइन का सख्ती से पालन करना होगा. सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क समेत सैनिटाइजर का उपयोग करना होगा. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद बीजेपी प्रवक्ता राहुल कोठारी ने कहा कि, बीजेपी मर्यादित पार्टी है और अनुकूलता, मर्यादा को देखते हुए ही सभाएं और रैलियां आयोजित की जाएंगी. हालांकि उन्होंने कहा कि, इसे लेकर विधि विशेषज्ञ से चर्चा कर आगे के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
सीएम शिवराज ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही थी
हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने कोरोना काल में राजनीतिक सभाओं के आयोजन पर रोक लगाने का आदेश दिया था. जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सभाएं रद हो गई थी. हाईकोर्ट के इस फैसले को सीएम शिवराज ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही थी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर लिखा था कि, 'मैं इस फैसले का सम्मान करता हूं, लेकिन इस फैसले के संबंध में हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय जा रहे हैं. एक असमंजस की स्थिति बन गई है, मध्यप्रदेश के एक हिस्से में सभाएं हो सकती हैं और दूसरे हिस्से में नहीं हो सकतीं. मुझे पूरा विश्वास है कि सर्वोच्च न्यायालय में हमें न्याय मिलेगा'.
जनहित याचिका पर हाईकोर्ट का फैसला
कोरोना काल में राजनीतिक कार्यक्रमों से इस महामारी के ज्यादा फैलने को लेकर एक जनहित याचिका हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में दायर की गई थी. जिस पर हाईकोर्ट ने सभी तरह के राजनीतिक आयोजनों को प्रत्यक्ष रूप से प्रतिबंधित करते हुए आधुनिक संचार साधनों से वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए हैं.
पूर्व सीएम कमलनाथ और केन्द्रीय मंत्री पर FIR दर्ज करने के दिए आदेश
हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ द्वारा रोक के बावजूद राजनीतिक रैलियां आमसभा करने का दौर जारी था. हाईकोर्ट ने कोविड-19 के नियमों की अनदेखी होने के कारण प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ और केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर सहित पांच लोगों पर FIR दर्ज करने के आदेश दिए था.