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शरद पूर्णिमा: आज दिखेगा सुपरमून, जानिए क्या है आज का महत्व - शरद पूर्णिमा का क्या है महत्व

आज शरद पूर्णिमा पर आसमान में सुपरमून दिखाई देगा. शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की विशेष रुप से पूजा-अर्चना की जाती है.

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शरद पूर्णिमा
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Published : Oct 30, 2020, 7:51 AM IST

भोपाल। 30 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है. पूर्णिमा का चांद पूर्वी आकाश में शाम 5ः13 बजे क्षितिज से उदित होना आरंभ होगा. ऊपर उठने के बाद शरद पूर्णिमा का चांद सामान्य पूर्णिमा के चांद की तरह चमकीला होते हुए 99.2 प्रतिशत चमक के साथ आकाश में दिखेगा. शरद पूर्णिमा के दिन विशेष रुप से पूजा-अर्चना भी की जाएगी. इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा के साथ ही खीर का प्रसाद भी खुले आसमान के तले रखा जाता है. ताकि चंद्रमा की रोशनी उस खीर पर पड़े. इस खीर में तुलसी के पत्ते भी डाले जाते हैं. हिंदू मान्यताओं में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व माना गया है.

शरद पूर्णिमा पर क्यों होता है चांद अत्यधिक चमकीला

नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका ने बताया कि, चंद्रमा एक ही रात में न तो रंग बदलता है और न आकार, वो तो उदित होते समय हमारी पृथ्वी का वातावरण चंद्रमा को लालिमा लिए दिखाता है. जब चंद्रमा, पृथ्वी से लगभग 3 लाख 60 हजार किमी की दूरी पर रहता है, तो वो अधिक बड़ा और चमकीला दिखता है. जिसे सुपरमून भी कहते हैं. इस शरद पूर्णिमा को चंद्रमा 4 लाख 06 हजार 394 किलोमीटर पर रहते हुए हमसे ज्यादा दूर है, इसलिए ये सुपरमून की तरह नहीं चमकेगा.

उदित होता चंद्रमा क्यों दिखता है

सारिका ने बताया कि, उदय एवं अस्त के समय चंद्रमा की किरणें पृथ्वी के वायुमंडल में अधिक दूरी तय करती हैं, जिससे बाकी रंग तो बीच में ही खो जाते हैं, केवल लालिमा हमारी आंखों तक आती है. उदय एवं अस्त के समय चंद्रमा को देखते समय हमारे सामने पृथ्वी पर स्थित इमारत, पहाड़, वृक्ष, आदि भी दिखते हैं, जिनको साथ देखने पर हमें लगता है कि, चंद्रमा का गोला बड़ा है. यह आंखों का भ्रम या इलुजन होता है.

शहरों में पूर्व दिशा में चंद्रोदय, पश्चिम दिशा में चंद्र अस्त का समय

  • छिंदवाड़ा में 5ः07 शाम चंद्रोदय, 5ः02 सुबह चंद्र अस्त
  • होशंगाबाद में 5ः12 शाम चंद्रोदय, 5ः07 सुबह चंद्र अस्त
  • भोपाल में 5ः13 शाम चंद्रोदय, 5ः08 सुबह चंद्र अस्त
  • इंदौर में 5ः20 शाम चंद्रोदय, 5ः15 सुबह चंद्र अस्त

हिंदू पंचांग में शरद पूर्णिमा का क्या है महत्व ?

हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है. इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होकर अत्यंत तेजवान और उर्जावान होता है और ऐसा माना जाता है कि, इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है. शरद पूर्णिमा को खीर का विशेष महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि, इस रात चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने से अमृत की बूंदे उस पर भी पड़ती हैं, जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करना स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है.

भोपाल। 30 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है. पूर्णिमा का चांद पूर्वी आकाश में शाम 5ः13 बजे क्षितिज से उदित होना आरंभ होगा. ऊपर उठने के बाद शरद पूर्णिमा का चांद सामान्य पूर्णिमा के चांद की तरह चमकीला होते हुए 99.2 प्रतिशत चमक के साथ आकाश में दिखेगा. शरद पूर्णिमा के दिन विशेष रुप से पूजा-अर्चना भी की जाएगी. इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा के साथ ही खीर का प्रसाद भी खुले आसमान के तले रखा जाता है. ताकि चंद्रमा की रोशनी उस खीर पर पड़े. इस खीर में तुलसी के पत्ते भी डाले जाते हैं. हिंदू मान्यताओं में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व माना गया है.

शरद पूर्णिमा पर क्यों होता है चांद अत्यधिक चमकीला

नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका ने बताया कि, चंद्रमा एक ही रात में न तो रंग बदलता है और न आकार, वो तो उदित होते समय हमारी पृथ्वी का वातावरण चंद्रमा को लालिमा लिए दिखाता है. जब चंद्रमा, पृथ्वी से लगभग 3 लाख 60 हजार किमी की दूरी पर रहता है, तो वो अधिक बड़ा और चमकीला दिखता है. जिसे सुपरमून भी कहते हैं. इस शरद पूर्णिमा को चंद्रमा 4 लाख 06 हजार 394 किलोमीटर पर रहते हुए हमसे ज्यादा दूर है, इसलिए ये सुपरमून की तरह नहीं चमकेगा.

उदित होता चंद्रमा क्यों दिखता है

सारिका ने बताया कि, उदय एवं अस्त के समय चंद्रमा की किरणें पृथ्वी के वायुमंडल में अधिक दूरी तय करती हैं, जिससे बाकी रंग तो बीच में ही खो जाते हैं, केवल लालिमा हमारी आंखों तक आती है. उदय एवं अस्त के समय चंद्रमा को देखते समय हमारे सामने पृथ्वी पर स्थित इमारत, पहाड़, वृक्ष, आदि भी दिखते हैं, जिनको साथ देखने पर हमें लगता है कि, चंद्रमा का गोला बड़ा है. यह आंखों का भ्रम या इलुजन होता है.

शहरों में पूर्व दिशा में चंद्रोदय, पश्चिम दिशा में चंद्र अस्त का समय

  • छिंदवाड़ा में 5ः07 शाम चंद्रोदय, 5ः02 सुबह चंद्र अस्त
  • होशंगाबाद में 5ः12 शाम चंद्रोदय, 5ः07 सुबह चंद्र अस्त
  • भोपाल में 5ः13 शाम चंद्रोदय, 5ः08 सुबह चंद्र अस्त
  • इंदौर में 5ः20 शाम चंद्रोदय, 5ः15 सुबह चंद्र अस्त

हिंदू पंचांग में शरद पूर्णिमा का क्या है महत्व ?

हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है. इसे कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होकर अत्यंत तेजवान और उर्जावान होता है और ऐसा माना जाता है कि, इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है. शरद पूर्णिमा को खीर का विशेष महत्व होता है. ऐसी मान्यता है कि, इस रात चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने से अमृत की बूंदे उस पर भी पड़ती हैं, जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करना स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है.

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